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बाइचुंग भूटिया, सुब्रता भट्टाचार्य और श्याम थापा ने किया बनर्जी को याद, कहीं दिल छू लेने वाली बातें

भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया, पर्व डिफेंडर सुब्रता भट्टाचार्य और स्ट्राइकर श्याम थापा ने पी.के बनर्जी को याद किया है और भुवक बातें कहीं हैं.

pk banerjee
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Published : Mar 20, 2020, 7:55 PM IST

कोलकाता : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया, भारतीय फुटबॉल टीम पूर्व डिफेंडर सुब्रता भट्टाचार्य और महान स्ट्राइकर श्याम थापा ने पीके बनर्जी के बारे में दिल छू लेने वाली बातें कहीं हैं. भूटिया ने अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक दिवगांत पी.के. बनर्जी के कोच रहते खेला जिनका शुक्रवार को निधन हो गया.

बनर्जी के सीने में संक्रमण के कारण 83 साल की उम्र में निधन हो गया. 1997 फेडरेशन कप के सेमीफाइनल में कोच बनर्जी की ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान को 4-1 से हरा दिया था. 1,31,000 दर्शकों के सामने खेले गए इस मैच में भूटिया ने हैट्रिक लगाई थी.

बाइचुंग भूटिया
बाइचुंग भूटिया

भूटिया ने कहा,"वो बेहद शानदार इंसान थे. काफी खुश शख्सियत और मेरे लिए मेरे पिता समान. मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने अपने सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक उनके मागदर्शन में खेला. उनका जाना भारतीय फुटबॉल के लिए बड़ा नुकसान है. वो भारत के महानतम खिलाड़ी और प्रशिक्षकों में हैं."

बनर्जी ने भारत के लिए 36 आधिकारिक मैच खेले थे और कुल 19 गोल किए थे. वह अर्जुन अवार्ड जीतने वाले भारत के पहले फुटबॉल खिलाड़ी थे.

पी.के. बनर्जी मेरे गॉडफादर थे : श्याम थापा

थापा ने कहा,"मैं जब 1975 में ईस्ट बंगाल में था तब मैंने मोहन बाहान के चार डिफेंडरों को छकाते हुए गोल किया था. प्रदीप दा मेरे कोच थे। हां, मैंने गोल किया लेकिन आपको विश्वास नहीं होगा कि ये प्रदीप दा के कारण संभव हो सका था. इसे मानने के लिए आपको इस देखना होगा. वो जादुई थे."

इसके तीन साल बाद 1978 में कलकत्ता फुटबॉल लीग मोहन बागान से खेलते हुए थापा ने ईस्ट बंगाल के खिलाफ बेहतरीन वॉली गोल किया था. ये गोल भी एक तरह से जादुई गोल था जिसे अभी तक याद किया जाता है. थापा ने कहा कि इस गोल का श्रेय भी बनर्जी को जाता है.

श्याम थापा
श्याम थापा

थापा ने कहा,"वो ऐसा गोला था जिसके बारे में मुझे अभी तक पूछा जाता है. लोग मुझे सड़क पर देखते हैं और उस गोल को याद करते हैं. लेकिन अगर आप मुझसे पूछेंगे तो उसका श्रेय भी प्रदीप दा को जाता है. सिर्फ तकनीकी कारणों से नहीं बल्कि उन्होंने मुझे प्रेरित किया था. सिर्फ मुझे नहीं सभी को, आप चाहें तो टीम के किसी भी सदस्य से पूछ हें. वो बता देंगे."

थापा ने कहा,"मैंने प्रदीप दा के मार्गदर्शन में भी खेला है. वो बेहतरीन नेतृत्वकर्ता थे. मैं इस तरह के माहन कोच के मार्गदर्शन में नहीं खेला. वो बेहतरीन इंसान थे और ऐसे शख्स जो मेरे अंदर से मेरा सर्वश्रेष्ठ निकालना चाहते थे. मैं श्याम थापा इसलिए हूं क्योंकि मेरे पास मेरा मागदर्शन करने के लिए प्रदीप कुमार बनर्जी बनो. वो मेरे गॉफादर थे."

पी.के. बनर्जी ने हमें पेले के खिलाफ डिफेंस करना सिखाया : सुब्रता

सुब्रता ने उनके निधन पर कहा,"उन्होंने हमें वो सिखाया जो किसी और ने नहीं सिखाया. एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर प्रदीप दा का भारतीय फुटबॉल में योगदान अतुलनीय है और मुझे इस बात को कहने की जरूरत नहीं है."

सुब्रता भट्टाचार्य
सुब्रता भट्टाचार्य

बनर्जी, मोहन बागान की उस टीम के कोच थे जिसने पेले की टीम न्यूयॉर्क कोस्मोस को 2-2 से ड्रॉ पर रोक दिया था. सुब्रता उस मोहन बागान टीम के कप्तान थे. इस टीम में शिबाजी बनर्जी, प्रसून बनर्जी, गौतम सरकार, बिदेश बोस, श्याम थापा और प्रदीप चौधरी थे.

