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Alvida 2019: काफी उतार-चढ़ाव में रहा भारतीय मुक्केबाजी - भारतीय मुक्केबाजी news

भारतीय मुक्केबाजी में एक ओर जहां ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए टीम चयन भी विवादों में रहा, वहीं दूसरी ओर डोपिंग मामले में मुक्केबाजों का नाम आने से एक बार फिर शर्मशार होना पड़ा.

Alvida 2019, Boxing
Alvida 2019
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Published : Dec 29, 2019, 5:18 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी के लिए रिंग में ये साल सफलताएं हासिल करने वाला रहा, जिसमें अमित पंघल ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया.

इसके साथ ही डोपिंग मामले में मुक्केबाजों का नाम आने से एक बार फिर शर्मशार होना पड़ा तो वहीं ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए टीम चयन भी विवादों में रहा.

सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो 23 साल के पंघल पुरुष विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने, जबकि छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम भी लय में रहीं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई भारतीय मुक्केबाजों ने पदक अपने नाम किए.

पेशेवर सर्किट में विजेंदर सिह का अजेय क्रम इस साल भी जारी रहा. ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई टीम में मैरी कॉम विवादों में रहीं, जबकि नीरज फोगाट (महिला) और सुमित सांगवान (पुरुष) के डोप टेस्ट में विफल होने से भारतीय मुक्केबाजी को झटका लगा.

Alvida 2019, Boxing
मैरी कॉम और निखत जरीन

यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में पंघल ने 49 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन निकहत जरीन और मीना कुमारी भी इस टूर्नामेंट में शीर्ष पर रही. निकहत के ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए मैरी कॉम से ट्रायल करने की मांग सुर्खियों में रहीं.

पंघल ने इसके बाद ओलंपिक के सपने को पूरा करने के लिए मार्च में 52 किग्रा भार वर्ग में खेलने का फैसला किया. वे हालांकि शुरु में थोड़े नर्वस थे लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा. उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की.

Alvida 2019, Boxing
अमित पंघल

पूजा रानी ने भी स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई. इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में विश्व चैंपियनशिप से ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन का दर्जा छीन लिया गया. टूर्नामेंट के लिए भारतीय महिला टीम के चयन को लेकर विवाद हुआ क्योंकि निकहत ने इसके लिए ट्रायल की मांग की.

हालांकि इस ट्रायल का ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में हुए टूर्नामेंट और राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन के आधार पर मैरी कॉम का चयन हुआ. विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों के वर्ग में पंघल ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास बनाया, जबकि मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया.

Alvida 2019, Boxing
पूजा रानी

ये विश्व चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी रहा. इस रजत पदक ने पंघल को शीर्ष भारतीय मुक्केबाजों में शामिल कर दिया. मंजू रानी (महिला 48 किग्रा) को खुद की पहचान बनाने की ललक ने मुक्केबाजी दस्ताने पहनने को प्रेरित किया और रिंग में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पहली बार महिला विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने वाली 20 साल की मंजू को फाइनल में पराजय के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा. सीमा सुरक्षा बल में अधिकारी के पद पर तैनात उनके पिता का कैंसर के कारण 2010 में निधन हो गया था. मैरी कॉम को विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.

Alvida 2019, Boxing
निखत जरीन

भारतीय मुक्केबाजी संघ ने ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए केवल स्वर्ण और रजत पदक विजेता का ही सीधा चयन करने का निर्णय किया था लेकिन उसने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली मैरी कॉम को भेजने का फैसला किया जिसका निकहत ने विरोध किया. निकहत ने इसका विरोध करते हुए ट्रायल्स की मांग की.

उन्होंने इसके लिए खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र भी लिखा. ट्रायल्स में हालांकि मैरी कॉम ने निकहत को हरा दिया और 36 साल की उम्र में भी अपनी काबिलियत साबित की ट्रायल्स के बाद ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई भारतीय टीम में एमसी मैरी कॉम (51 किग्रा), साक्षी चौधरी (57 किग्रा), सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा) को जगह मिली.

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी के लिए रिंग में ये साल सफलताएं हासिल करने वाला रहा, जिसमें अमित पंघल ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया.

इसके साथ ही डोपिंग मामले में मुक्केबाजों का नाम आने से एक बार फिर शर्मशार होना पड़ा तो वहीं ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए टीम चयन भी विवादों में रहा.

सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो 23 साल के पंघल पुरुष विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने, जबकि छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम भी लय में रहीं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई भारतीय मुक्केबाजों ने पदक अपने नाम किए.

पेशेवर सर्किट में विजेंदर सिह का अजेय क्रम इस साल भी जारी रहा. ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई टीम में मैरी कॉम विवादों में रहीं, जबकि नीरज फोगाट (महिला) और सुमित सांगवान (पुरुष) के डोप टेस्ट में विफल होने से भारतीय मुक्केबाजी को झटका लगा.

Alvida 2019, Boxing
मैरी कॉम और निखत जरीन

यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में पंघल ने 49 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन निकहत जरीन और मीना कुमारी भी इस टूर्नामेंट में शीर्ष पर रही. निकहत के ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए मैरी कॉम से ट्रायल करने की मांग सुर्खियों में रहीं.

पंघल ने इसके बाद ओलंपिक के सपने को पूरा करने के लिए मार्च में 52 किग्रा भार वर्ग में खेलने का फैसला किया. वे हालांकि शुरु में थोड़े नर्वस थे लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा. उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की.

