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भीगी पलकों से फैंस ने दी अपने महानायक डिएगो माराडोना को अंतिम विदाई

जार्डिन बेल्ला विस्टा कब्रिस्तान पर एक निजी धार्मिक समारोह और अंतिम संस्कार के लिए करीब दो दर्जन लोग मौजूद थे. माराडोना को उनके माता पिता डालमा और डिएगो के पास दफनाया गया.

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Published : Nov 27, 2020, 3:53 PM IST

ब्यूनस आयर्स : अपने महानायक डिएगो माराडोना को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की तादाद में फुटबॉलप्रेमियों का हुजूम यहां सड़कों पर उमड़ पड़ा जो आंखों में आंसू और हाथ में अर्जेंटीना का झंडा लिए फुटबॉल के गीत गाते रहे जिन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा.

माराडोना के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन शाम छह बजे बंद कर दिए गए. इससे उनकी एक झलक पाने को आतुर दर्शक उतावले हो गए और कब्रिस्तान के दरवाजों पर तनाव पैदा हो गया.

जार्डिन बेल्ला विस्टा कब्रिस्तान पर एक निजी धार्मिक समारोह और अंतिम संस्कार के लिए करीब दो दर्जन लोग मौजूद थे. माराडोना को उनके माता पिता डालमा और डिएगो के पास दफनाया गया.

उनकी अंतिम यात्रा में प्रशंसक फुटबॉल के गीत गा रहे थे जबकि कुछ ने राष्ट्रध्वज लपेटा हुआ था. उन्होंने प्लाजा डे मायो से 20 ब्लॉक की दूरी पर लंबी कतार बना रखी थी.

यह वही जगह है जहां माराडोना की अगुवाई में 1986 विश्व कप जीतने पर जश्न मनाया गया था.

Diego Maradona
डिएगो माराडोना की अंतिम विदाई

उनके अंतिम दर्शन का समय कम करने से क्रोधित प्रशंसकों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. प्रशंसकों ने पुलिस पर पत्थर फेंके जिसके जवाब में पुलिस ने रबर बुलेट चलाई.

हिंसा की वजह से कइयों को चोटे आई और गिरफ्तारियां भी हुई जिससे माराडोना के परिवार ने सार्वजनिक दर्शन बंद करने का फैसला लिया. इसके बाद ताबूत को कार पर रखा गया जिस पर माराडोना का नाम लिखा था.

उन्हें अंतिम विदाई देने को आतुर प्रशंसक राष्ट्रपति भवन की दीवारों पर चढ गए मानों वह फुटबॉल का स्टेडियम हो. दमकलकर्मी उन्हें हटाने के लिए जूझते रहे.

उनके जनाजे के रवाना होने के साथ ही लोग नारे लगाने लगे, डिएगो मरा नहीं है , डिएगो लोगों के दिलों में रहता है. अंतिम यात्रा में गाड़ियों के काफिले के साथ पुलिस भी थी.

माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.

Diego Maradona
डिएगो माराडोना की अंतिम विदाई

उनके प्रशंसक उनकी अंतिम यात्रा में जज्बात पर काबू नहीं रख सके और बिलखते हुए उन्होंने ताबूत को चुंबन दिए. माराडोना का पार्थिव शरीर अर्जेंटीना के ध्वज और दस नंबर की जर्सी में लिपटा हुआ था. बोका जूनियर्स क्लब से लेकर राष्ट्रीय टीम तक उन्होंने दस नंबर की जर्सी ही पहनी.

उनकी बेटियों और परिवार के करीबी सदस्यों ने पहले विदाई दी. उनकी पूर्व पत्नी क्लाउडिया विलाफेर माराडोना की बेटियों डालमा और जियानिन्ना के साथ आई थी. उसके बाद उनकी अन्य पूर्व पत्नी वेरोनिका उनके बेटे डिएगुइटो फर्नांडो के साथ आई.

उनकी बेटा जाना माराडोना भी अंतिम संस्कार के समय मौजूद थी.

इसके बाद 1986 विश्व कप विजेता टीम के साथी खिलाड़ी पहुंचे जिनमें आस्कर रगेरी शामिल थे. अर्जेंटीना के कई अन्य फुटबॉलर भी इस मौके पर मौजूद थे.

इससे पहले सुबह राष्ट्रपति अलबर्टो फर्नांडिज ने उनके ताबूत पर अर्जेंटीनोस जूनियर्स टीम की जर्सी रखी जहां से माराडोना ने फुटबॉल के अपने सफर की शुरूआत की थी.

उन्होंने मानवाधिकार संगठन 'मदर ऑफ द प्लाजा डे मायो' के दो रूमाल भी माराडोना के पार्थिव शरीर के पास रखे. माराडोना 1976 से 1983 के बीच अर्जेंटीना में सैन्य तानाशाही के दौरान बच्चों के गायब होने के विरोध में बरसों तक ये रूमाल पहनकर खेले थे.

वामपंथ की ओर रूझान रखने वाले माराडोना ने अपने एक हाथ पर क्रांतिकारी चे ग्वेरा की तस्वीर बना रखी थी. इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप 1986 क्वार्टर फाइनल में दो गोल दागकर वह अर्जेंटीना के महानायक बन गए थे. अर्जेंटीना के लिये वह जीत महज एक फुटबॉल की जीत नहीं थी बल्कि फाकलैंड युद्ध में मिली हार का बदला भी थी.

