नई दिल्ली:. अगले साल जुलाई-अगस्त में जापान की राजधानी टोक्यो में खेलों के इस महाकुम्भ का आयोजन होना है. इससे पहले जापान ने 1964 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी की थी.
जापान ने पहली बार जब ओलंपिक की मेजबानी की थी, तब उसने प्रौद्योगिकी के नायाब उपयोग और आतिथ्य का शानदार उदाहरण पेश किया था. अब 55 साल बाद जापान के पास अपनी प्रौद्योगिकी की ताकत और शानदार आतिथ्य को एक बार फिर दुनिया के सामने पेश करने का मौका है.
इसे देखते हुए जापान ने कुछ बेहद खास तैयारियां की हैं. इन्हीं में से एक है ऑटोमेटिक रोबोटिक बस, जिसका उपयोग खिलाड़ियों को खेल गांव से आयोजन स्थलों तक ले जाने और लाने के लिए होगा.
एक वेबसाइट के मुताबिक दुनिया की एक वाहन निर्माता कम्पनी ने ओलंपिक के लिए 20 आटोमेटेड रोबोट बसें तैयार की हैं.
जापान ने ओलंपिक के लिए खास तैयारी की है. उसके अधिकांश स्टेडियम एक साल पहले ही तैयार हो चुके हैं. जापान ने कहा है कि वह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित करते हुए 3डी एथलीट ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करेगा, जो दुनिया के लिए अभी बिल्कुल नई चीज है.
खिलाड़ियों के लिए इलेक्ट्रिक बसों की व्यवस्था की गई है
बहरहाल, वाहन निर्माता कम्पनी ने ओलंपिक आयोजन में जापानी सरकार और खिलाड़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिनी बसों की शक्ल वाली ई-पालेटी इलेक्ट्रिक बसों का सप्लाई करेगा. इन बसों का उपयोग ओलंपिक और पैरालम्पिक खेलों के दौरान किया जाएगा.
ई-पालेटी इलेक्ट्रिक बसें खेल गांव और आयोजन स्थलों पर तैनात होंगी और ये सिर्फ खिलाड़ियों के आवागमन के लिए उपयोग में लाई जाएंगी. ये बसें 12 मील प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलेंगी. हर बस में एक सेफ्टी मैनेजर होगा.
जापान में अगले साल 24 जुलाई से 9 अगस्त तक ओलंपिक खेलों का आयोजन होगा. यह जापान के साथ-साथ भारत के लिए भी खास है क्योंकि भारत इन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेते हुए ओलंपिक अभियान में अपनी हिस्सेदारी के 100 साल भी पूरा करेगा. भारत ने पहली बार एंटवर्प में 1920 में आयोजित ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था.
ओलंपिक में इंडिया हाउस भी किया जाएगा स्थापित
इस मौके को खास बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ ने जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स के साथ मिलकर टोक्यो में पहली बार इंडिया हाउस स्थापित करने का फैसला किया है, जो भारतीय खिलाड़ियों, फैन्स और पत्रकारों के लिए घर से दूर एक घर होने के साथ-साथ ओलंपिक के लिए टोक्यो पहुंचने वाले दुनिया भर के खेल प्रेमियों के बीच भारत की सांस्कृति विरासत का प्रतीक होगा.