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'मैं नही चाहता मेरी तरह किसी खिलाड़ी को अपनी जमीन या घर बेचना पड़े' - राष्ट्रीय खेल दिवस

ओलंपियन गगन नारंग के स्पोर्ट्स फाउंडेशन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा.

Gagan Narang
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Published : Aug 30, 2019, 1:13 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 8:42 PM IST

नई दिल्ली: गगन नारंग ने कहा कि गुरुवार को उन्हें जो मान्यता मिली है उससे भविष्य के ओलंपियन तैयार करने के उनके सपने को साकार करने में मदद मिलेगी.

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता निशानेबाज नारंग के स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउंडेशन को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया.

नारंग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ट्राफी और प्रशस्ति पत्र हासिल किया.

राष्ट्रपति से सम्मानित होते गगन नारंग
राष्ट्रपति से सम्मानित होते गगन नारंग

नारंग ने कहा,"ये सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है."

उन्होंने कहा,"ये पुरस्कार हमारी वर्षों की कड़ी मेहनत और भविष्य के खिलाड़ियों को निखारने में योगदान की हमारी जिम्मेदारी को मान्यता देता है. हमने निशानेबाजी को मुख्य खेल के रूप में लोगों तक पहुंचाने और अधिक पदक विजेता तैयार करने में मदद करने के लक्ष्य के साथ 2011 में छोटा कदम उठाया. आज लग रहा है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं."

गगन के फाउंडेशन के संरक्षण में निशानेबाजी अकादमी का गठन किया गया जिसके भारत में 16 केंद्र हैं और यहां 50 से अधिक निशानेबाजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग मिल रही है.

ओलंपियन गगन नारंग
ओलंपियन गगन नारंग

नारंग ने कहा,"जब मैंने निशानेबाजी शुरू की तो मेरे माता-पिता को मुझे डेढ़ लाख रुपये की राइफल दिलाने के लिए जमीन का टुकड़ा बेचना पड़ा. मैंने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया और 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में मैंने चार स्वर्ण पदक जीते. इससे मुझे एक नजरिया तैयार करने में मदद मिली और मुझे लगा कि मुझे खेल को कुछ वापस देना चाहिए."

उन्होंने कहा,"मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि किसी परिजन को अपने बच्चे को ओलंपिक चैंपियन बनाने के लिए अपनी जमीन या घर नहीं बेचना पड़े. और इस दिशा में गन फोर ग्लोरी पहला कदम है."

नई दिल्ली: गगन नारंग ने कहा कि गुरुवार को उन्हें जो मान्यता मिली है उससे भविष्य के ओलंपियन तैयार करने के उनके सपने को साकार करने में मदद मिलेगी.

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता निशानेबाज नारंग के स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउंडेशन को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया.

नारंग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ट्राफी और प्रशस्ति पत्र हासिल किया.

राष्ट्रपति से सम्मानित होते गगन नारंग
राष्ट्रपति से सम्मानित होते गगन नारंग

नारंग ने कहा,"ये सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है."

उन्होंने कहा,"ये पुरस्कार हमारी वर्षों की कड़ी मेहनत और भविष्य के खिलाड़ियों को निखारने में योगदान की हमारी जिम्मेदारी को मान्यता देता है. हमने निशानेबाजी को मुख्य खेल के रूप में लोगों तक पहुंचाने और अधिक पदक विजेता तैयार करने में मदद करने के लक्ष्य के साथ 2011 में छोटा कदम उठाया. आज लग रहा है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं."

गगन के फाउंडेशन के संरक्षण में निशानेबाजी अकादमी का गठन किया गया जिसके भारत में 16 केंद्र हैं और यहां 50 से अधिक निशानेबाजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग मिल रही है.

ओलंपियन गगन नारंग
ओलंपियन गगन नारंग

नारंग ने कहा,"जब मैंने निशानेबाजी शुरू की तो मेरे माता-पिता को मुझे डेढ़ लाख रुपये की राइफल दिलाने के लिए जमीन का टुकड़ा बेचना पड़ा. मैंने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया और 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में मैंने चार स्वर्ण पदक जीते. इससे मुझे एक नजरिया तैयार करने में मदद मिली और मुझे लगा कि मुझे खेल को कुछ वापस देना चाहिए."

उन्होंने कहा,"मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि किसी परिजन को अपने बच्चे को ओलंपिक चैंपियन बनाने के लिए अपनी जमीन या घर नहीं बेचना पड़े. और इस दिशा में गन फोर ग्लोरी पहला कदम है."

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'मैं नही चाहता मेरी तरह किसी खिलाड़ी को अपनी जमीन या घर बेचना पड़े'



 



ओलंपियन गगन नारंग का मानना है कि उनके फाउंडेशन की मदद से किसी परिजन को अपने बच्चे को ओलंपिक चैंपियन बनाने के लिए जमीन या घर नहीं बेचना पड़े.



नई दिल्ली: गगन नारंग ने कहा कि गुरुवार को उन्हें जो मान्यता मिली है उससे भविष्य के ओलंपियन तैयार करने के उनके सपने को साकार करने में मदद मिलेगी.



ओलंपिक कांस्य पदक विजेता निशानेबाज नारंग के स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउंडेशन को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया.



नारंग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ट्राफी और प्रशस्ति पत्र हासिल किया.



नारंग ने कहा,"ये सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है."



उन्होंने कहा,"ये पुरस्कार हमारी वर्षों की कड़ी मेहनत और भविष्य के खिलाड़ियों को निखारने में योगदान की हमारी जिम्मेदारी को मान्यता देता है. हमने निशानेबाजी को मुख्य खेल के रूप में लोगों तक पहुंचाने और अधिक पदक विजेता तैयार करने में मदद करने के लक्ष्य के साथ 2011 में छोटा कदम उठाया. आज लग रहा है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं."



गगन के फाउंडेशन के संरक्षण में निशानेबाजी अकादमी का गठन किया गया जिसके भारत में 16 केंद्र हैं और यहां 50 से अधिक निशानेबाजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग मिल रही है.



नारंग ने कहा,"जब मैंने निशानेबाजी शुरू की तो मेरे माता-पिता को मुझे डेढ़ लाख रुपये की राइफल दिलाने के लिए जमीन का टुकड़ा बेचना पड़ा. मैंने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया और 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में मैंने चार स्वर्ण पदक जीते. इससे मुझे एक नजरिया तैयार करने में मदद मिली और मुझे लगा कि मुझे खेल को कुछ वापस देना चाहिए."



उन्होंने कहा,"मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि किसी परिजन को अपने बच्चे को ओलंपिक चैंपियन बनाने के लिए अपनी जमीन या घर नहीं बेचना पड़े. और इस दिशा में गन फोर ग्लोरी पहला कदम है."


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 8:42 PM IST
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