हैदराबाद : साल 2020 खेलों के नजरिए से देखा जाए तो ये हर एक छोटे से बड़े स्तर के खिलाड़ियों के लिए किसी बुरे सपने जैसा रहा है. कई युवा खिलाड़ी खेलों के इस महांकुभ के जरिए दुनिया में अपनी छाप छोड़ने के लिए बेताब थे तो वहीं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके कई एथलीट अपने करियर के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां जापान में 2020 में होने वाला ये खेल उनका अंतिम पड़ाव होने वाला था.
लेकिन कोरोनावायरस महामारी के कारण एक-एक करके सभी खेल से जुड़े टूर्नामेंट्स प्रभावित हो रहे थे. खिलाड़ियों के साथ-साथ खेलों के आयोजक और संघों के लिए भी ये वायरस सिरदर्द बन चुका था. कोविड-19 इतनी तेजी से फैल रहा था कि खेलों को रद करने या स्थगित करने के आलावा कोई और चारा नहीं था.
खेलों के लिहाज से इस साल को सबसे बड़ा माना जा रहा था. चाहे क्रिकेट विश्व कप हो, या फीफा विश्व कप, या फिर टोक्यो ओलंपिक- ये पूरा साल खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका देता लेकिन इसी बीच एंट्री मारी कोरोना वायरस ने और सब कुछ धरा का धरा रह गया.
ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना और अपने देश के लिए पदक जीतना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है. कई तो बचपन से ही इस सपने के साथ जीते है. पूरे चार साल में एक बार आयोजित होने वाले खेलों के इस महापर्व में हजारों की संख्या में खिलाड़ी अपनी प्रतिभा दिखाते हैं.
टोक्यो ओलंपिक 1964 का इतिहास
ओलंपिक का इतिहास 125 साल पुराना है. साल 2020 में जापान दूसरी बार इसके आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार बैठा था. इससे पहले साल 1964 में यहां ओलंपिक का आयोजन किया गया था, तब ये देश ग्रीष्मकालीन (समर) ओलंपिक का आयोजन करने वाला एशिया का पहला देश बना था.
लगातार दो परमाणु विस्फोट से बर्बाद हो चुके जापान ने इस ओलंपिक के जरिए पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया था. इसके आयोजन ने पूरे देश की काया पलट कर दी. हर कोई जापान की वाहवाही कर रहा था. हालांकि इसके बाद जापान ने साल 1972 और साल 1998 में विंटर ओलंपिक का आयोजन भी सफलतापूर्वक किया था.
वैसे अगर 1964 के टोक्यो ओलंपिक के इतिहास के पन्नों को पलटे तो ऐसी अनगिनत कहानियां हैं जो हमारा ध्यान अपनी ओर खींचती हैं लेकिन इतिहास को छोड़ अब वर्तमान पर आ जाते हैं...
कुछ ऐसी रही टोक्यो ओलंपिक 2020 की रूपरेखा
साल 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक की रूपरेखा 2013 में शुरु हो गई थी. 7 सितंबर 2013 को इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी की हुई मीटिंग में जापान की राजधानी टोक्यो को 2020 ओलंपिक के आयोजन की जिम्मेदारी मिली. इस रेस में टोक्यो के अलावा इस्तामबुल और मैड्रिड थे.
इस एलान के बाद से आयोजन समिति ने अपनी तैयारियां शुरु कर दी. इसका आयोजन 24 जुलाई 2020 से लेकर 9 अगस्त के बीच किया जाने वाला था. लगभग 206 देशों के हिस्सा लेने की संभावना थी. ओलंपिक के आयोजन के लिए एक स्टेडियम का भी निर्माण किया गया. इस मुख्य स्टेडियम को नेशनल स्टेडियम नाम दिया गया.
काफी अलग थी ओलंपिक 2020 की तैयारी
फरवरी की शुरुआत में आयोजकों ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का आधिकारिक मोटो 'यूनाइटेड बाय इमोशन' होगा. यह मोटो खेलों के स्थलों के अलावा शहर की तमाम जगहों पर अंग्रेजी में लिखा जाएगा.
इसके साथ ही ये भी बताया गया कि ओलंपिक के इतिहास में पहली बार होगा कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. आयोजकों का लक्ष्य है कि खेलों के दौरान उत्पन्न सभी कार्बन उत्सर्जकों को हटाया जाए. इसी के साथ जापान में पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए ओलंपिक गेम्स का इस्तेमाल किया जाएगा.
इस ओलंपिक के आयोजन में सबसे खास बात ये रही कि इन खेलों में एथलीटों को दिए जाने वाले स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों को लगभग 5,000 छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से तैयार किया गया है जो पूरे जापान के लोगों द्वारा योगदान के तौर पर दिए गए थे.
लेकिन जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही थी, कोरोनावायरस का कहर भी अपने चरम पर पहुंचने लगा था. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा ग्रेट ब्रिटेन पीछे हटने लगे थे. उनका कहना था कि अगर ओलंपिक को एक साल तक के लिए आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो वो इस बार खेलों में हिस्सा नहीं लेगे.
मार्च के आखिर में स्थगित किया गया ओलंपिक
आयोजकों के लाख कोशिशों के बावजूद खेलों का आयोजन तय समय पर कराना मुश्किल होता गया. आखिकार 24 मार्च 2020 को इसे स्थगित करने का फैसला किया गया. आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक से बातचीत करने के बाद जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा,"मैंने एक साल के लिए खेलों को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा था और अध्यक्ष बाक ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है."
बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि ओलंपिक खेलों को स्थगित किया गया हो.
इस एलान के छह दिन बाद यानी 30 मार्च को टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक की नई तारीखों की घोषणा की गई. टोक्यो ओलंपिक को 23 जुलाई से आठ अगस्त, 2021 के बीच आयोजित कराने और पैरालंपिक खेलों को 24 अगस्त से पांच सितंबर 2021 के बीच आयोजित कराने का फैसला किया गया.
ओलंपिक खेलों को टालने का फैसला इतना भी आसान नहीं था. इसके स्थगन से आयोजकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा क्योंकि सब तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी.
स्थगन से टोक्यो को हुआ काफी नुकसान
एक रिपोर्ट में ये बताया गया था कि टोक्यो ओलंपिक के स्थगित होने के कारण जापान की अर्थव्यवस्था पर 20,000 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा. टोक्यो ने खेलों की मेजबानी पर 12 अरब 60 करोड़ डॉलर खर्च किया था और इसके ताजा बजट को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि खेलों को स्थगित करने से छह अरब डालर का अतिरिक्त खर्चा होगा.
इतना कुछ होने के बावजूद अगले साथ आयोजित होने वाले खेलों के महाकुंभ पर अभी भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. वैसे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थामस बाक ये कह चुके हैं कि टोक्यो ओलंपिक आयोजित कराने के लिए 2021 आखिरी विकल्प है क्योंकि इसे बार-बार स्थगित नहीं किया जा सकता.
ऐसा कहा जा रहा है कि अगर अगले साल ओलंपिक रद होता है तो जापान की इकॉनमी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाएगी. यहां तक जापान का हर एक व्यक्ति कर्ज में डूब जाएगा.
ऐसे में जापान हर हाल में अगले साल इन खेलों के आयोजन को पूरा करने में जुटा हुआ है. हालांकि जिस तरह से आयोजन समिति ने इसके आयोजन का प्रारूप तैयार किया था, वैसा तो नहीं हो पाएगा लेकिन लाख प्रतिबंधों के बावजूद जापान सभी के लिए खेलों के इस महाकुंभ को यादगार बनाना चाहेगा.