नई दिल्ली: वैश्विक महामारी के कारण अपने परिवार से मीलों दूर रह रहे भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच सोर्ड मारिन लॉकडाउन के इन दिनों में भारत में अपने अनुभवों पर किताब लिखने में व्यस्त हैं.
नीदरलैंड के इस 45 वर्षीय कोच ने स्वीकार किया कि इस मुश्किल घड़ी में पत्नी और बच्चों से दूर रहना मुश्किल है. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है.
मारिन ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के बेंगलुरू केंद्र से एक न्यूज एजेंसी से कहा, "हर किसी की तरह मेरी भी कुछ मुश्किलें हैं. मैं अपने परिवार के साथ नहीं हूं. मैं खुद को अधिक से अधिक व्यस्त रखने की कोशिश करता हूं. मुझे जब भी खाली समय मिलता है तब मैं किताब लिखता हूं."
उन्होंने कहा, "मैं साढ़े तीन साल से भारत में हूं और इस बीच कई दिलचस्प घटनाएं हुई जो कि कोच और व्यावसायिक जिंदगी में काफी मददगार हो सकती हैं."
मारिन राष्ट्रीय स्तर पर बंद की घोषणा होने से पहले स्वदेश लौट रहे थे लेकिन अपने परिवार और टीम की भलाई के लिए ने अपना मन बदल दिया और बीच से ही वापस लौट गए
उन्होने कहा कि, "मैं इसे दिन प्रतिदिन के हिसाब से लेता हूं और बहुत आगे के बारे में नहीं सोचता. मेरा परिवार स्थिति को अच्छी तरह से संभाल रहा है. मेरी पत्नी जिस तरह से परिवार संभाल रही है वह प्रशंसनीय है. उसके सहयोग के बिना मैं यहां नहीं होता.
मारिन ने कहा, 'यहां रुकने का फैसला कड़ा था लेकिन मेरी टीम और भारत के प्रति भी जिम्मेदारियां हैं.' उन्होंने कहा, "मैंने यहीं रुकने का फैसला किया तो तब भी हम पूरा अभ्यास कर रहे थे क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर बंद की घोषणा नहीं की गई थी. यह अच्छा है कि हमारी मुख्य टीम साथ में है. ऐसे में हम अन्य चीजों पर ध्यान देकर इस समय का सदुपयोग कर सकते हैं."
कोविड-19 के कारण विश्व भर की खेल प्रतियोगिताएं रद या स्थगित कर दी गई है. भारतीय महिला हॉकी टीम ऐसे समय में बेंगलुरू में है.
मारिन इस समय का उपयोग टीम के बीच आपसी सद्भाव बेहतर करने और खिलाड़ियों की अंग्रेजी सुधारने के लिये कर रहे हैं.
मारिन ने कहा, "मैं चाहता हूं कि हमारे पास अभी जो समय है हम उसका अच्छी तरह से उपयोग करें क्योंकि जब स्थिति ठीक हो जाएगी तो हम यह कह सकते हैं कि हमने उस समय का सदुपयोग किया था.”