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पूर्व भारतीय पहलवान ने डब्ल्यूएफआई विवाद को छोड़ युवा प्रतिभाओं पर ध्यान केंद्रित करने का दिया सुझाव

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के खिलाफ भारतीय पहलवानों ने लगातार विरोध प्रदर्शन किया है. अब कुश्ती संघ और पहलवानों के बीच चल रहे इस ड्रामे में खेल मंत्रालय ने सीधे तौर पर दखल दी है. इस पूरे मामले पर अब एक पूर्व पहलवान ने बड़ी बात बोली है.

Indian wrestler
भारतीय पहलवान
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By IANS

Published : Dec 29, 2023, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: पहलवानों का विरोध प्रदर्शन, दिग्गजों का खेल छोड़ना, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित किया जाना कुछ ऐसी चीजें थीं जो 2024 पेरिस ओलंपिक से पहले नहीं होनी चाहिए थीं. इस अप्रत्याशित चुनौती ने भारतीय पहलवानों को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जिससे उनकी तैयारी और वैश्विक मंच पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

24 दिसंबर को खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को चुनाव के ठीक तीन दिन बाद निलंबित कर दिया, जब पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने विरोध किया और दावा किया कि नव-निर्वाचित डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष, संजय सिंह, पिछले प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं. इसके बाद बजरंग पुनिया ने प्रतीकात्मक विरोध के रूप में अपना पद्मश्री लौटा दिया, जबकि साक्षी मलिक ने भावनात्मक रूप से अभिभूत होकर खेल से संन्यास की घोषणा की.

रवि कुमार दहिया, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक जैसे सक्रिय पहलवानों ने खेलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालाँकि, मौजूदा उथल-पुथल में एक तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया है. इसका उद्देश्य डब्ल्यूएफआई की निर्बाध कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना और शासन अंतर को दूर करना है.

आईओए के एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है, 'यह न केवल फेडरेशन के भीतर शासन के अंतर को उजागर करता है, बल्कि स्थापित मानदंडों से एक उल्लेखनीय विचलन का भी संकेत देता है. 2024 पेरिस ओलंपिक पर नज़र गड़ाए भारतीय पहलवानों के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है'.

आईएएनएस से बात करते हुए एक पूर्व पहलवान ने कहा कि, 'यह खेल ओलंपिक में भारत को लगातार पदक (2008 बीजिंग में कांस्य, 2012 लंदन में रजत और कांस्य, 2016 रियो में कांस्य और 2020 टोक्यो में रजत और कांस्य) दिला रहा है, लेकिन यह देखना होगा कि मौजूदा गड़बड़ी को देखते हुए पेरिस 2024 में कोई भी पदक जीतना मुश्किल है. एक अन्य वरिष्ठ पहलवान ने कहा कि अगर समय पर मौका दिया जाए तो अंतिम पंघाल जैसी प्रतिभा नया अंतर पैदा कर सकती है.

अंतिम पंघाल
अंतिम पंघाल

उन्होंने कहा, 'जैसे ही ओलंपिक की उलटी गिनती शुरू हो रही है, पदक की गौरव यात्रा अनिश्चित बनी हुई है. हालांकि, महासंघ की गड़बड़ी के बीच आशा की एक किरण है, केवल तभी जब पहलवान इससे उबरने में सक्षम होंगे और शानदार प्रदर्शन करेंगे'.

ये खबर भी पढ़ें: क्या है पहलवानों और डब्ल्यूएफआई के बीच चल रहा पूरा विवाद, जानिए किस समय इस ड्रामे में आया कौन सा मोड़

नई दिल्ली: पहलवानों का विरोध प्रदर्शन, दिग्गजों का खेल छोड़ना, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित किया जाना कुछ ऐसी चीजें थीं जो 2024 पेरिस ओलंपिक से पहले नहीं होनी चाहिए थीं. इस अप्रत्याशित चुनौती ने भारतीय पहलवानों को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जिससे उनकी तैयारी और वैश्विक मंच पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

24 दिसंबर को खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को चुनाव के ठीक तीन दिन बाद निलंबित कर दिया, जब पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने विरोध किया और दावा किया कि नव-निर्वाचित डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष, संजय सिंह, पिछले प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं. इसके बाद बजरंग पुनिया ने प्रतीकात्मक विरोध के रूप में अपना पद्मश्री लौटा दिया, जबकि साक्षी मलिक ने भावनात्मक रूप से अभिभूत होकर खेल से संन्यास की घोषणा की.

रवि कुमार दहिया, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक जैसे सक्रिय पहलवानों ने खेलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालाँकि, मौजूदा उथल-पुथल में एक तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया है. इसका उद्देश्य डब्ल्यूएफआई की निर्बाध कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना और शासन अंतर को दूर करना है.

आईओए के एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है, 'यह न केवल फेडरेशन के भीतर शासन के अंतर को उजागर करता है, बल्कि स्थापित मानदंडों से एक उल्लेखनीय विचलन का भी संकेत देता है. 2024 पेरिस ओलंपिक पर नज़र गड़ाए भारतीय पहलवानों के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है'.

आईएएनएस से बात करते हुए एक पूर्व पहलवान ने कहा कि, 'यह खेल ओलंपिक में भारत को लगातार पदक (2008 बीजिंग में कांस्य, 2012 लंदन में रजत और कांस्य, 2016 रियो में कांस्य और 2020 टोक्यो में रजत और कांस्य) दिला रहा है, लेकिन यह देखना होगा कि मौजूदा गड़बड़ी को देखते हुए पेरिस 2024 में कोई भी पदक जीतना मुश्किल है. एक अन्य वरिष्ठ पहलवान ने कहा कि अगर समय पर मौका दिया जाए तो अंतिम पंघाल जैसी प्रतिभा नया अंतर पैदा कर सकती है.

अंतिम पंघाल
अंतिम पंघाल

उन्होंने कहा, 'जैसे ही ओलंपिक की उलटी गिनती शुरू हो रही है, पदक की गौरव यात्रा अनिश्चित बनी हुई है. हालांकि, महासंघ की गड़बड़ी के बीच आशा की एक किरण है, केवल तभी जब पहलवान इससे उबरने में सक्षम होंगे और शानदार प्रदर्शन करेंगे'.

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