टोक्यो: भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच शोर्ड मारिन ने सोमवार को खुलासा किया कि लगातार तीन हार से टीम का मनोबल टूट गया था लेकिन इसके बाद खिलाड़ियों ने आत्मविश्वास जगाने वाली फिल्म देखी जिससे उनमें नया ओज भरा और वो पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने में सफल रही.
भारतीय टीम ने लगातार हार के बाद शानदार वापसी की और मारिन ने कहा कि आयरलैंड के खिलाफ करो या मरो मैच से पहले एक फिल्म देखने से टीम को मनोवैज्ञानिक रूप से मदद मिली. उन्होंने इस फिल्म के नाम का खुलासा नहीं किया.
भारत की क्वार्टर फाइनल में विश्व के नंबर दो ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 की जीत के बाद मारिन ने कहा, "स्वयं पर विश्वास करने और अपने सपनों पर विश्वास करने से अंतर पैदा हुआ और यह अतीत को ध्यान में रखते हुए वास्तविकता का सामना करने से जुड़ा था। यह अहम चीज थी और हमने यही किया."
उन्होंने कहा, "यदि आप हार जाते हैं तो आप स्वयं पर विश्वास करना नहीं छोड़ते हैं और यही मैंने लड़कियों से कहा. सबसे महत्वपूर्ण उस पल में जीना होता है. मैंने उन्हें एक फिल्म दिखायी और यह फिल्म वर्तमान पल को जीने से जुड़ी थी और मुझे लगता है कि इससे वास्तव में मदद मिली. आयरलैंड के खिलाफ हम इस फिल्म का जिक्र करते रहे."
मारिन ने फिल्म का नाम बताने से इन्कार करते हुए कहा, "मैंने इसका जिक्र अपनी किताब में किया है जो मैंने लॉकडाउन के दौरान भारत में अपने अनुभवों के बारे में लिखी है."
मुख्य कोच ने कहा कि उन्होंने टीम से केवल अपने सर्वोच्च लक्ष्य के बारे में सोचने के लिये कहा.
मारिन ने कहा, "भारत में आपको ऊंची सोच रखनी चाहिए और यही मैंने लड़कियों से कहा. यदि आप सर्वोच्च को लक्ष्य बनाते हो, बादल छूने का लक्ष्य बनाते हो तो आप सबसे ऊंचे पर्वत पर गिरोगे और आप पहाड़ को लक्ष्य बनाते हो तो मैदान पर गिरोगे."
उन्होंने कहा, "हमने बादलों को छूने का लक्ष्य बनाया और मैंने कहा कि इसके बाद जो कुछ होगा वह मायने नहीं रखता लेकिन हमें अपना लक्ष्य ऊंचा रखना है."
भारतीय कप्तान रानी रामपाल ने टीम का भाग्य बदलने के लिये फिल्म को श्रेय दिया.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि फिल्म ने वास्तव में हमारी मदद की। फिल्म ने हमें वर्तमान पल को जीने के लिये प्रेरित किया। केवल आपके सामने जो है उसके बारे में सोचने और अतीत के बारे में नहीं सोचने की सीख दी. आज कोच ने कहा कि केवल 60 मिनट पर ध्यान लगाओ, केवल 60 मिनट में भूमिका निभाओ."
मुख्य कोच ने कहा कि वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं क्योंकि यह उपलब्धि भारत में महिला हॉकी के लिये काफी मायने रखती है.
मारिन ने कहा, "हम सोच रहे थे कि महिला टीम के लिये सबसे बड़ा लक्ष्य क्या है और यह पदक जीतने को लेकर नहीं है. यह भारत में महिलाओं को प्रेरित करने और युवा लड़कियों को प्रेरित करने से जुड़ा है. आप ऐसी विरासत ही तैयार करना चाहते है. यही वह विरासत है जो लड़कियां बनाना चाहती हैं."
उन्होंने कहा, "हमारी सोच ऐसी है और मैं इसमें सहायता करने के लिये यहां हूं तथा पदक इन चीजों में मदद करता है."
कप्तान रानी ने पिछले पांच साल की कड़ी मेहनत को भी श्रेय दिया. भारतीय टीम रियो ओलंपिक 2016 में अंतिम स्थान पर रही थी.
उन्होंने कहा, "रियो हमारे लिये वास्तव में अच्छा अनुभव नहीं रहा. हम रियो के बारे में नहीं सोचना चाहते क्योंकि उसने हमें कुछ उदासीन पल दिये थे। लेकिन उसके बाद पिछले पांच वर्षों में हमने कड़ी मेहनत की और प्रशिक्षकों ने भी इस यात्रा में अहम भूमिका निभायी."