नई दिल्ली: भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ी अकील अंसारी का मानना है कि दिग्गज स्ट्राइकर आई.एम. विजयन को मैदान पर अपने टीम साथियों के साथ हिंदी में बात करने में परेशानी होती थी, लेकिन इसकी भरपाई उन्होंने फुटबॉल की भाषा की अपनी शानदार समझ के साथ की.
अंसारी ने कहा, "विजयन भाई, हमारे सीनियर थे और आप उनके बारे में जितना बात करो उतना कम है. उनकी हिंदी ज्यादा अच्छी नहीं थी और बात करने के दौरान कभी कभी उन्हें जूझना भी पड़ता था."
उन्होंने कहा, "लेकिन वो फुटबॉल की भाषा को दूसरों से ज्यादा जानते थे और खेल को पढ़ने की उनकी क्षमता शानदार थी. वो एक ऐसे खिलाड़ी थे जो सही समय पर सही जगह पर पहुंचते थे और चीजों को आसान कर देते थे."
विजयन ने 1993 में पाकिस्तान में पहले दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ कप में चार मैचों में चार गोल करके भारत को खिताबी जीत दिलाने में अहम योगदान दिया था.
अंसारी ने कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो हमारे सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर थे. लाहौर में उन्होंने कड़ी मेहनत की थी और वो हमारे सबसे अहम खिलाड़ी थे."
अकील और तेजिंदर कुमार ने 20 जनवरी 1993 को मद्रास (अब चेन्नई) के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में फिनलैंड के खिलाफ मैच से अपना अंतरराष्ट्रीय पर्दापण किया था. तेजिंदर ने कहा कि पाकिस्तानी प्रशंसकों ने भारतीय खिलाड़ियों से कहा था कि वे खिताब जीते बिना लौटेंगे.
तेजिंदर ने कहा, "जब हम पाकिस्तान पहुंचे थे तो हमारे आसपास काफी खुशनुमा चेहरे थे. हमारा शानदार स्वागत किया गया और हमें घर जैसा एहसास हुआ. लेकिन हवाई अड्डे पर कुछ लोग हंसे और कहने लगे कि भाईजान स्वागत है लेकिन आप लोग हार के ही लौटेंगे."