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मैं उनमें से हूं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं: स्वीटी

मुक्केबाज स्वीटी बूरा का कहना है कि वह उन लोगों में से हैं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. स्पोर्ट्स टाइगर की नई इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर बातचीत के दौरान कई बड़ी बातें कहीं.

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मुक्केबाज स्वीटी बूरा
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Published : Jul 13, 2021, 6:58 PM IST

जयपुर: भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा का कहना है कि वह उन लोगों में से हैं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. स्पोर्ट्स टाइगर की नई इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर बातचीत के दौरान स्वीटी ने कहा, मैंने बॉक्सिंग को इसलिए चुना. क्योंकि मैं स्कूल में बहुत कम बात करती थी. लेकिन हर बार जब चीजें गलत होती थीं, तो मैं इसे संभाल नहीं पाती थी.

उन्होंने कहा, मैं कई बार अपने साथियों को समझाने की कोशिश करती थी, लेकिन फिर भी वे मुझे पलट कर जवाब देते थे तो भी मैं अपने आप को शांत रखने की कोशिश करती थी. लेकिन फिर भी वे नहीं समझते थे तो मैं उन पर मुक्के बरसाती थी.

बॉक्सिंग के प्रति अपने प्यार को महसूस करने के बाद स्वीटी ने साल 2009 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में एक ट्रायल दिया और एक प्रशिक्षित बॉक्सर के खिलाफ पहले राउंड में हार गईं थी. इसके बाद फिर से उन्होंने हिम्मत जुटाई और अपने प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ अपर कट पंच मारकर बाहर कर दिया. इस तरह उन्होंने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की.

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स्वीटी ने साई में अपनी पहली फाइट को याद करते हुए कहा, यह मेरी पहली फाइट थी और कोच ने मेरे भाई और मेरे अंकल से कहा कि मैं इस खेल में काफी ऊंचाईयां हासिल कर सकती हूं. उसके बाद मैंने 15 दिनों तक स्टेट के लिए खेला, जहां मैंने स्वर्ण पदक हासिल किया और 3 महीने के भीतर, मैंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया, जहां मैंने फिर से एक स्वर्ण हासिल किया. इसके बाद साल 2011 में मैं एक इंटरनेशनल बॉक्सर बन गई और देश के लिए फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया.

उन्होंने कहा, साल 2014 में मैं टाइफाइड के कारण बीमार पड़ गई और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उस समय उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता बनेगा, केवल वे ही विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले पाएंगे. मेरे डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी, लेकिन खेल के प्रति प्यार ने मुझे आगे बढ़ाया और मैं अस्पताल से भाग गई.

100 मीटर की दौड़ लगाकर ट्रेन पकड़ ली और ट्रेन में बेहोश हो गई. मेरे माता-पिता ने मुझे वापस आने के लिए कहा, लेकिन मैं भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए दृढ़ थी और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दिया.

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स्वीटी ने कहा, विश्व चैंपियनशिप में मेरे सामने वास्तव में कठिन प्रतिद्वंद्वी थे और वे मेरी वेट कैटेगिरी के लिए ट्रायल करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें यकीन था कि मैं नहीं जीत पाऊंगी.

लेकिन फेडरेशन ने पहले ही घोषणा कर दी थी, इसलिए वे ट्रायल नहीं कर सके. उन्होंने क्वालिफाई करने के बावजूद मुझे या किसी को भी मेरी वेट कैटेगिरी में नहीं लेने का फैसला किया.

फिर आखिरी दिन उन्होंने मुझे लेने का फैसला किया और मैं फाइनल में पहुंची और अपने देश के लिए रजत पदक जीता.

अधिकांश एथलीटों की तरह, दो बार के एशियाई चैम्पियनशिप पदक विजेता के लिए महामारी का दौर कठिन रहा. हाल ही में 2021 एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने दुबई में कांस्य पदक जीता था.

उन्होंने कहा, हमने एशियाई चैम्पियनशिप 2021 के लिए अपने घरों में अभ्यास किया, हालांकि कैंप का आयोजन किया गया था. लेकिन यह केवल ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किए हुए खिलाड़ियों के लिए था. शिविर में पांच लड़कियों ने भाग लिया, जबकि मेरे सहित पांच ने अपने घरों पर अभ्यास किया.

हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इस टूर्नामेंट में भाग लेंगे, क्योंकि महामारी के कारण आने जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध था. आखिरी समय में हमें अनुमति मिली और मैंने चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता.

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उन्होंने कहा, मैंने कैंप छोड़ दिया और वापस आ गई. क्योंकि मुझे ओलंपिक क्वालीफाइंग में भाग लेने का मौका नहीं दिया गया. मैं यह सोचकर घर वापस आ गई थी कि अगर मुझे ओलंपिक क्वालीफिकेशन में भाग लेने का मौका ही नहीं मिला तो खेल को आगे जारी रखने का क्या फायदा. मैं विश्व और एशियाई लेवल पर खेल चुकी हूं और कई पदक जीते हैं. केवल एक चीज जो मेरे पास नहीं है वो है ओलंपिक पदक. अगर ऐसा ही था तो मैं कबड्डी खेलने के लिए भी तैयार थी.

लेकिन इसके बाद भी वह साल 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी दृढ़ निश्चयी हैं और उन्होंने कहा, मैं उनमें से हूं जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. मेरे पास साल 2024 के ओलंपिक की तैयारी के लिए अभी भी तीन साल और हैं और मैं निश्चित रूप से अगले ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद करती हूं.

स्वीटी ने कहा, टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे मुक्केबाजों को शुभकामनाएं. यह पहली बार है, जब पांच भारतीय मुक्केबाज सीधे क्वार्टर फाइनल में उतरेंगे.

