नई दिल्लीः 22वां फीफा विश्व कप 2022 (FIFA World Cup 2022) कतर (Qatar) में 11 दिन से जारी है. पूरी दुनिया के लोग इस खेल का खूब लुत्फ उठा रहे हैं. बेहद चुस्ती और फुर्ती के इस खेल में घोड़े जैसी ताकत और फुर्ती की जरुरत होती है. खिलाड़ी अपनी दमदार ठोंकरो से फुटबॉल को एक-दूसरे के गोल पोस्ट में करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाते हैं. खिलाड़ियों की ठोंकरों को झेलनी वाली ये फुटबॉल लगभग सभी देशों में जरुरत के हिसाब से बनती हैं.
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार फीफा विश्व कप में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर फुटबॉल पाकिस्तान (Pakistan) में बनती हैं. महिलाएं इनकी सिलाई करती हैं, जिसके बदले उन्हें कम मजदूरी मिलती है. वहीं, विश्व कप में 1,331 करोड़ की ईनाम राशि विजेता से लेकर 32वें स्थान पर रहने वाली टीमों को वितरित की जाएगी. रिपोर्टस के अनुसार फीफा के लिए फुटबॉल पाकिस्तान के पूर्वोत्तर में कश्मीरी सीमा से सटे शहर सियालकोट में बनाई जाती हैं.
एक दिन तैयार होती हैं तीन फुटबॉल, 480 रुपये मिलती है मजदूरी
दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली दो-तिहाई से ज्यादा फुटबॉल सियालकोट में ही बनती हैं. यहां फुटबॉल बनने का एक कारण यहां मिलने वाले सस्ते मजदूर होना है. फुटबॉल को बनाने में मेहनत ज्यादा है और मजदूरी बेहद कम दी जाती है. सियालकोट में महिलाएं फुटबॉल तैयार करती हैं. एक गेंद की सिलाई करने में लगभग तीन घंटे लगते हैं. एक महिला दिन में तीन गेंद की सिलाई ही कर पाती हैं. जिसके बदले उन्हें दिन के 480 रुपए और महीने में लगभग 9,600 रुपए मिलते हैं.
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हजार लोग फुटबॉल बनाने के काम में जुटे
रिपोर्ट के अनुसार, सियालकोट में लगभग 60 हजार से ज्यादा लोग फुटबॉल बनाने का काम करते हैं. फुटबॉल की हाथ से सिलाई की जाती है, जिससे गेंद ज्यादा स्थिर होती है और मशीनों से सिली जाने वाली गेंदों की तुलना में अधिक टाइट होती है. ये ज्यादा मजबूत होने के कारण अधिक टिकाऊ होती हैं.