नई दिल्ली : भारतीय हॉकी लीजेंड गुरबख्श सिंह ने हॉकी इंडिया की तरफ से मिले सम्मान पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने भावुक होकर कहा कि मैंने अपना पूरा जीवन हॉकी को समर्पित किया है. हॉकी के प्रति मेरे लगाव के चलते मेरी आंखे भर आईं. हॉकी इंडिया के मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अवार्ड मिलने पर गुरबख्श सिंह ने कहा कि यह उनके लिए एक सपने जैसा था और इसका अनुभव काफी शानदार रहा. गुरबख्श सिंह को यह पुरस्कार पिछले महीने फरवरी में एक सम्मान समारोह में दिया गया था.
हॉकी इंडिया के पॉडकास्ट में गुरबख्श ने अपने इंटरव्यू में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड को हासिल करने की खुश जताई. उन्होंने हॉकी से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की और अपने अनुभव से युवा खिलाड़ियों को सीख दी. इसके साथ ही युवाओं हॉकी खेलने के लिए प्रेरित भी किया. गुरबख्श सिंह दो बार के ओलंपिक पदक विजेता रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में 17 मार्च को हॉकी इंडिया ने 5वें वार्षिक हॉकी पुरस्कार समारोह का आयोजन किया था. इस समारोह में गुरबख्श सिंह को मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अवार्ड का खिताब मिला था.
गुरबक्श सिंह ने कहा कि 'मेरी उम्र 88 साल है और मैं हॉकी के लिए जो कुछ भी कर पा रहा हूं, मैंने हमेशा उसका आनंद लिया है. यहां तक कि आज भी मैं इसका छोटा सा हिस्सा बनकर आनंदित हूं. मैंने हॉकी जीवन के 65 वर्षों में हर चीज का आनंद लिया है और मुझे इस पर गर्व है. मैं एक खिलाड़ी, कोच, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी अम्पायर, मैनेजर और बंगाल हॉकी संघ का 18 वर्षों तक सचिव रहा हूं. मैंने हॉकी में जो भी कुछ किया है, मैंने पूरी तरह उसका आनंद लिया है और अपना पूरा जीवन हॉकी को समर्पित किया है. मुझे मान्यता देने के लिए हॉकी इंडिया को धन्यवाद करता हूं'.
कैसा रहा गुरबख्श सिंह का करियर
पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान गुरबख्श सिंह ने अपने करियर में कई उपलब्धियां और अवार्ड जीते हैं. 1964 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने स्वर्ण पदक और 1968 में मेक्सिको ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. इसके अलावा गुरबख्श सिंह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और हॉकी में उनके योगदान के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार भी मिला है. उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि 'ओलंपिक स्वर्ण पदक, एशियाई गोल्ड मेडल सर्वश्रेष्ठ हैं. लेकिन जब आपका अपना संघ हॉकी इंडिया को मान्यता देता है तो उसकी बात अलग होती है'.
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(आईएएनएस)