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EXCLUSIVE: पुरुष टीम को प्रशिक्षण देने वाली शालिनी पाठक ने कहा- माता पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए - International Female Kabaddi Player Shalini Pathak

पूरे विश्व में महिलाओं के सम्मान में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर ईटीवी भारत के साथ राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने विशेष बातचीत की.

Female Kabaddi Player Shalini Pathak
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Published : Mar 8, 2021, 2:19 PM IST

Updated : Mar 8, 2021, 2:29 PM IST

भरतपुर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कबड्डी खिलाड़ी और राजस्थान पुलिस में डीवाईएसपी(DYSP) शालिनी पाठक ने प्रदेश के साथ ही देशभर के माता-पिताओं से अपनी बेटियों को खेल के मैदान और विशेष रूप से कबड्डी में आगे बढ़ाने की अपील की.

शालिनी पाठक से खास बातचीत, देखिए वीडियो

जिंदगी में भी संतुलन बना के चलती हैं बेटियां

प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने कहा कि सभी माता पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए. कबड्डी खेल एक मेल और संतुलन का खेल है. जिस तरह से बेटियां कबड्डी के मैदान में संतुलन बना कर रखती हैं, उसी तरह से शादी के बाद दो परिवारों के बीच भी बराबर संतुलन बना कर रखती हैं इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को खेल के मैदान में आगे बढ़ाना चाहिए.

परिजनों को चोट लगने की चिंता थी

पुलिस उपाधीक्षक शालिनी पाठक ने बताया कि मूलतः कबड्डी हिंदुस्तान में मिट्टी और गांव का खेल है. जब उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि वो अपना करियर कबड्डी खेल में बनाना चाहती हैं, तो उनके परिजनों ने थोड़ी सी चिंता जाहिर की. क्योंकि कबड्डी खेल में घुटने और कोहनी की चोट की आशंका बनी रहती है. इसलिए शुरुआत में परिजनों का मानना था कि वो कबड्डी के बजाय कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें चोट लगने की आशंका ना हो.

लेकिन शालिनी पाठक के पिता खुद एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके हैं और भाई भी राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता बॉक्सर रह चुके हैं. इसलिए बाद में सभी परिजन कबड्डी को लेकर सहमत हो गए.

आजकल कबड्डी एक सुरक्षित खेल

शालिनी पाठक ने बताया कि आजकल कबड्डी खेल एक साइंटिफिक गेम है. इसके प्रशिक्षण में कोच एक-एक मसल्स पर पूरा ध्यान देते हैं. ताकि कम से कम चोट लगने की आशंका रहे. इसलिए जो माता - पिता अपनी बेटियों को कबड्डी खिलाने के बारे में संकोच कर रहे हैं, तो उनकी बेटियों के लिए कबड्डी एकदम सुरक्षित खेल है.

शालिनी पाठक की उपलब्धियां

-राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी

-वर्ष 2006 में साउथ एशियन गेम श्रीलंका में भागीदार, गोल्ड मेडल

इंडोनेशिया में 18 वें एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली महिला टीम का हिस्सा थीं.

खेल से संवरी जिंदगी

शालिनी पाठक ने बताया कि शुरू से ही परिवार में खेलों का माहौल था. वर्ष 2008 में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के रूप में भर्ती हुई. उसके बाद वर्ष 2015 में पदोन्नति से निरीक्षक बनीं और अब आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत हाल ही में डीवाईएसपी बनी हैं.

महिलाओं के लिए भी जल्द ही प्रो-कबड्डी आने वाला है

शालिनी पाठक ने बताया कि जिस तरह से पुरुषों में प्रो- कबड्डी आ गया है. उसी तरह से आगामी दो-तीन वर्षों में गर्ल्स के लिए भी प्रो- कबड्डी गेम्स की शुरुआत होने वाली है. अब कबड्डी राष्ट्रीय स्तर का नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल बन चुका है. पूरी दुनिया के 33 देशों में ये खेल खेला जा रहा है. यदि 50 देश इस खेल को खेलना शुरू कर देते हैं तो ये इंटरनेशनल गेम्स में शामिल हो जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर में हाल ही में 68वीं राज्य स्तरीय सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता सम्पन्न हुई है. जिसमें प्रदेश की 21 महिला कबड्डी टीमों ने भाग लिया. राजस्थान पुलिस में 16 महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिनको डीवाईएसपी शालिनी पाठक खुद कोचिंग देती हैं, साथ ही पुरुष टीम को भी गाइड करती हैं.

