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ध्यानचंद के बेटे चाहते हैं स्टेडियम से हटे गृह मंत्रालय का कार्यालय

नई दिल्ली स्थित ध्यानचंद स्टेडियम के बारे में बार करते हुए ध्यानचंद के पुत्र पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार ने कहा है कि कहने को तो इस स्टेडियम का नाम ध्यानचंद के नाम पर रख दिया लेकिन आप देखो कितने साल हो गए वहां कोई अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट ही नहीं हुआ है और ना राष्ट्रीय प्रतियोगिता वहां होती है.

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Published : Sep 1, 2020, 9:48 PM IST

Updated : Sep 2, 2020, 11:46 AM IST

अशोक कुमार
अशोक कुमार

नई दिल्ली: भारत की ओलंपिक स्वर्ण विजेता हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन और मेजर ध्यानचंद के पुत्र पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार ने इस बात का समर्थन किया है कि नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से गृह मंत्रालय का कार्यालय हटाया जाना चाहिए. दोनों पूर्व हॉकी खिलाड़ियों ने एक सुर में कहा कि खेल स्टेडियमों में खेल से जुड़े दफ्तर ही होने चाहिए.

मेजर ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद

1980 के मास्को ओलंपिक की स्वर्ण विजेता भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भास्करन ने कहा, "स्टेडियमों में मंत्रालयों के बजाए खेल फेडरेशनों को जगह दी जानी चाहिए, जैसे कि पहले होता था. इसके साथ ही स्टेडियम परिसर में खेल म्यूजियम खोले जाने चाहिए."

भारतीय हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन

अशोक कुमार ने कहा, "स्टेडियमों में खेल और खिलाड़ियों से जुड़ी गतिविधियां ही होनी चाहिए."

नई दिल्ली स्थित ध्यानचंद स्टेडियम
नई दिल्ली स्थित ध्यानचंद स्टेडियम

उल्लेखनीय है कि एक हॉकी प्रेमी ने राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से गृह मंत्रालय का कार्यालय हटवाने और मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न के सम्मान से अलंकृत करने का अनुरोध किया है.

ध्यानचंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाते प्रधानमंत्री
ध्यानचंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाते प्रधानमंत्री

भास्करन ने कहा, "मैं लंदन स्थित लॉर्डस स्टेडियम गया तो वहां एक म्यूजियम बना है. उसमें जाने के लिए टिकट लेना पड़ता है. मैं और अशोक कुमार इस मैदान पर 1978 में घास पर चार देशों का हॉकी टूर्नामेंट खेले थे. ऐसा ही हमारे देश में हर स्टेडियम में किया जाना चाहिए. पर्यटन विभाग इसका प्रचार करे तो लोग स्टेडियम में आएंगे. मैंने साई को अपना ब्लेजर, हॉकी स्टिक आदि म्यूजियम के लिए दी हुई है."

ध्यानचंद स्टेडियम के सामने खेल मंत्री किरेन रिजिजू
ध्यानचंद स्टेडियम के सामने खेल मंत्री किरेन रिजिजू

अशोक ने कहा, "कहने को तो इस स्टेडियम का नाम ध्यानचंद के नाम पर रख दिया लेकिन आप देखो कितने साल हो गए वहां कोई अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट ही नहीं हुआ है. ना राष्ट्रीय प्रतियोगिता वहां होती है. गृह मंत्रालय काफी संवेदनशील होता है. ये खेल से मेल नहीं खाता है. उसका दफ्तर ध्यानचंद स्टेडियम में खोलने का फैसला अजब था. ये ठीक नहीं था, इसे बदलना चाहिए. खिलाड़ियों को दिक्कत तो होती होगी. खिलाड़ी तो खुलकर घूमना या इधर उधर जाना चाहते हैं. वो अब हो नहीं पाता."

नई दिल्ली: भारत की ओलंपिक स्वर्ण विजेता हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन और मेजर ध्यानचंद के पुत्र पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार ने इस बात का समर्थन किया है कि नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से गृह मंत्रालय का कार्यालय हटाया जाना चाहिए. दोनों पूर्व हॉकी खिलाड़ियों ने एक सुर में कहा कि खेल स्टेडियमों में खेल से जुड़े दफ्तर ही होने चाहिए.

मेजर ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद

1980 के मास्को ओलंपिक की स्वर्ण विजेता भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भास्करन ने कहा, "स्टेडियमों में मंत्रालयों के बजाए खेल फेडरेशनों को जगह दी जानी चाहिए, जैसे कि पहले होता था. इसके साथ ही स्टेडियम परिसर में खेल म्यूजियम खोले जाने चाहिए."

भारतीय हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन

अशोक कुमार ने कहा, "स्टेडियमों में खेल और खिलाड़ियों से जुड़ी गतिविधियां ही होनी चाहिए."

नई दिल्ली स्थित ध्यानचंद स्टेडियम
नई दिल्ली स्थित ध्यानचंद स्टेडियम

उल्लेखनीय है कि एक हॉकी प्रेमी ने राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से गृह मंत्रालय का कार्यालय हटवाने और मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न के सम्मान से अलंकृत करने का अनुरोध किया है.

ध्यानचंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाते प्रधानमंत्री
ध्यानचंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाते प्रधानमंत्री

भास्करन ने कहा, "मैं लंदन स्थित लॉर्डस स्टेडियम गया तो वहां एक म्यूजियम बना है. उसमें जाने के लिए टिकट लेना पड़ता है. मैं और अशोक कुमार इस मैदान पर 1978 में घास पर चार देशों का हॉकी टूर्नामेंट खेले थे. ऐसा ही हमारे देश में हर स्टेडियम में किया जाना चाहिए. पर्यटन विभाग इसका प्रचार करे तो लोग स्टेडियम में आएंगे. मैंने साई को अपना ब्लेजर, हॉकी स्टिक आदि म्यूजियम के लिए दी हुई है."

ध्यानचंद स्टेडियम के सामने खेल मंत्री किरेन रिजिजू
ध्यानचंद स्टेडियम के सामने खेल मंत्री किरेन रिजिजू

अशोक ने कहा, "कहने को तो इस स्टेडियम का नाम ध्यानचंद के नाम पर रख दिया लेकिन आप देखो कितने साल हो गए वहां कोई अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट ही नहीं हुआ है. ना राष्ट्रीय प्रतियोगिता वहां होती है. गृह मंत्रालय काफी संवेदनशील होता है. ये खेल से मेल नहीं खाता है. उसका दफ्तर ध्यानचंद स्टेडियम में खोलने का फैसला अजब था. ये ठीक नहीं था, इसे बदलना चाहिए. खिलाड़ियों को दिक्कत तो होती होगी. खिलाड़ी तो खुलकर घूमना या इधर उधर जाना चाहते हैं. वो अब हो नहीं पाता."

Last Updated : Sep 2, 2020, 11:46 AM IST
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