हेराकलियोन (ग्रीस): भारत की युवा वेटलिफ्टर हर्षदा शरद गरुड ने इतिहास रच दिया है. हर्षदा ने सोमवार को यूनान के हेराकलियोन में आयोजित आईडब्ल्यूएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. वह इस चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बनीं. हर्षदा ने महिला 45 किग्रा में कुल 153 किग्रा (70 किग्रा और 83 किग्रा) वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता और प्रतियोगिता के पहले ही दिन भारत का खाता खोला.
हर्षदा ने स्नैच में 70 किग्रा के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक पक्का किया, जबकि क्लीन एवं जर्क के बाद वह तुर्की की बेकतास कान्सु (85 किग्रा) के बाद दूसरे स्थान पर चल रहीं थी. बेकतास ने कुल 150 किग्रा (65 किग्रा और 85 किग्रा) वजन उठाकर रजत पदक जीता.
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— SAI Media (@Media_SAI) May 2, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🇮🇳 begins campaign at IWF World Junior #Weightlifting Championships 2022 with a GOLD
Harshada Garud Sharad 🏋️♀️clinches 🥇in Women's 45kg with a total lift of 153kg (Snatch- 70kg, Clean & Jerk- 83kg)
Heartiest congratulations 🎊 👏
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इसी वर्ग में मालदोवा की हिन्कु तियोडोरा ने कुल 149 किग्रा (67 किग्रा और 82 किग्रा) वजन के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया. यह वर्ग ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं है. इसी वर्ग में हिस्सा ले रही एक अन्य भारतीय अंजलि पटेल कुल 148 किग्रा (67 किग्रा और 81 किग्रा) वजन उठाकर पांचवें स्थान पर रहीं.
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महाद्वीपीय और विश्व चैंपियनशिप में स्नैच, क्लीन एवं जर्क तथा कुल वजन में अलग-अलग पदक दिए जाते हैं. जबकि ओलंपिक में सिर्फ कुल वजन वर्ग में पदक दिया जाता है. जूनियर विश्व चैंपियनशिप में इससे पहले साल 2013 में मीराबाई चानू ने कांस्य जबकि पिछले साल अचिंता श्युली ने रजत पदक जीता था.
पहलवान आशीष की नजर अब कॉमनवेल्थ गेम्स पर
आशीष जब दस साल के थे, तब उनके पिता ने उन्हें कुश्ती के लिए मजबूर किया था. उस समय आशीष को इस खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने कुश्ती को पहले कभी नहीं देखा था, लेकिन अब आशीष का पूरा ध्यान राष्ट्रमंडल और एशियाई खेल 2022 के लिए क्वॉलीफाई करने पर है. उनके पिता हरियाणा में सोनीपत जिले के जोशी जाट गांव में एक किसान हैं, उन्होंने अपने गांव में चारों ओर कुश्ती देखी थी और उनका मानना था कि यह एक कठिन खेल है जो उनके बेटे के जीवन में अनुशासन ला सकता है.
आशीष ने कहा, इस खेल में जीतना या हारना पूरी तरह से व्यक्ति पर निर्भर है, मेरे पिता का मानना था कि यह खेल वास्तव में मुझे जीवन में महत्वपूर्ण सबक देगा. आशीष को साल 2017 में कुश्ती से प्यार हो गया, जब उन्होंने 97 किग्रा वर्ग में सब-जूनियर नेशनल में अपना पहला पदक हासिल किया. उन्होंने कहा, धीरे-धीरे मैंने और पदक जीतना शुरू किया और इसमें बेहतर होता गया. आंध्र प्रदेश में सब-जूनियर नेशनल जीतने के बाद मैंने इसका आनंद लेना शुरू कर दिया. मैंने अपनी कड़ी मेहनत पर गर्व महसूस किया और खेल का आनंद लेना शुरू कर दिया.
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आशीष ने अपने करियर में सफलता प्राप्त करना जारी रखा, क्योंकि उन्होंने उसी श्रेणी में जूनियर नेशनल में तीन और पदक जीते और 2021 में नोएडा में सीनियर नेशनल में 97 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक प्राप्त किया. इसके बाद आशीष ने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीता और कर्नाटक के बेंगलुरु में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2021 में आशीष ने 97 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अजय को हराकर एक और स्वर्ण पदक हासिल किया.
केआईयूजी 2021 में अपना स्वर्ण पदक प्राप्त करने के बाद उत्साहित आशीष ने कहा, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में यह मेरा पहला स्वर्ण पदक है. अब मेरा ध्यान पूरी तरह से कॉमनवेल्थ गेम्स पर है. मैंने यहां प्रतियोगिता की जांच करने और मल्टी-स्पोर्ट इवेंट की तैयारी के लिए प्रतिस्पर्धा की. सीडब्ल्यूजी के लिए चयनित होने के लिए ट्रायल होंगे और मैं अब उसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं.
यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उनका प्रशिक्षण कैसा चल रहा है, आशीष ने कहा कि उनका सबसे बड़ा ध्यान किसी भी महत्वपूर्ण चोट से बचने पर है. क्योंकि यह जोखिम एक पहलवान के करियर को पटरी से उतार सकता है.
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उन्होंने कहा, मैं अपने पिता के साथ प्रशिक्षण ले रहा हूं. हम काम करते हैं, दंड लगाते हैं, जिससे प्रशिक्षण मजबूत हो रहा है. उन्होंने कहा, हम चोटों से बचने के लिए बहुत सावधानी बरत रहे हैं. मुझे कभी कोई बड़ी चोट नहीं लगी है और मैं कभी भी इसे झेलना नहीं चाहता.
प्रतियोगिता के स्तर और केआईयूजी 2021 के संगठन की प्रशंसा करते हुए आशीष ने कहा, खेलो इंडिया गेम्स अद्भुत था. प्रतियोगिता बहुत अच्छी थी. मेरे साथ अच्छे पहलवानों ने मुकाबला किया, जिससे मैं अब आत्मविश्वास महसूस करता हूं.