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ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए किस प्रदेश सरकार का दिल कितना बड़ा...? - खिलाड़ियों को पुरस्कार

खेलों का महाकुंभ यानी ओलंपिक हर चार साल में आयोजित किया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण साल 2020 में इसका आयोजन नहीं हो सका. अब साल भर की देरी से जापान के टोक्यो में इसका आयोजन होने जा रहा है. इसकी शुरुआत 23 जुलाई से होगी और 8 अगस्त को इसका समापन हो जाएगा. आइए जानते हैं, किस प्रदेश की सरकार ने ओलंपिक में प्रतिभाग और मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को को कितने रुपयों का पुरस्कार देगी.

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ओलंपिक खेल प्रतियोगिता
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Published : Jul 17, 2021, 3:56 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 4:50 PM IST

हैदराबाद: ओलंपिक खेल प्रतियोगिताओं में अग्रणी खेल प्रतियोगिता है, जिसमे हजारों एथलीट कई प्रकार के खेलों में भाग लेते हैं. ओलंपिक की शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं में करीब 200 से ज्यादा देश प्रतिभागियों के रूप में शामिल होते हैं.

ये खेल चार साल में एक बार खेला जाता है. आइए नजर डालते हैं किस प्रदेश सरकार ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को कितने रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की है.

गुजरात की छह महिला खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक के लिए जाने वाले भारतीय दल का हिस्सा हैं. राज्य सरकार ने इन सभी खिलाड़ियों को 10-10 लाख रुपए की वित्तीय मदद करने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें: ओलंपिक गेम्स से जुड़े कुछ रोचक पहलू...

कई प्रदेश की सरकारों ने ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए धन-वर्षा करने की योजना बनाई है. ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारों ने अलग-अलग धनराशि के रूप में पुरस्कार देने की घोषणा की हैं. साथ ही अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मिलने वाली पुरस्कार राशि में भी वृद्धि की गई है.

इस ग्राफिक्स के जरिए समझिए, टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर किस प्रदेश की सरकार कितने रुपए पुरस्कार देगी.

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प्रदेश सरकारों की ओर से किए गए एलान

बता दें कि भारत 119 खिलाड़ियों सहित टोक्यो ओलंपिक के लिए 228 सदस्यीय दल भेजेगा. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने बताया, 119 खिलाड़ियों में से 67 पुरुष और 52 महिला प्रतिभागी हैं. ये खिलाड़ी 85 पदक स्पर्धाओं में चुनौती पेश करेंगे.

ये ओलंपिक में भारत का अब तक का सबसे बड़ा खिलाड़ियों का दल होगा. रियो ओलंपिक में 118 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. भारत से टोक्यो जाने वाला पहला दल 17 जुलाई को रवाना होगा. इसमें कुल 90 खिलाड़ी और अधिकारी होंगे.

यह भी पढ़ें: खिलाड़ी अपने दांत से क्यों काटते हैं Medal? बेहद दिलचस्प वजह

टोक्यो ओलंपिक का आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होगा. महामारी के कारण खेलों के दौरान स्टेडियम में दर्शकों के प्रवेश की अनुमति नहीं है. ओलंपिक खेल पूरी तरह से आपातकाल उपायों के अंतर्गत आयोजित किए जाएंगे. ये आपातकाल 22 अगस्त तक चलेगा.

एक नजर ओलंपिक के इतिहास पर

  • पहले आधुनिक ओलंपिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में साल 1896 में आयोजित किए गए थे. उसके बाद कई साल तक ओलंपिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया.
  • तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी, इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलंपिक अपने मकसद में कामयाब होता गया.
  • एथेंस ओलंपिक खेलों में सिर्फ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुकाबलों में हिस्सा लिया. साल 1896 के बाद पेरिस को ओलंपिक की मेजबानी का इंतजार नहीं करना पड़ा और उसे साल 1900 में मौका मिल ही गया.
  • पेरिस में महिला खिलाड़ियों की संख्या सिर्फ 20 थी. पेरिस में ओलंपिक आयोजित तो हुए, लेकिन वहां एथेंस जैसा उत्साह देखने को नहीं मिला.
  • साल 1904 के सेंट लुई ओलंपिक के बाद अमरीकी खिलाड़ियों का दबदबा ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में बढ़ता गया. शुरुआत में तो ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में सिर्फ अमरीकी खिलाड़ी ही भाग लेते थे.
  • लंदन में पहली बार साल 1908 में ओलंपिक आयोजित हुए. पहली बार खिलाड़ियों ने अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में मार्च पास्ट किया. लेकिन इसी ओलंपिक में अमरीकी खिलाड़ियों ने जजों पर आरोप लगाया कि वे अपने देश का पक्ष ले रहे हैं.
  • साल 1912 में स्टॉकहोम में ओलंपिक हुए और फिर विश्व युद्ध की छाया भी इन खेलों पर पड़ी. विश्व युद्ध के बाद एंटवर्प ओलंपिक साल 1920 में आयोजित हुआ.
  • दूसरे विश्व युद्ध के पहले बर्लिन में 1936 में ओलंपिक आयोजित हुआ था. इस समय तक ओलंपिक में हिस्सेदारी बढ़ गई थी. सम्मान बढ़ गया था. लेकिन विश्व राजनीति का असर भी खेलों पर देखने को मिला. विरोध हुए और बंटी हुई दुनिया का असर खेल के मैदान पर भी पड़ा.

