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हैप्पी बर्थडे भारतीय हॉकी लीजेंड धनराज पिल्लै

पिल्लै एक शानदार फॉरवर्ड खिलाड़ी थे. उनमें फुर्ती कूट-कूट कर भरी थी. उन्होंने भारत के लिए खेले गए 339 मैच में 170 गोल किए हैं.

Dhanraj pillay
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Published : Jul 16, 2020, 11:55 AM IST

हैदराबाद: भारतीय हॉकी के स्वर्णिम नामों में से एक धनराज पिल्लै का महाराष्ट्रा के पुणे में खड़की नामक जिले में जन्म हुआ था. वहीं, इस भारतीय लीजेंड का ये 52 वां जन्मदिन है.

भारत के लिए 339 मैच खेलने वाले इस खिलाड़ी का जन्म आज के ही दिन 1968 में हुआ था. सन 1989 में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और 15 साल तक भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया.

बता दें कि उन्हें हॉकी का कपिल देव भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कुछ करिश्माई कारनामे कर दिखाए थे जो अविश्वसनीय थे.

पिल्लै एक शानदार फॉरवर्ड खिलाड़ी थे. उनमें फुर्ती कूट-कूट कर भरी थी. उन्होंने भारत के लिए खेले गए 339 मैच में 170 गोल किए. धनराज भारतीय हॉकी की महान परंपरा के ध्वजवाहक रहे हैं.

Dhanraj pillay
धनराज पिल्लै

कई हॉकी पंडितो का मानना है कि भारतीय हॉकी इतिहास के दूसरे सबसे बड़ा खिलाड़ी धनराज ही हैं.

एक गरीब परिवार में जन्में धनराज पिल्लै कुल पांच भाई थे. परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन ये समस्यांए उनको हॉकी से दूर न रख सकीं. उन्होंने लकड़ी के डंडों को हॉकी स्टिक बनाकर खेलना शुरू किया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने 1989 में डेब्यू किया था. जिसके बाद साल 2000 में धनराज को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.

उन्होंने चार ओलिंपिक (1992, 1996, 2000 और 2004), चार वर्ल्ड कप (1990, 1994, 1998 और 2002), चार चैंपियंस ट्रॉफी (1995, 1996, 2002 और 2003) और चार एशियन गेम्स (1990, 1994, 1998 और 2002) में भारत का प्रतिनिधित्व किया. ऐसा करने वाले वो एकमात्र खिलाड़ी हैं.

1998 के एशियन गेम्स और 2003 के एशिया कप विजेता हॉकी टीम की कमान भी धनराज के हाथ में थी. साल 2002 में जब जर्मनी में चैंपियंस ट्रॉफी खेली थी तो धनराज प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट रहे थे.

धनराज पिल्लै ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ इंडियन जिमखाना, सेलनगोर एचए, मराठा वॉरियर्स, कर्नाटका लायंस और इंडियंस एयरलाइन का प्रतिनिधित्व भी किया है.

हैदराबाद: भारतीय हॉकी के स्वर्णिम नामों में से एक धनराज पिल्लै का महाराष्ट्रा के पुणे में खड़की नामक जिले में जन्म हुआ था. वहीं, इस भारतीय लीजेंड का ये 52 वां जन्मदिन है.

भारत के लिए 339 मैच खेलने वाले इस खिलाड़ी का जन्म आज के ही दिन 1968 में हुआ था. सन 1989 में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और 15 साल तक भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया.

बता दें कि उन्हें हॉकी का कपिल देव भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कुछ करिश्माई कारनामे कर दिखाए थे जो अविश्वसनीय थे.

पिल्लै एक शानदार फॉरवर्ड खिलाड़ी थे. उनमें फुर्ती कूट-कूट कर भरी थी. उन्होंने भारत के लिए खेले गए 339 मैच में 170 गोल किए. धनराज भारतीय हॉकी की महान परंपरा के ध्वजवाहक रहे हैं.

Dhanraj pillay
धनराज पिल्लै

कई हॉकी पंडितो का मानना है कि भारतीय हॉकी इतिहास के दूसरे सबसे बड़ा खिलाड़ी धनराज ही हैं.

एक गरीब परिवार में जन्में धनराज पिल्लै कुल पांच भाई थे. परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन ये समस्यांए उनको हॉकी से दूर न रख सकीं. उन्होंने लकड़ी के डंडों को हॉकी स्टिक बनाकर खेलना शुरू किया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने 1989 में डेब्यू किया था. जिसके बाद साल 2000 में धनराज को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.

उन्होंने चार ओलिंपिक (1992, 1996, 2000 और 2004), चार वर्ल्ड कप (1990, 1994, 1998 और 2002), चार चैंपियंस ट्रॉफी (1995, 1996, 2002 और 2003) और चार एशियन गेम्स (1990, 1994, 1998 और 2002) में भारत का प्रतिनिधित्व किया. ऐसा करने वाले वो एकमात्र खिलाड़ी हैं.

1998 के एशियन गेम्स और 2003 के एशिया कप विजेता हॉकी टीम की कमान भी धनराज के हाथ में थी. साल 2002 में जब जर्मनी में चैंपियंस ट्रॉफी खेली थी तो धनराज प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट रहे थे.

धनराज पिल्लै ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ इंडियन जिमखाना, सेलनगोर एचए, मराठा वॉरियर्स, कर्नाटका लायंस और इंडियंस एयरलाइन का प्रतिनिधित्व भी किया है.

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