हुबली: साइकिल चालने का शौक तो सभी को होता है. हर कोई कभी ना कभी साइकिल चलता है. बच्चे और युवा लोग साइकिल चलते हुए आम तौर पर देखे जाते हैं. लेकिन क्या हो जब को 63 साल का बुजुर्ग साइकिल चलाते हुए कुछ ऐसा कर जाए जो इतिहास के पन्नों में अमर हो जाए. उम्र सिर्फ एक नंबर है इस कहावत को गुरुमूर्ति मातरंगीमथ ने सही साबित कर दिया है. आप के अंदर अगर जूनून है कुछ कर गुजरने का, जोश है कुछ हासिल करने का तो आप जरूर कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिसके लिए आपको दुनियां भर में याद किया जाए.
ऐसा ही कुछ गुरुमूर्ति मातरंगीमथ ने कर दिखाया है. वो कर्नाटक के हुबली के रहने वाले है. 63 साल की उम्र में उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. गुरुमूर्ति पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और साइकिलिंग में सफलता हासिल कर युवाओं के लिए एक आदर्श बन चुके हैं. उन्होंने 11 मई से 18 अगस्त तक 100 दिनों तक रोजाना 50 किमी साइकिल चलाकर कुल 5000 किमी की दूरी तय की है.
गुरुमूर्ति ने हर दिन सुबह 4 बजे से 8 बजे तक साइकिलिंग की. इस दौरान उन्होंने रोजाना 50 किमी की दूरी तय की और ये उपलब्धि हासिल की है. वो पहले भी 2020-21 और 2021-22 में हुबली साइकिल क्लब में आोयजित कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और कई अवॉर्ड भी जीते थे. गुरुमूर्ति हुबली साइकिल क्लब के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं.
गुरुमूर्ति मातरंगीमथ शुरुआत से ही क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल और टेनिस जैसे खेलों में रुचि रखते थे. लेकिन 60 साल की उम्र में उन्होंने स्वास्थ्य को पूरी तरह से ठीक रखने की दृष्टि से कुछ साइकिलिंग करने के बारे में सोचा. इसके बाद उनका वजन भी कम हुआ.साइकिल चलाने से शारीरिक रूप से स्वस्थ और पर्यावरण भी दुषित नहीं होता है. साइकिल क्लब के सदस्य सुब्रमण्यम ने गुरुमूर्ति की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि, 'उनकी उपलब्धि वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श है. उन्होंने ऐसा कर युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाया है.