नई दिल्ली : भारत गुरुवार से यहां शुरू हो रही विश्व चैंपियनशिप में महिला मुक्केबाजी में अपने बढ़ते रुतबे के अनुरूप मजबूत प्रदर्शन करने के इरादे से उतरेगा तो उसे निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन से काफी उम्मीदे होंगी. बाएं घुटने की चोट से उबर रहीं 6 बार की चैंपियन दिग्गज मुक्केबाज एमसी मेरीकोम की अनुपस्थिति में विश्व चैंपियन निकहत और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना 12 सदस्यीय भारतीय टीम की अगुवाई करेंगी. दोनों मुक्केबाज पेरिस ओलंपिक के नजदीक आने के बीच नए वजन वर्गों में अपने पैर जमाने की कोशिश करेंगी.
दुनिया की चौथे नंबर की मुक्केबाज निकहत ने अपना वजन वर्ज 52 किग्रा से घटाकर 50 किग्रा कर लिया है. उन्होंने पिछले साल तुर्की में 52 किग्रा वर्ग में ही खिताब जीता था. दूसरी ओर लवलीना ने 69 किग्रा वेल्टरवेट वर्ग से अपना वजन बढ़ाकर 75 किग्रा मिडिलवेट वर्ग में किया है क्योंकि 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए उनके दोनों पसंदीदा वजन वर्ग को हटा दिया गया है. निकहत के लिए 50 किग्रा वर्ग में यह दूसरा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा. उन्होंने लाइट फ्लाई वेट वर्ग में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता लेकिन बर्मिंघम खेलों में मुकाबला उतना कड़ा नहीं था. हालांकि यहां ऐसा नहीं होगा. ओलंपिक भार वर्ग होने के कारण निकहत को पोडियम पर जगह बनाने के लिए कुछ शीर्ष मुक्केबाजों का सामना करना पड़ेगा.
विश्व चैंपियनशिप की दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने 75 किग्रा वर्ग में एशियाई चैंपियनशिप जीती थी लेकिन वह अब भी अपने नए भार वर्ग के अनुसार ढल रही हैं. लवलीना ने ‘पीटीआई’ से कहा कि मेरे मुक्कों की ताकत में सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि मेरे विरोधी 69 किग्रा वर्ग के मुकाबले ज्यादा मजबूत होंगे.नजरें राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन नीतू घंघास (48 किग्रा) और पिछले सत्र की कांस्य पदक विजेता मनीषा मोन (57 किग्रा) पर भी होंगी. साक्षी चौधरी (52 किग्रा), प्रीति (54 किग्रा), शशि चोपड़ा (63 किग्रा), सनामचा चानू (70 किग्रा) से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
भारत के पास टूर्नामेंट की मेजबानीः
यह तीसरी बार है जब भारत इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है. लेकिन कई देशों के बहिष्कार, अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के बीच संघर्ष और एक अदालती मामले ने टूर्नामेंट की चमक को कम कर दिया है. रूस के उमर क्रेमलेव की अध्यक्षता में आईबीए ने आईओसी की सिफारिशों के विपरीत रूस और बेलारूस के मुक्केबाजों को अपने स्वयं के ध्वज तले प्रतिस्पर्धा पेश करने की अनुमति दी थी जिसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और आयरलैंड सहित 10 से अधिक देश टूर्नामेंट से हट गए.
इसके अलावा दो विश्व निकायों के बीच चल रहे झगड़े ने बहुत भ्रम पैदा किया है क्योंकि आईओए ने कहा कि वह 2024 पेरिस ओलंपिक क्वालीफायर का प्रभारी होगा न कि आईबीए जो 2019 से निलंबित है. लेकिन आईबीए ने घोषणा की कि वे क्वालीफिकेशन प्रतियोगिता आयोजित करेंगे और इस साल पुरुषों और महिलाओं की विश्व चैंपियनशिप मुख्य क्वालीफायर होगी. क्रेमलेव ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि आईओसी क्वालीफाइंग स्पर्धाओं का प्रभारी बना रहेगा और दोनों निकायों को सहयोग और समन्वय करने की आवश्यकता है. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट आईबीए प्रबंधित होने चाहिए.
नई चयन नीति पर विवाद
भारतीय राष्ट्रीय चैंपियन मंजू रानी (48 किग्रा), शिक्षा नरवाल (54 किग्रा) और पूनम पूनिया (60 किग्रा) ने भारतीय मुक्केबाज महासंघ (बीएफआई) की नई चयन नीति के तहत विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाने के कारण अदालत का रुख किया जिससे राष्ट्रीय शिविर में एक और विवाद खड़ा हो गया. नई नीति के तहत मुक्केबाजों का तीन सप्ताह तक विभिन्न मापदंडों के तहत मूल्यांकन किया गया जहां नीतू, प्रीति और जैसमीन लम्बोरिया ने उन्हें पछाड़कर टूर्नामेंट की टीम में जगह बनाई. दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंततः इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
एक लाख डॉलर का सम्मान
चैंपियनशिप के 13वें सत्र में 65 देशों के 300 से अधिक मुक्केबाज हिस्सा लेंगे प्रतियोगिता के स्वर्ण विजेता को एक लाख डॉलर की पुरस्कार राशि दी जाएगी जबकि रजत पदक विजेताओं को 50 हजार डॉलर मिलेंगे दोनों कांस्य पदक विजेताओं को 25-25 हजार डॉलर दिए जाएंगे. भारत ने पिछले टूर्नामेंट में एक स्वर्ण सहित तीन पदक जीते थे. भारतीय टीम स्वदेश में अपने 2006 के प्रदर्शन की बराबरी करने की उम्मीद करेगी जब मुक्केबाजों ने चार स्वर्ण सहित आठ पदक जीते थे.
भारतीय टीम
नीतू घंघास (48 किग्रा), निकहत जरीन (50 किग्रा), साक्षी चौधरी (52 किग्रा), प्रीति (54 किग्रा), मनीषा मोन (57 किग्रा), जैसमीन लम्बोरिया (60 किग्रा), शशि चोपड़ा (63 किग्रा), मंजू बम्बोरिया (66 किग्रा), सनामचा चानू (70 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा), स्वीटी बूरा (81 किग्रा) और नुपुर श्योराण (81 किग्रा से अधिक).
(पीटीआई-भाषा)
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