Alvida 2019, Boxing
अमित पंघल

पूजा रानी ने भी स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई. इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में विश्व चैंपियनशिप से ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन का दर्जा छीन लिया गया. टूर्नामेंट के लिए भारतीय महिला टीम के चयन को लेकर विवाद हुआ क्योंकि निकहत ने इसके लिए ट्रायल की मांग की.

हालांकि इस ट्रायल का ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में हुए टूर्नामेंट और राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन के आधार पर मैरी कॉम का चयन हुआ. विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों के वर्ग में पंघल ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास बनाया, जबकि मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया.

Alvida 2019, Boxing
पूजा रानी

ये विश्व चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी रहा. इस रजत पदक ने पंघल को शीर्ष भारतीय मुक्केबाजों में शामिल कर दिया. मंजू रानी (महिला 48 किग्रा) को खुद की पहचान बनाने की ललक ने मुक्केबाजी दस्ताने पहनने को प्रेरित किया और रिंग में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पहली बार महिला विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने वाली 20 साल की मंजू को फाइनल में पराजय के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा. सीमा सुरक्षा बल में अधिकारी के पद पर तैनात उनके पिता का कैंसर के कारण 2010 में निधन हो गया था. मैरी कॉम को विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.

Alvida 2019, Boxing
निखत जरीन

भारतीय मुक्केबाजी संघ ने ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए केवल स्वर्ण और रजत पदक विजेता का ही सीधा चयन करने का निर्णय किया था लेकिन उसने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली मैरी कॉम को भेजने का फैसला किया जिसका निकहत ने विरोध किया. निकहत ने इसका विरोध करते हुए ट्रायल्स की मांग की.

उन्होंने इसके लिए खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र भी लिखा. ट्रायल्स में हालांकि मैरी कॉम ने निकहत को हरा दिया और 36 साल की उम्र में भी अपनी काबिलियत साबित की ट्रायल्स के बाद ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई भारतीय टीम में एमसी मैरी कॉम (51 किग्रा), साक्षी चौधरी (57 किग्रा), सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा) को जगह मिली.

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Alvida 2019: काफी उतार-चढ़ाव में रहा भारतीय मुक्केबाजी



 



नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी के लिए रिंग में ये साल सफलताएं हासिल करने वाला रहा, जिसमें अमित पंघल ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया.



इसके साथ ही डोपिंग मामले में मुक्केबाजों का नाम आने से एक बार फिर शर्मशार होना पड़ा तो वहीं ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए टीम चयन भी विवादों में रहा.



सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो 23 साल के पंघल पुरुष विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने, जबकि छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम भी लय में रहीं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई भारतीय मुक्केबाजों ने पदक अपने नाम किए.



पेशेवर सर्किट में विजेंदर सिह का अजेय क्रम इस साल भी जारी रहा. ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई टीम में मैरी कॉम विवादों में रहीं, जबकि नीरज फोगाट (महिला) और सुमित सांगवान (पुरुष) के डोप टेस्ट में विफल होने से भारतीय मुक्केबाजी को झटका लगा.



यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में पंघल ने 49 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन निकहत जरीन और मीना कुमारी भी इस टूर्नामेंट में शीर्ष पर रही. निकहत के ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए मैरी कॉम से ट्रायल करने की मांग सुर्खियों में रहीं.



पंघल ने इसके बाद ओलंपिक के सपने को पूरा करने के लिए मार्च में 52 किग्रा भार वर्ग में खेलने का फैसला किया. वे हालांकि शुरु में थोड़े नर्वस थे लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा. उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की.



पूजा रानी ने भी स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई. इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में विश्व चैंपियनशिप से ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन का दर्जा छीन लिया गया. टूर्नामेंट के लिए भारतीय महिला टीम के चयन को लेकर विवाद हुआ क्योंकि निकहत ने इसके लिए ट्रायल की मांग की.



हालांकि इस ट्रायल का ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में हुए टूर्नामेंट और राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन के आधार पर मैरी कॉम का चयन हुआ. विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों के वर्ग में पंघल ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास बनाया, जबकि मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया.



ये विश्व चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी रहा. इस रजत पदक ने पंघल को शीर्ष भारतीय मुक्केबाजों में शामिल कर दिया. मंजू रानी (महिला 48 किग्रा) को खुद की पहचान बनाने की ललक ने मुक्केबाजी दस्ताने पहनने को प्रेरित किया और रिंग में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.



पहली बार महिला विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने वाली 20 साल की मंजू को फाइनल में पराजय के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा. सीमा सुरक्षा बल में अधिकारी के पद पर तैनात उनके पिता का कैंसर के कारण 2010 में निधन हो गया था. मैरी कॉम को विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.



भारतीय मुक्केबाजी संघ ने ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए केवल स्वर्ण और रजत पदक विजेता का ही सीधा चयन करने का निर्णय किया था लेकिन उसने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली मैरी कॉम को भेजने का फैसला किया जिसका निकहत ने विरोध किया. निकहत ने इसका विरोध करते हुए ट्रायल्स की मांग की.



उन्होंने इसके लिए खेल मंत्री किरण रिजिजू को पत्र भी लिखा. ट्रायल्स में हालांकि मैरी कॉम ने निकहत को हरा दिया और 36 साल की उम्र में भी अपनी काबिलियत साबित की ट्रायल्स के बाद ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन के लिए चुनी गई भारतीय टीम में एमसी मैरी कॉम (51 किग्रा), साक्षी चौधरी (57 किग्रा), सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा) को जगह मिली.


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