जयपुर: भारतीय मुक्केबाज स्वीटी बूरा का कहना है कि वह उन लोगों में से हैं, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. स्पोर्ट्स टाइगर की नई इंटरव्यू सीरीज मिशन गोल्ड पर बातचीत के दौरान स्वीटी ने कहा, मैंने बॉक्सिंग को इसलिए चुना. क्योंकि मैं स्कूल में बहुत कम बात करती थी. लेकिन हर बार जब चीजें गलत होती थीं, तो मैं इसे संभाल नहीं पाती थी.

उन्होंने कहा, मैं कई बार अपने साथियों को समझाने की कोशिश करती थी, लेकिन फिर भी वे मुझे पलट कर जवाब देते थे तो भी मैं अपने आप को शांत रखने की कोशिश करती थी. लेकिन फिर भी वे नहीं समझते थे तो मैं उन पर मुक्के बरसाती थी.

बॉक्सिंग के प्रति अपने प्यार को महसूस करने के बाद स्वीटी ने साल 2009 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में एक ट्रायल दिया और एक प्रशिक्षित बॉक्सर के खिलाफ पहले राउंड में हार गईं थी. इसके बाद फिर से उन्होंने हिम्मत जुटाई और अपने प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ अपर कट पंच मारकर बाहर कर दिया. इस तरह उन्होंने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत की.

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स्वीटी ने साई में अपनी पहली फाइट को याद करते हुए कहा, यह मेरी पहली फाइट थी और कोच ने मेरे भाई और मेरे अंकल से कहा कि मैं इस खेल में काफी ऊंचाईयां हासिल कर सकती हूं. उसके बाद मैंने 15 दिनों तक स्टेट के लिए खेला, जहां मैंने स्वर्ण पदक हासिल किया और 3 महीने के भीतर, मैंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया, जहां मैंने फिर से एक स्वर्ण हासिल किया. इसके बाद साल 2011 में मैं एक इंटरनेशनल बॉक्सर बन गई और देश के लिए फिर से स्वर्ण पदक हासिल किया.

उन्होंने कहा, साल 2014 में मैं टाइफाइड के कारण बीमार पड़ गई और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उस समय उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता बनेगा, केवल वे ही विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले पाएंगे. मेरे डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी, लेकिन खेल के प्रति प्यार ने मुझे आगे बढ़ाया और मैं अस्पताल से भाग गई.

100 मीटर की दौड़ लगाकर ट्रेन पकड़ ली और ट्रेन में बेहोश हो गई. मेरे माता-पिता ने मुझे वापस आने के लिए कहा, लेकिन मैं भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए दृढ़ थी और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद दिया.

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स्वीटी ने कहा, विश्व चैंपियनशिप में मेरे सामने वास्तव में कठिन प्रतिद्वंद्वी थे और वे मेरी वेट कैटेगिरी के लिए ट्रायल करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें यकीन था कि मैं नहीं जीत पाऊंगी.

लेकिन फेडरेशन ने पहले ही घोषणा कर दी थी, इसलिए वे ट्रायल नहीं कर सके. उन्होंने क्वालिफाई करने के बावजूद मुझे या किसी को भी मेरी वेट कैटेगिरी में नहीं लेने का फैसला किया.

फिर आखिरी दिन उन्होंने मुझे लेने का फैसला किया और मैं फाइनल में पहुंची और अपने देश के लिए रजत पदक जीता.

अधिकांश एथलीटों की तरह, दो बार के एशियाई चैम्पियनशिप पदक विजेता के लिए महामारी का दौर कठिन रहा. हाल ही में 2021 एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने दुबई में कांस्य पदक जीता था.

उन्होंने कहा, हमने एशियाई चैम्पियनशिप 2021 के लिए अपने घरों में अभ्यास किया, हालांकि कैंप का आयोजन किया गया था. लेकिन यह केवल ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किए हुए खिलाड़ियों के लिए था. शिविर में पांच लड़कियों ने भाग लिया, जबकि मेरे सहित पांच ने अपने घरों पर अभ्यास किया.

हमें उम्मीद नहीं थी कि हम इस टूर्नामेंट में भाग लेंगे, क्योंकि महामारी के कारण आने जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध था. आखिरी समय में हमें अनुमति मिली और मैंने चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता.

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उन्होंने कहा, मैंने कैंप छोड़ दिया और वापस आ गई. क्योंकि मुझे ओलंपिक क्वालीफाइंग में भाग लेने का मौका नहीं दिया गया. मैं यह सोचकर घर वापस आ गई थी कि अगर मुझे ओलंपिक क्वालीफिकेशन में भाग लेने का मौका ही नहीं मिला तो खेल को आगे जारी रखने का क्या फायदा. मैं विश्व और एशियाई लेवल पर खेल चुकी हूं और कई पदक जीते हैं. केवल एक चीज जो मेरे पास नहीं है वो है ओलंपिक पदक. अगर ऐसा ही था तो मैं कबड्डी खेलने के लिए भी तैयार थी.

लेकिन इसके बाद भी वह साल 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी दृढ़ निश्चयी हैं और उन्होंने कहा, मैं उनमें से हूं जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. मेरे पास साल 2024 के ओलंपिक की तैयारी के लिए अभी भी तीन साल और हैं और मैं निश्चित रूप से अगले ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद करती हूं.

स्वीटी ने कहा, टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे मुक्केबाजों को शुभकामनाएं. यह पहली बार है, जब पांच भारतीय मुक्केबाज सीधे क्वार्टर फाइनल में उतरेंगे.

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