सुब्रता ने कहा,"वो लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. मैं नहीं जानता कि इस समय क्या कहूं. हां, यह होना था लेकिन ये वो नुकसान है जिसक बयां शब्दों में नहीं किया जा सकता. मेरे पास उनकी कई यादें हैं."

कोलकाता : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया, भारतीय फुटबॉल टीम पूर्व डिफेंडर सुब्रता भट्टाचार्य और महान स्ट्राइकर श्याम थापा ने पीके बनर्जी के बारे में दिल छू लेने वाली बातें कहीं हैं. भूटिया ने अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक दिवगांत पी.के. बनर्जी के कोच रहते खेला जिनका शुक्रवार को निधन हो गया.

बनर्जी के सीने में संक्रमण के कारण 83 साल की उम्र में निधन हो गया. 1997 फेडरेशन कप के सेमीफाइनल में कोच बनर्जी की ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान को 4-1 से हरा दिया था. 1,31,000 दर्शकों के सामने खेले गए इस मैच में भूटिया ने हैट्रिक लगाई थी.

बाइचुंग भूटिया
बाइचुंग भूटिया

भूटिया ने कहा,"वो बेहद शानदार इंसान थे. काफी खुश शख्सियत और मेरे लिए मेरे पिता समान. मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने अपने सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक उनके मागदर्शन में खेला. उनका जाना भारतीय फुटबॉल के लिए बड़ा नुकसान है. वो भारत के महानतम खिलाड़ी और प्रशिक्षकों में हैं."

बनर्जी ने भारत के लिए 36 आधिकारिक मैच खेले थे और कुल 19 गोल किए थे. वह अर्जुन अवार्ड जीतने वाले भारत के पहले फुटबॉल खिलाड़ी थे.

पी.के. बनर्जी मेरे गॉडफादर थे : श्याम थापा

थापा ने कहा,"मैं जब 1975 में ईस्ट बंगाल में था तब मैंने मोहन बाहान के चार डिफेंडरों को छकाते हुए गोल किया था. प्रदीप दा मेरे कोच थे। हां, मैंने गोल किया लेकिन आपको विश्वास नहीं होगा कि ये प्रदीप दा के कारण संभव हो सका था. इसे मानने के लिए आपको इस देखना होगा. वो जादुई थे."

इसके तीन साल बाद 1978 में कलकत्ता फुटबॉल लीग मोहन बागान से खेलते हुए थापा ने ईस्ट बंगाल के खिलाफ बेहतरीन वॉली गोल किया था. ये गोल भी एक तरह से जादुई गोल था जिसे अभी तक याद किया जाता है. थापा ने कहा कि इस गोल का श्रेय भी बनर्जी को जाता है.

श्याम थापा
श्याम थापा

थापा ने कहा,"वो ऐसा गोला था जिसके बारे में मुझे अभी तक पूछा जाता है. लोग मुझे सड़क पर देखते हैं और उस गोल को याद करते हैं. लेकिन अगर आप मुझसे पूछेंगे तो उसका श्रेय भी प्रदीप दा को जाता है. सिर्फ तकनीकी कारणों से नहीं बल्कि उन्होंने मुझे प्रेरित किया था. सिर्फ मुझे नहीं सभी को, आप चाहें तो टीम के किसी भी सदस्य से पूछ हें. वो बता देंगे."

थापा ने कहा,"मैंने प्रदीप दा के मार्गदर्शन में भी खेला है. वो बेहतरीन नेतृत्वकर्ता थे. मैं इस तरह के माहन कोच के मार्गदर्शन में नहीं खेला. वो बेहतरीन इंसान थे और ऐसे शख्स जो मेरे अंदर से मेरा सर्वश्रेष्ठ निकालना चाहते थे. मैं श्याम थापा इसलिए हूं क्योंकि मेरे पास मेरा मागदर्शन करने के लिए प्रदीप कुमार बनर्जी बनो. वो मेरे गॉफादर थे."

पी.के. बनर्जी ने हमें पेले के खिलाफ डिफेंस करना सिखाया : सुब्रता

सुब्रता ने उनके निधन पर कहा,"उन्होंने हमें वो सिखाया जो किसी और ने नहीं सिखाया. एक खिलाड़ी और कोच के तौर पर प्रदीप दा का भारतीय फुटबॉल में योगदान अतुलनीय है और मुझे इस बात को कहने की जरूरत नहीं है."

सुब्रता भट्टाचार्य
सुब्रता भट्टाचार्य

बनर्जी, मोहन बागान की उस टीम के कोच थे जिसने पेले की टीम न्यूयॉर्क कोस्मोस को 2-2 से ड्रॉ पर रोक दिया था. सुब्रता उस मोहन बागान टीम के कप्तान थे. इस टीम में शिबाजी बनर्जी, प्रसून बनर्जी, गौतम सरकार, बिदेश बोस, श्याम थापा और प्रदीप चौधरी थे.

सुब्रता ने कहा,"वो लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. मैं नहीं जानता कि इस समय क्या कहूं. हां, यह होना था लेकिन ये वो नुकसान है जिसक बयां शब्दों में नहीं किया जा सकता. मेरे पास उनकी कई यादें हैं."

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