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ध्यानचंद की जन्मभूमि पर हॉकी के खिलाड़ियों की भारी कमी - Major dhyanchand birthday

हॉकी के 'जादूगर' ध्यानचंद के शहर प्रयागराज में अच्छे खिलाड़ी और स्टेडियम का आभाव है.

ध्यानचंद
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Published : Aug 25, 2019, 5:18 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 5:36 AM IST

प्रयागराज: दुनिया के खेलों के नक्शे पर अपनी हॉकी से बार बार भारत का नाम सुनहरे हरफों में लिखने वाले ध्यानचंद की जन्मस्थली प्रयागराज ने देश को एक दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए, लेकिन अब मूलभूत सुविधाओं और पर्याप्त प्रोत्साहन के अभाव में शहर में राष्ट्रीय खेल के कद्रदां कम रह गए हैं

भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग की बात हो तो ध्यानचंद और उनके जादुई खेल की बात होना लाजिमी है. इसके बावजूद प्रयागराज में मेजर ध्यान चंद के नाम पर एक भी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स या स्टेडियम नहीं होने पर खेद जताते हुए ध्यान चंद के पुत्र अशोक कुमार ने मीडिया से कहा, "कोई भी शहर अपनी विभूतियों पर गर्व करता है और उनकी उपलब्धियों को अपनी धरोहर मानता है."

लक्ष्मीबाई के नाम के साथ झांसी का नाम सदा जुड़ा रहा है. लोग अपने नाम के साथ अपने शहर का नाम जोड़ना शान की बात समझते हैं. इलाहाबाद के लोगों को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद पर गर्व है. उन्होंने कहा कि इस सब के बावजूद यह बात अपने आप में हैरान करती है कि इलाहाबाद में हॉकी से जुड़े लोगों ने सरकार से मेजर ध्यान चंद के नाम पर स्टेडियम या स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की मांग कभी नहीं की.

ध्यानचंद
ध्यानचंद
ध्यानचंद के बेटे ने कहा कि, 'इसी तरह भारत रत्न के लिए उनके नाम का तीन बार अनुमोदन होने के बाद भी बाबू जी को भारत रत्न नहीं दिया गया, उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में मदन मोहन मालवीय के नाम पर एक स्टेडियम है, जबकि अमिताभ बच्चन के नाम पर एक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स है.

उत्तर प्रदेश की हॉकी टीम से खेलने वाले राजेश वर्मा ने बताया कि इलाहाबाद से आनंद सिंह, इदरीस अहमद, एलबर्ट कैलव, रामबाबू गुप्ता, जगरुद्दीन, सुजित कुमार, ए.एच. आब्दी, आतिफ इदरीस, दानिश मुजदबा जैसे एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं, उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शहर में हॉकी की बात करने वाले लोग ज्यादा नहीं बचे.

भारतीय हॉकी टीम को इतने खिलाड़ी देने वाले इस शहर में एस्ट्रो टर्फ का एक भी मैदान नहीं है, जबकि बनारस, मुरादाबाद, रामपुर, गाजीपुर, सैफई और झांसी में एस्ट्रो टर्फ लगा है. हॉकी खिलाड़ी दानिश मुजतबा ने बताया कि इलाहाबाद में हॉकी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह एस्टो टर्फ का न होना है क्योंकि हमें आगे इसी पर खेलना होता है. इसके अलावा, यहां अच्छे ट्रेनर और मैदान की कमी है.

ये पढ़े: मुझे अपनी टीम के प्रदर्शन पर फख्र है : हरमनप्रीत सिंह

उन्होंने कहा कि अब इलाहाबाद में कुछ ही कालेजों में हॉकी की नर्सरी रह गई है जिसमें इस्लामिया कालेज शामिल है. एक समय कर्नलगंज इंटर कालेज और केपी कालेज में अच्छी प्रैक्टिस हुआ करती थी, लेकिन वहां जगह की कमी होने से अब प्रैक्टिस नहीं होती.

