नई दिल्ली: भारत की जूनियर निशानेबाजी टीम के पिस्टल कोच जसपाल राणा ने ब्राजील के एक निशानेबाजी क्लब के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें क्लब ने ब्राजील आने और अपने छह प्रशिक्षकों के साथ प्रशिक्षण करने का प्रस्ताव दिया था.
राणा ने ये फैसला देश में बढ़ते कोरोना वायरस के मामले और भारत से बाहर जाने पर लगे यात्रा प्रतिबंधों के कारण लिया है.
पूर्व एशियाई चैम्पियन राणा ने कहा कि उनके लिए निशानेबाजों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हमेशा प्राथमिकता रहेगी.
उन्होंने कहा, "दो दिन पहले ही ब्राजील के एक निजी निशानेबाजी क्लब-क्यूएबा निशानेबाजी क्लब के अध्यक्ष मार्कस कोरीए से मुझे एक मैसेज मिला था. उन्होंने उस मैसेज में कहा कि वो पिस्टल ट्रेनिंग शुरू कर रहे हैं और वो चाहते हैं कि मैं अपने छह ट्रेनरों के साथ उनमें शामिल हो जाऊं."
राणा ने कहा, "हर जगह कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए मैंने उनके प्रस्ताव को मना कर दिया. मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि इस समय हमारे निशानेबाजों को भारत से बाहर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी."
ब्राजील के निशानेबाजी क्लब ने ये प्रस्ताव व्यक्तिगत रूप से केवल राणा को ही भेजा था. भारतीय राष्ट्रीय राइफल निशानेबाजी संघ (NRAI) को इस तरह के किसी मामले की जानकारी नहीं है.
NRAI के एक अधिकारी ने कहा, "हमें इसके बारे में पता नहीं है."
प्रस्ताव को ठुकरा देने के बावजूद राणा ने स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के न होने से निशानेबाज इससे प्रभावित हुए हैं और जब प्रतियोगिताएं शुरू होंगी तो फिर लय में लौटना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा.
उन्होंने कहा, "हमारे लड़के एवं लड़कियों ने काफी समय से कोई टूर्नामेंट नहीं खेला है. और आपको पता नहीं कि सबकुछ फिर से शुरू होगा. बिना किसी प्रतियोगिता या अभ्यास के ओलंपिक साल (2021) में जाना हमारे युवा निशानेबाजों के लिए एक अलग तरह की चुनौती होगी."
पिस्टल कोच राणा खेलों में आजीवन उपलब्धि के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए चयनित किए गए हैं और 29 अगस्त को उन्हें ये सम्मान दिया जाएगा.
कोच ने कहा, "मैंने जो द्रोणाचार्य पुरस्कार जीता है वो सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है, जो मेरी शूटिंग यात्रा में शामिल रहे हैं."