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सफल स्ट्राइकर बनने के लिए छठी इंद्री को जगाना पड़ता है: भूटिया - भूटिया न्यूज

बाइचुंग भूटिया ने कहा, "एक स्ट्राइकर के तौर पर आपको भांपना होता है क्योंकि आपके पास गेंद को नेट में डालने के लिए सिर्फ एक सेकेंड चाहिए होता है. यहीं स्ट्राइकर को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए.

baichung bhutiya
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Published : Aug 1, 2020, 1:48 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा है कि सभी स्ट्राइकर के लिए लगातार गोल करने के लिए छठी इंद्री को जगाना जरूरी है. भूटिया ने कहा, "ये छठी इंद्री की बात है. आपको सूंघना पड़ता है कि गोल कहां से आ रहा है. विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों के पास यह क्षमता होती है. आपको स्थिति को पढ़ना होता है. जब तक आप छठी इंद्री को नहीं जगाते हैं तो आप सफल स्ट्राइकर नहीं बन सकते."

टीम के मौजूदा कप्तान सुनील छेत्री ने एक बार कहा था कि, 'भूटिया भाई के लिए गोल करना जीने-मरने की बात थी.' इस बात का हवाला देते हुए भूटिया ने कहा कि जब भी आपको लगे कि मौका है तो आपको कोशिश करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "10 में से एक या दो स्थिति में आपको गोल करने का मौका मिलता है. लेकिन आपको यह लगातार करना होता है."

baichung bhutiya
बाइचुंग भूटिया

उन्होंने कहा, "एक स्ट्राइकर के तौर पर आपको भांपना होता है क्योंकि आपके पास गेंद को नेट में डालने के लिए सिर्फ एक सेकेंड चाहिए होता है. यहीं स्ट्राइकर को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए.

उन्होंने कहा, "कई बार स्ट्राइकर मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि जब हम गोल नहीं कर पा रहे होते हैं तो क्या करें. मैं सिर्फ उनसे यही कहता हूं कि चाहे कुछ भी हो आपको मौके के पीछे भागना होगा. अगर आप नौ बार असफल होकर हिम्मत हार जाते हो तो आप 10वीं बार गेंद के पास भी नहीं पहुंचोगे."

भूटिया ने कहा, "अगर आप रोनाल्डो और मेसी को देखेंगे तो पता चलेगा कि वह हर बार 3-4 डिफेंडरों को पार करते हैं. सभी स्ट्राइकर गेंद का इंतजार करते हैं और टच करते हैं. अंत में यह मौका भांपने की बात है, मैं दोबारा कहता हूं कि अगर आप लगातार कोशिश नहीं करेंगे, मौके नहीं बनाएंगे आप वो भांपने की आदत को नहीं जगा पाएंगे."

नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा है कि सभी स्ट्राइकर के लिए लगातार गोल करने के लिए छठी इंद्री को जगाना जरूरी है. भूटिया ने कहा, "ये छठी इंद्री की बात है. आपको सूंघना पड़ता है कि गोल कहां से आ रहा है. विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों के पास यह क्षमता होती है. आपको स्थिति को पढ़ना होता है. जब तक आप छठी इंद्री को नहीं जगाते हैं तो आप सफल स्ट्राइकर नहीं बन सकते."

टीम के मौजूदा कप्तान सुनील छेत्री ने एक बार कहा था कि, 'भूटिया भाई के लिए गोल करना जीने-मरने की बात थी.' इस बात का हवाला देते हुए भूटिया ने कहा कि जब भी आपको लगे कि मौका है तो आपको कोशिश करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "10 में से एक या दो स्थिति में आपको गोल करने का मौका मिलता है. लेकिन आपको यह लगातार करना होता है."

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बाइचुंग भूटिया

उन्होंने कहा, "एक स्ट्राइकर के तौर पर आपको भांपना होता है क्योंकि आपके पास गेंद को नेट में डालने के लिए सिर्फ एक सेकेंड चाहिए होता है. यहीं स्ट्राइकर को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए.

उन्होंने कहा, "कई बार स्ट्राइकर मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि जब हम गोल नहीं कर पा रहे होते हैं तो क्या करें. मैं सिर्फ उनसे यही कहता हूं कि चाहे कुछ भी हो आपको मौके के पीछे भागना होगा. अगर आप नौ बार असफल होकर हिम्मत हार जाते हो तो आप 10वीं बार गेंद के पास भी नहीं पहुंचोगे."

भूटिया ने कहा, "अगर आप रोनाल्डो और मेसी को देखेंगे तो पता चलेगा कि वह हर बार 3-4 डिफेंडरों को पार करते हैं. सभी स्ट्राइकर गेंद का इंतजार करते हैं और टच करते हैं. अंत में यह मौका भांपने की बात है, मैं दोबारा कहता हूं कि अगर आप लगातार कोशिश नहीं करेंगे, मौके नहीं बनाएंगे आप वो भांपने की आदत को नहीं जगा पाएंगे."

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