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Commonwealth Games: सिल्वर मेडल जीतनेवाली जूडो खिलाड़ी तूलिका मान की मां ने कहा- संघर्ष भरा रहा सफर

पश्चिम दिल्ली के टैगोर गार्डन में रहनेवाली तूलिका मान ने कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में जूडो में सिल्वर मेडल जीता है. तूलिका की मां अमृता सिंह से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि उसे यहां तक पहुंचाने में उसने काफी संघर्ष किया. उसे इसके लिए किसी तरह की मदद नहीं की गई थी.

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सिल्वर मेडल जीतनेवाली जूडो खिलाड़ी तूलिका मान की मां ने कहा- संघर्ष भरा रहा सफर
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Published : Aug 5, 2022, 12:44 PM IST

नई दिल्लीः कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में भारत का जलवा जारी है. जुडो में भारत की तूलिका मान ने सिल्वर मेडल जीतकर (Silver Medal Winner in Commonwealth Games) एक और इतिहास रच दिया. तूलिका मान दिल्ली पुलिस में कार्यरत एएसआई अमृता सिंह की बेटी है. अपनी बेटी की इस कामयाबी पर अमृता काफी खुश हैं और उनका कहना है कि सिंगल मदर होने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को छोटी उम्र से ही जूडो की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू की और आज वह कामयाबी के शिखर तक पहुंची है.

उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि हालांकि मेडल तो उनकी बेटी ने पहले भी जीता है लेकिन कॉमनवेल्थ में सिल्वर जीतने (Silver Medal Winner in Commonwealth Games) की बात ही कुछ और है. उनका कहना है कि किसी भी गेम्स में जाने से पहले वह अपनी बेटी को कहती कि बेटा अच्छे से करना. जब मैं उससे पूछती हूं कि इसबार कुछ आने की उम्मीद है तो उसका जवाब होता है देखती हूं मां. उसका यही जवाब होता है. वह एग्रेसिव नहीं होती है बल्कि शांतचित्त होकर खेल को पूरी अनुशासित तरीके से खेलती है.

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सिल्वर मेडल जीतने वाली तूलिका की मां का कहना है कि जब उनके और उनकी बेटी के स्ट्रगल के दिन थे, तब किसी की तरफ से कोई मदद नहीं की गई. लेकिन अब जब वह मेडल जीती है तो हर तरफ से मदद के लिए हाथ उठ आएंगे. उनका कहना है कि सफर अभी और भी बाकी है और उसे इससे भी बड़े मेडल जीतने हैं. उन्होंने बताया कि जब वह बहुत छोटी थी, तभी उसके पिता की मौत हो गई थी और उन्होंने तय किया था कि उन्हें बस तूलिका और उसके कैरियर और भविष्य के लिए ही जीना है. उन्होंने हर वह कोशिश की जिससे तूलिका को जीवन में कामयाबी मिले. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.

ये भी पढ़ेंः Raksha Bandhan Special : रक्षाबंधन पर सूनी रहती हैं इस गांव में कलाइयां, सैकड़ों वर्षों से नहीं मनाया गया त्योहार

तूलिका की मां का कहना है क्योंकि उनकी बेटी बहुत ही खर्चीली है इसलिए वह हमेशा उसे डरती रहती हैं और समझाती भी है. उन्होंने आगे कहा कि सरकारी मदद मिलती जरूर है लेकिन अभी भी नाकाफी है. जब खेल के लिए तूलिका को देश से बाहर जाना होता है तो वह बैंक के चक्कर काटकर पर्सनल लोन की गुहार लगाती है. इसके बावजूद वह अपनी बेटी की इस कामयाबी पर काफी खुश हैं और बेटी की घर वापसी का इंतजार कर रही है. उनकी एक और बेटी है जिसे उन्होंने बहुत छोटी उम्र में गोद लिया था और उनका कहना है कि वो भी जान से प्यारी है और उसे भी कामयाबी के शिखर तक पहुंचाएंगी. तूलिका अभी भी अपनी मां और छोटी बहन के साथ टैगोर गार्डेन स्थित पुलिस क्वार्टर में रहती हैं.

नई दिल्लीः कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में भारत का जलवा जारी है. जुडो में भारत की तूलिका मान ने सिल्वर मेडल जीतकर (Silver Medal Winner in Commonwealth Games) एक और इतिहास रच दिया. तूलिका मान दिल्ली पुलिस में कार्यरत एएसआई अमृता सिंह की बेटी है. अपनी बेटी की इस कामयाबी पर अमृता काफी खुश हैं और उनका कहना है कि सिंगल मदर होने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को छोटी उम्र से ही जूडो की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू की और आज वह कामयाबी के शिखर तक पहुंची है.

उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि हालांकि मेडल तो उनकी बेटी ने पहले भी जीता है लेकिन कॉमनवेल्थ में सिल्वर जीतने (Silver Medal Winner in Commonwealth Games) की बात ही कुछ और है. उनका कहना है कि किसी भी गेम्स में जाने से पहले वह अपनी बेटी को कहती कि बेटा अच्छे से करना. जब मैं उससे पूछती हूं कि इसबार कुछ आने की उम्मीद है तो उसका जवाब होता है देखती हूं मां. उसका यही जवाब होता है. वह एग्रेसिव नहीं होती है बल्कि शांतचित्त होकर खेल को पूरी अनुशासित तरीके से खेलती है.

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सिल्वर मेडल जीतने वाली तूलिका की मां का कहना है कि जब उनके और उनकी बेटी के स्ट्रगल के दिन थे, तब किसी की तरफ से कोई मदद नहीं की गई. लेकिन अब जब वह मेडल जीती है तो हर तरफ से मदद के लिए हाथ उठ आएंगे. उनका कहना है कि सफर अभी और भी बाकी है और उसे इससे भी बड़े मेडल जीतने हैं. उन्होंने बताया कि जब वह बहुत छोटी थी, तभी उसके पिता की मौत हो गई थी और उन्होंने तय किया था कि उन्हें बस तूलिका और उसके कैरियर और भविष्य के लिए ही जीना है. उन्होंने हर वह कोशिश की जिससे तूलिका को जीवन में कामयाबी मिले. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.

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तूलिका की मां का कहना है क्योंकि उनकी बेटी बहुत ही खर्चीली है इसलिए वह हमेशा उसे डरती रहती हैं और समझाती भी है. उन्होंने आगे कहा कि सरकारी मदद मिलती जरूर है लेकिन अभी भी नाकाफी है. जब खेल के लिए तूलिका को देश से बाहर जाना होता है तो वह बैंक के चक्कर काटकर पर्सनल लोन की गुहार लगाती है. इसके बावजूद वह अपनी बेटी की इस कामयाबी पर काफी खुश हैं और बेटी की घर वापसी का इंतजार कर रही है. उनकी एक और बेटी है जिसे उन्होंने बहुत छोटी उम्र में गोद लिया था और उनका कहना है कि वो भी जान से प्यारी है और उसे भी कामयाबी के शिखर तक पहुंचाएंगी. तूलिका अभी भी अपनी मां और छोटी बहन के साथ टैगोर गार्डेन स्थित पुलिस क्वार्टर में रहती हैं.

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