ब्यूनस आयर्स : अपने महानायक डिएगो माराडोना को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की तादाद में फुटबॉलप्रेमियों का हुजूम यहां सड़कों पर उमड़ पड़ा जो आंखों में आंसू और हाथ में अर्जेंटीना का झंडा लिए फुटबॉल के गीत गाते रहे जिन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा.

माराडोना के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन शाम छह बजे बंद कर दिए गए. इससे उनकी एक झलक पाने को आतुर दर्शक उतावले हो गए और कब्रिस्तान के दरवाजों पर तनाव पैदा हो गया.

जार्डिन बेल्ला विस्टा कब्रिस्तान पर एक निजी धार्मिक समारोह और अंतिम संस्कार के लिए करीब दो दर्जन लोग मौजूद थे. माराडोना को उनके माता पिता डालमा और डिएगो के पास दफनाया गया.

उनकी अंतिम यात्रा में प्रशंसक फुटबॉल के गीत गा रहे थे जबकि कुछ ने राष्ट्रध्वज लपेटा हुआ था. उन्होंने प्लाजा डे मायो से 20 ब्लॉक की दूरी पर लंबी कतार बना रखी थी.

यह वही जगह है जहां माराडोना की अगुवाई में 1986 विश्व कप जीतने पर जश्न मनाया गया था.

Diego Maradona
डिएगो माराडोना की अंतिम विदाई

उनके अंतिम दर्शन का समय कम करने से क्रोधित प्रशंसकों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. प्रशंसकों ने पुलिस पर पत्थर फेंके जिसके जवाब में पुलिस ने रबर बुलेट चलाई.

हिंसा की वजह से कइयों को चोटे आई और गिरफ्तारियां भी हुई जिससे माराडोना के परिवार ने सार्वजनिक दर्शन बंद करने का फैसला लिया. इसके बाद ताबूत को कार पर रखा गया जिस पर माराडोना का नाम लिखा था.

उन्हें अंतिम विदाई देने को आतुर प्रशंसक राष्ट्रपति भवन की दीवारों पर चढ गए मानों वह फुटबॉल का स्टेडियम हो. दमकलकर्मी उन्हें हटाने के लिए जूझते रहे.

उनके जनाजे के रवाना होने के साथ ही लोग नारे लगाने लगे, डिएगो मरा नहीं है , डिएगो लोगों के दिलों में रहता है. अंतिम यात्रा में गाड़ियों के काफिले के साथ पुलिस भी थी.

माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.

Diego Maradona
डिएगो माराडोना की अंतिम विदाई

उनके प्रशंसक उनकी अंतिम यात्रा में जज्बात पर काबू नहीं रख सके और बिलखते हुए उन्होंने ताबूत को चुंबन दिए. माराडोना का पार्थिव शरीर अर्जेंटीना के ध्वज और दस नंबर की जर्सी में लिपटा हुआ था. बोका जूनियर्स क्लब से लेकर राष्ट्रीय टीम तक उन्होंने दस नंबर की जर्सी ही पहनी.

उनकी बेटियों और परिवार के करीबी सदस्यों ने पहले विदाई दी. उनकी पूर्व पत्नी क्लाउडिया विलाफेर माराडोना की बेटियों डालमा और जियानिन्ना के साथ आई थी. उसके बाद उनकी अन्य पूर्व पत्नी वेरोनिका उनके बेटे डिएगुइटो फर्नांडो के साथ आई.

उनकी बेटा जाना माराडोना भी अंतिम संस्कार के समय मौजूद थी.

इसके बाद 1986 विश्व कप विजेता टीम के साथी खिलाड़ी पहुंचे जिनमें आस्कर रगेरी शामिल थे. अर्जेंटीना के कई अन्य फुटबॉलर भी इस मौके पर मौजूद थे.

इससे पहले सुबह राष्ट्रपति अलबर्टो फर्नांडिज ने उनके ताबूत पर अर्जेंटीनोस जूनियर्स टीम की जर्सी रखी जहां से माराडोना ने फुटबॉल के अपने सफर की शुरूआत की थी.

उन्होंने मानवाधिकार संगठन 'मदर ऑफ द प्लाजा डे मायो' के दो रूमाल भी माराडोना के पार्थिव शरीर के पास रखे. माराडोना 1976 से 1983 के बीच अर्जेंटीना में सैन्य तानाशाही के दौरान बच्चों के गायब होने के विरोध में बरसों तक ये रूमाल पहनकर खेले थे.

वामपंथ की ओर रूझान रखने वाले माराडोना ने अपने एक हाथ पर क्रांतिकारी चे ग्वेरा की तस्वीर बना रखी थी. इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप 1986 क्वार्टर फाइनल में दो गोल दागकर वह अर्जेंटीना के महानायक बन गए थे. अर्जेंटीना के लिये वह जीत महज एक फुटबॉल की जीत नहीं थी बल्कि फाकलैंड युद्ध में मिली हार का बदला भी थी.

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