भरतपुर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कबड्डी खिलाड़ी और राजस्थान पुलिस में डीवाईएसपी(DYSP) शालिनी पाठक ने प्रदेश के साथ ही देशभर के माता-पिताओं से अपनी बेटियों को खेल के मैदान और विशेष रूप से कबड्डी में आगे बढ़ाने की अपील की.

शालिनी पाठक से खास बातचीत, देखिए वीडियो

जिंदगी में भी संतुलन बना के चलती हैं बेटियां

प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने कहा कि सभी माता पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए. कबड्डी खेल एक मेल और संतुलन का खेल है. जिस तरह से बेटियां कबड्डी के मैदान में संतुलन बना कर रखती हैं, उसी तरह से शादी के बाद दो परिवारों के बीच भी बराबर संतुलन बना कर रखती हैं इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को खेल के मैदान में आगे बढ़ाना चाहिए.

परिजनों को चोट लगने की चिंता थी

पुलिस उपाधीक्षक शालिनी पाठक ने बताया कि मूलतः कबड्डी हिंदुस्तान में मिट्टी और गांव का खेल है. जब उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि वो अपना करियर कबड्डी खेल में बनाना चाहती हैं, तो उनके परिजनों ने थोड़ी सी चिंता जाहिर की. क्योंकि कबड्डी खेल में घुटने और कोहनी की चोट की आशंका बनी रहती है. इसलिए शुरुआत में परिजनों का मानना था कि वो कबड्डी के बजाय कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें चोट लगने की आशंका ना हो.

लेकिन शालिनी पाठक के पिता खुद एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके हैं और भाई भी राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता बॉक्सर रह चुके हैं. इसलिए बाद में सभी परिजन कबड्डी को लेकर सहमत हो गए.

आजकल कबड्डी एक सुरक्षित खेल

शालिनी पाठक ने बताया कि आजकल कबड्डी खेल एक साइंटिफिक गेम है. इसके प्रशिक्षण में कोच एक-एक मसल्स पर पूरा ध्यान देते हैं. ताकि कम से कम चोट लगने की आशंका रहे. इसलिए जो माता - पिता अपनी बेटियों को कबड्डी खिलाने के बारे में संकोच कर रहे हैं, तो उनकी बेटियों के लिए कबड्डी एकदम सुरक्षित खेल है.

शालिनी पाठक की उपलब्धियां

-राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी

-वर्ष 2006 में साउथ एशियन गेम श्रीलंका में भागीदार, गोल्ड मेडल

इंडोनेशिया में 18 वें एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली महिला टीम का हिस्सा थीं.

खेल से संवरी जिंदगी

शालिनी पाठक ने बताया कि शुरू से ही परिवार में खेलों का माहौल था. वर्ष 2008 में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के रूप में भर्ती हुई. उसके बाद वर्ष 2015 में पदोन्नति से निरीक्षक बनीं और अब आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत हाल ही में डीवाईएसपी बनी हैं.

महिलाओं के लिए भी जल्द ही प्रो-कबड्डी आने वाला है

शालिनी पाठक ने बताया कि जिस तरह से पुरुषों में प्रो- कबड्डी आ गया है. उसी तरह से आगामी दो-तीन वर्षों में गर्ल्स के लिए भी प्रो- कबड्डी गेम्स की शुरुआत होने वाली है. अब कबड्डी राष्ट्रीय स्तर का नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल बन चुका है. पूरी दुनिया के 33 देशों में ये खेल खेला जा रहा है. यदि 50 देश इस खेल को खेलना शुरू कर देते हैं तो ये इंटरनेशनल गेम्स में शामिल हो जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर में हाल ही में 68वीं राज्य स्तरीय सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता सम्पन्न हुई है. जिसमें प्रदेश की 21 महिला कबड्डी टीमों ने भाग लिया. राजस्थान पुलिस में 16 महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिनको डीवाईएसपी शालिनी पाठक खुद कोचिंग देती हैं, साथ ही पुरुष टीम को भी गाइड करती हैं.

Last Updated : Mar 8, 2021, 2:29 PM IST
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