--- अरविंद राव

हैदराबाद: ओलंपिक खेल प्रतियोगिताओं में अग्रणी खेल प्रतियोगिता है, जिसमे हजारों एथलीट कई प्रकार के खेलों में भाग लेते हैं. ओलंपिक की शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं में करीब 200 से ज्यादा देश प्रतिभागियों के रूप में शामिल होते हैं.

ये खेल चार साल में एक बार खेला जाता है. आइए नजर डालते हैं किस प्रदेश सरकार ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को कितने रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की है.

गुजरात की छह महिला खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक के लिए जाने वाले भारतीय दल का हिस्सा हैं. राज्य सरकार ने इन सभी खिलाड़ियों को 10-10 लाख रुपए की वित्तीय मदद करने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें: ओलंपिक गेम्स से जुड़े कुछ रोचक पहलू...

कई प्रदेश की सरकारों ने ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए धन-वर्षा करने की योजना बनाई है. ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारों ने अलग-अलग धनराशि के रूप में पुरस्कार देने की घोषणा की हैं. साथ ही अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मिलने वाली पुरस्कार राशि में भी वृद्धि की गई है.

इस ग्राफिक्स के जरिए समझिए, टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर किस प्रदेश की सरकार कितने रुपए पुरस्कार देगी.

Tokyo Olympic 2020  awarded to Tokyo Olympic  टोक्यो ओलंपिक  पुरस्कार  Award  खेलों का महाकुंभ  ओलंपिक खिलाड़ी  खिलाड़ियों को पुरस्कार  सरकार एलान
प्रदेश सरकारों की ओर से किए गए एलान

बता दें कि भारत 119 खिलाड़ियों सहित टोक्यो ओलंपिक के लिए 228 सदस्यीय दल भेजेगा. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने बताया, 119 खिलाड़ियों में से 67 पुरुष और 52 महिला प्रतिभागी हैं. ये खिलाड़ी 85 पदक स्पर्धाओं में चुनौती पेश करेंगे.

ये ओलंपिक में भारत का अब तक का सबसे बड़ा खिलाड़ियों का दल होगा. रियो ओलंपिक में 118 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. भारत से टोक्यो जाने वाला पहला दल 17 जुलाई को रवाना होगा. इसमें कुल 90 खिलाड़ी और अधिकारी होंगे.

यह भी पढ़ें: खिलाड़ी अपने दांत से क्यों काटते हैं Medal? बेहद दिलचस्प वजह

टोक्यो ओलंपिक का आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होगा. महामारी के कारण खेलों के दौरान स्टेडियम में दर्शकों के प्रवेश की अनुमति नहीं है. ओलंपिक खेल पूरी तरह से आपातकाल उपायों के अंतर्गत आयोजित किए जाएंगे. ये आपातकाल 22 अगस्त तक चलेगा.

एक नजर ओलंपिक के इतिहास पर

  • पहले आधुनिक ओलंपिक खेल यूनान की राजधानी एथेंस में साल 1896 में आयोजित किए गए थे. उसके बाद कई साल तक ओलंपिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया.
  • तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी, इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलंपिक अपने मकसद में कामयाब होता गया.
  • एथेंस ओलंपिक खेलों में सिर्फ 14 देशों के 200 लोगों ने 43 मुकाबलों में हिस्सा लिया. साल 1896 के बाद पेरिस को ओलंपिक की मेजबानी का इंतजार नहीं करना पड़ा और उसे साल 1900 में मौका मिल ही गया.
  • पेरिस में महिला खिलाड़ियों की संख्या सिर्फ 20 थी. पेरिस में ओलंपिक आयोजित तो हुए, लेकिन वहां एथेंस जैसा उत्साह देखने को नहीं मिला.
  • साल 1904 के सेंट लुई ओलंपिक के बाद अमरीकी खिलाड़ियों का दबदबा ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में बढ़ता गया. शुरुआत में तो ट्रैक एंड फील्ड मुकाबलों में सिर्फ अमरीकी खिलाड़ी ही भाग लेते थे.
  • लंदन में पहली बार साल 1908 में ओलंपिक आयोजित हुए. पहली बार खिलाड़ियों ने अपने देश के झंडे के साथ स्टेडियम में मार्च पास्ट किया. लेकिन इसी ओलंपिक में अमरीकी खिलाड़ियों ने जजों पर आरोप लगाया कि वे अपने देश का पक्ष ले रहे हैं.
  • साल 1912 में स्टॉकहोम में ओलंपिक हुए और फिर विश्व युद्ध की छाया भी इन खेलों पर पड़ी. विश्व युद्ध के बाद एंटवर्प ओलंपिक साल 1920 में आयोजित हुआ.
  • दूसरे विश्व युद्ध के पहले बर्लिन में 1936 में ओलंपिक आयोजित हुआ था. इस समय तक ओलंपिक में हिस्सेदारी बढ़ गई थी. सम्मान बढ़ गया था. लेकिन विश्व राजनीति का असर भी खेलों पर देखने को मिला. विरोध हुए और बंटी हुई दुनिया का असर खेल के मैदान पर भी पड़ा.

--- अरविंद राव

Last Updated : Jul 17, 2021, 4:50 PM IST
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