एक अन्य हॉकी खिलाड़ी शाहिद कमाल ने शहर में हॉकी की स्थिति खराब होने के लिए यहां से निकले खिलाड़ियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जो खिलाड़ी आगे निकले जाते हैं और हॉकी के बल पर नौकरी हासिल कर लेते हैं, वे फिर कभी मुड़कर नहीं देखते, जबकि उन्हें नई प्रतिभाओं को निखारने के लिए आगे आना चाहिए।

प्रयागराज: दुनिया के खेलों के नक्शे पर अपनी हॉकी से बार बार भारत का नाम सुनहरे हरफों में लिखने वाले ध्यानचंद की जन्मस्थली प्रयागराज ने देश को एक दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए, लेकिन अब मूलभूत सुविधाओं और पर्याप्त प्रोत्साहन के अभाव में शहर में राष्ट्रीय खेल के कद्रदां कम रह गए हैं

भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग की बात हो तो ध्यानचंद और उनके जादुई खेल की बात होना लाजिमी है. इसके बावजूद प्रयागराज में मेजर ध्यान चंद के नाम पर एक भी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स या स्टेडियम नहीं होने पर खेद जताते हुए ध्यान चंद के पुत्र अशोक कुमार ने मीडिया से कहा, "कोई भी शहर अपनी विभूतियों पर गर्व करता है और उनकी उपलब्धियों को अपनी धरोहर मानता है."

लक्ष्मीबाई के नाम के साथ झांसी का नाम सदा जुड़ा रहा है. लोग अपने नाम के साथ अपने शहर का नाम जोड़ना शान की बात समझते हैं. इलाहाबाद के लोगों को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद पर गर्व है. उन्होंने कहा कि इस सब के बावजूद यह बात अपने आप में हैरान करती है कि इलाहाबाद में हॉकी से जुड़े लोगों ने सरकार से मेजर ध्यान चंद के नाम पर स्टेडियम या स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की मांग कभी नहीं की.

ध्यानचंद
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ध्यानचंद के बेटे ने कहा कि, 'इसी तरह भारत रत्न के लिए उनके नाम का तीन बार अनुमोदन होने के बाद भी बाबू जी को भारत रत्न नहीं दिया गया, उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में मदन मोहन मालवीय के नाम पर एक स्टेडियम है, जबकि अमिताभ बच्चन के नाम पर एक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स है.

उत्तर प्रदेश की हॉकी टीम से खेलने वाले राजेश वर्मा ने बताया कि इलाहाबाद से आनंद सिंह, इदरीस अहमद, एलबर्ट कैलव, रामबाबू गुप्ता, जगरुद्दीन, सुजित कुमार, ए.एच. आब्दी, आतिफ इदरीस, दानिश मुजदबा जैसे एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं, उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शहर में हॉकी की बात करने वाले लोग ज्यादा नहीं बचे.

भारतीय हॉकी टीम को इतने खिलाड़ी देने वाले इस शहर में एस्ट्रो टर्फ का एक भी मैदान नहीं है, जबकि बनारस, मुरादाबाद, रामपुर, गाजीपुर, सैफई और झांसी में एस्ट्रो टर्फ लगा है. हॉकी खिलाड़ी दानिश मुजतबा ने बताया कि इलाहाबाद में हॉकी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह एस्टो टर्फ का न होना है क्योंकि हमें आगे इसी पर खेलना होता है. इसके अलावा, यहां अच्छे ट्रेनर और मैदान की कमी है.

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उन्होंने कहा कि अब इलाहाबाद में कुछ ही कालेजों में हॉकी की नर्सरी रह गई है जिसमें इस्लामिया कालेज शामिल है. एक समय कर्नलगंज इंटर कालेज और केपी कालेज में अच्छी प्रैक्टिस हुआ करती थी, लेकिन वहां जगह की कमी होने से अब प्रैक्टिस नहीं होती.

