नई दिल्ली: खो खो, जो कि 'टैग' का एक पारंपरिक भारतीय खेल है, अब भारत में युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है. इसके अनुभवी खिलाड़ी सारिका काले को इस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिससे खो-खो खिलाड़ियों एवं भारतीय खो-खो संघ में एक नई ऊर्जा आई है.
भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने सोमवार को खेल के विकास पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र के स्वदेशी खेल को आखिरकार खिलाड़ियों के बीच करियर विकल्प के रूप में मान्यता दी जा रही है.
![kho kho's goodwill is getting increased which will benefit players says Indian Kho kho association's president sudhanshu mittal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9317046_hjvj.jpg)
मित्तल ने कहा, "मैं खो खो को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और खेल मंत्री किरण रिजिजू जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. पहले सरकारी नौकरियों के लिए (खेल कोटे में) खो खो पर विचार नहीं किया जाता था, लेकिन अब खो खो खिलाड़ियों को भी इस योजना के तहत नौकरी मिल सकती है. इसका श्रेय केंद्र सरकार को जाता है."
भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष ने आगे कहा कि खेल ने अपने पंख खोल दिए हैं और विश्व पर छा जाने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा, " भारतीय खो-खो महासंघ के लिए ये गर्व का समय है कि खो खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है. किसने सोचा होगा कि खो खो विदेशों में भी इतना लोकप्रिय हो जाएगा? इसे संभव बनाने के प्रयास किए गए और मैं उन सभी का आभारी हूं जो इस संबंध में हमारा समर्थन कर रहे हैं."
खो खो लीग अगले महीने शुरू होने वाली थी लेकिन कोरोना के कारण इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया.
मित्तल ने लीग के बारे में कहा, "लीग अब हर खेल में हो रही है. इस तरह के लीग अपने-अपने खेलों को बढ़ावा देने में बहुत अच्छा कर रहे हैं. हमारी लीग 21 नवंबर से शुरू होने वाली थी, लेकिन कोरोना के कारण इसे स्थगित कर दिया गया. हम जल्द ही नई तारीखों की घोषणा करेंगे."