लखनऊ: भारतीय बास्केटबॉल टीम के कप्तान और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित विशेष भृगुवंशी ने देश में बास्केटबॉल को एक उचित मंच दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए दुनिया की बाकी टीमों की तरह भारत में भी 'नेचुरलाइजड यानि अतिथि खिलाड़ियों' को शामिल करने की नीति बनाने का सुझाव दिया.
भृगुवंशी ने रविवार को कहा कि सरकार देश में बास्केटबॉल को क्रिकेट और हॉकी की तरह लोकप्रिय बनाने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ चीजों की कमी है.
उन्होंने कहा, ''कॉलेजों में बास्केटबॉल का कोर्ट आमतौर पर दिखाई देता है लेकिन इस खेल को लेकर वह दीवानगी पैदा नहीं हुई, जो क्रिकेट और हॉकी के लिए है. इस स्थिति को बदलने के लिए बास्केटबॉल की लीग की शुरुआत होना बहुत जरूरी है. इसके अलावा बास्केटबॉल के ज्यादा से ज्यादा मुकाबले होना जरूरी है और उनको मीडिया में उचित स्थान मिलना उससे भी ज्यादा जरूरी है.''
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार 'लक्ष्मण अवॉर्ड' के लिए नामित किए गए विशेष ने कहा, ''आज आप कबड्डी की प्रो लीग भी देखते हैं. क्यों देखते हैं, क्योंकि वह टीवी पर आती है. बास्केटबॉल तो स्कूल और कॉलेजों में बहुत खेला जाता है, तो यह खेल पहले से ही युवाओं में काफी लोकप्रिय है. इसे बस एक मंच की जरूरत है, जहां ज्यादा से ज्यादा बास्केटबॉल खेला जाए. लोग देखना शुरू करेंगे तो इसका आकर्षण खुदबखुद बढ़ जाएगा.''
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उन्होंने दूसरे देशों की बास्केटबॉल टीमों की ही तरह भारत में भी अतिथि खिलाड़ियों को रखने की नीति बनाने का सुझाव दिया.
भृगुवंशी ने कहा, ''अगर आप एशिया की ही दूसरी बास्केटबॉल टीमों को देखें तो लगभग सभी के पास एक नेचुरलाइज्ड खिलाड़ी या अतिथि खिलाड़ी हैं. अगर विदेश का कोई अच्छा खिलाड़ी है तो उसे अपनी नागरिकता देकर टीम में शामिल किया जाता है. ऐसे खिलाड़ी को नेचुरलाइज्ड प्लेयर या अतिथि खिलाड़ी कहा जाता है.''
उन्होंने कहा ''फुटबॉल को ही लें तो उसमें अगर किसी टीम के पास अच्छा स्ट्राइकर या गोलकीपर नहीं है और विदेश में कोई ऐसा खिलाड़ी है तो उसे परस्पर सहमति से अपने देश की नागरिकता देकर टीम में शामिल कर लिया जाता है. दुनिया के ज्यादातर देशों की बास्केटबॉल टीम में यह देखने को मिल जाता है. भारत में रहने वाले विदेशी मूल के बहुत से खिलाड़ी हैं जो यहां के लिए खेलना चाहते हैं, मगर भारत में नेचुरलाइज्ड प्लेयर रखने की कोई नीति नहीं है.''
पिछले साल सितम्बर में अर्जुन पुरस्कार से नवाजे गए भारतीय बास्केटबॉल टीम के कप्तान ने यह भी कहा कि भारत में बास्केटबॉल खिलाड़ियों को उतना हाथोंहाथ नहीं लिया जाता.
उन्होंने कहा ''मुझे पिछले साल अर्जुन अवॉर्ड मिला. करीब 19 साल के बाद किसी पुरुष बास्केटबॉल खिलाड़ी को इस पुरस्कार से नवाजा गया. इससे पहले 2001 में परमिंदर सिंह को यह अवॉर्ड मिला था. उसके बाद 2020 में मुझे मिला है. बीच में दो महिला बास्केटबॉल खिलाड़ियों को यह अवॉर्ड मिला था. स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है.''
हालांकि उनका मानना है कि भारतीय बॉस्केटबॉल महासंघ अथक प्रयास कर रहा है कि एक अच्छी लीग शुरू हो, मगर कोविड के चलते काफी सब कुछ रुका हुआ है. अब कोरोना वायरस का टीका आ गया है तो लगता है कि चीजें पहले से बेहतर होंगी.
भविष्य की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर विशेष ने बताया कि इस साल के अंत में होने वाले एशिया कप टूर्नामेंट के लिए क्वालीफायर हो रहे हैं. उसका आखिरी दौर अगले महीने होने वाला है. भारत को क्वालीफाई करने के लिए एक मैच और जीतना है.