एक अन्य हॉकी खिलाड़ी शाहिद कमाल ने शहर में हॉकी की स्थिति खराब होने के लिए यहां से निकले खिलाड़ियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जो खिलाड़ी आगे निकले जाते हैं और हॉकी के बल पर नौकरी हासिल कर लेते हैं, वे फिर कभी मुड़कर नहीं देखते, जबकि उन्हें नई प्रतिभाओं को निखारने के लिए आगे आना चाहिए।

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प्रयागराज: दुनिया के खेलों के नक्शे पर अपनी हॉकी से बार बार भारत का नाम सुनहरे हरफों में लिखने वाले ध्यानचंद की जन्मस्थली प्रयागराज ने देश को एक दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए, लेकिन अब मूलभूत सुविधाओं और पर्याप्त प्रोत्साहन के अभाव में शहर में राष्ट्रीय खेल के कद्रदां कम रह गए हैं



भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग की बात हो तो ध्यानचंद और उनके जादुई खेल की बात होना लाजिमी है. इसके बावजूद प्रयागराज में मेजर ध्यान चंद के नाम पर एक भी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स या स्टेडियम नहीं होने पर खेद जताते हुए ध्यान चंद के पुत्र अशोक कुमार ने मीडिया से कहा, "कोई भी शहर अपनी विभूतियों पर गर्व करता है और उनकी उपलब्धियों को अपनी धरोहर मानता है."

लक्ष्मीबाई के नाम के साथ झांसी का नाम सदा जुड़ा रहा है. लोग अपने नाम के साथ अपने शहर का नाम जोड़ना शान की बात समझते हैं. इलाहाबाद के लोगों को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद पर गर्व है. उन्होंने कहा कि इस सब के बावजूद यह बात अपने आप में हैरान करती है कि इलाहाबाद में हॉकी से जुड़े लोगों ने सरकार से मेजर ध्यान चंद के नाम पर स्टेडियम या स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने की मांग कभी नहीं की.

ध्यानचंद के बेटे ने कहा कि, 'इसी तरह भारत रत्न के लिए उनके नाम का तीन बार अनुमोदन होने के बाद भी बाबू जी को भारत रत्न नहीं दिया गया, उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में मदन मोहन मालवीय के नाम पर एक स्टेडियम है, जबकि अमिताभ बच्चन के नाम पर एक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स है.



उत्तर प्रदेश की हॉकी टीम से खेलने वाले राजेश वर्मा ने बताया कि इलाहाबाद से आनंद सिंह, इदरीस अहमद, एलबर्ट कैलव, रामबाबू गुप्ता, जगरुद्दीन, सुजित कुमार, ए.एच. आब्दी, आतिफ इदरीस, दानिश मुजदबा जैसे एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं,  उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शहर में हॉकी की बात करने वाले लोग ज्यादा नहीं बचे.  

भारतीय हॉकी टीम को इतने खिलाड़ी देने वाले इस शहर में एस्ट्रो टर्फ का एक भी मैदान नहीं है, जबकि बनारस, मुरादाबाद, रामपुर, गाजीपुर, सैफई और झांसी में एस्ट्रो टर्फ लगा है. हॉकी खिलाड़ी दानिश मुजतबा ने बताया कि इलाहाबाद में हॉकी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह एस्टो टर्फ का न होना है क्योंकि हमें आगे इसी पर खेलना होता है. इसके अलावा, यहां अच्छे ट्रेनर और मैदान की कमी है,

उन्होंने कहा कि अब इलाहाबाद में कुछ ही कालेजों में हॉकी की नर्सरी रह गई है जिसमें इस्लामिया कालेज शामिल है.  एक समय कर्नलगंज इंटर कालेज और केपी कालेज में अच्छी प्रैक्टिस हुआ करती थी, लेकिन वहां जगह की कमी होने से अब प्रैक्टिस नहीं होती.

एक अन्य हॉकी खिलाड़ी शाहिद कमाल ने शहर में हॉकी की स्थिति खराब होने के लिए यहां से निकले खिलाड़ियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जो खिलाड़ी आगे निकले जाते हैं और हॉकी के बल पर नौकरी हासिल कर लेते हैं, वे फिर कभी मुड़कर नहीं देखते, जबकि उन्हें नई प्रतिभाओं को निखारने के लिए आगे आना चाहिए।


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 5:36 AM IST
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