कोलकाता: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने देश के चौथे सबसे बड़े अवॉर्ड-पद्मश्री अवॉर्ड के लिए दिग्गज फुटबॉलर आईएम विजयन का नाम खेल मंत्रालय को भेजने का फैसला किया है. एक शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
51 साल के विजयन 2003 में अर्जुन अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं. तीन बार एआईएफएफ प्लयर्स ऑफ द ईयर रहे विजयन को देश के सबसे कुशल फुटबॉलरों में से एक माना जाता है.
वियजन ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत साल 1989 से की थी. उन्होंने 1992 से 2003 के बीच तक भारत के लिए 79 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 40 गोल दागे थे. वह 1999 में दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशप कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.
उन्होंने उस टूर्नामेंट में भुटान के खिलाफ 12वें सेकेंड में गोल दाग दिया था, जोकि टूनार्मेंट के इतिहास में सबसे तेज अंतर्राष्ट्रीय गोल है.
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा, "हां, हमने विजयन का नाम पद्मश्री के लिए गृह मंत्रालय भेजा है."
विजयन ने 2000 से 2004 तक भारतीय टीम की अगुआई की. उनकी साथी स्ट्राइकर बाईचुंग भूटिया के साथ जोड़ी बेहतरीन हुआ करती थी. साल 1999 में खेले गए साउथ एशियन गेम्स में विजयन ने पाकिस्तान के खिलाफ हैट्रिक भी लगाई थी.
क्लब स्तर पर वह मोहन बागान, केरल पुलिस और अब बंद कर दिए गए एफसी कोच्चि और जेसीटी मिल्स फगवाड़ा के लिए खेले थे.
वह 2003 में भारत में हुए एफ्रो एशियाई खेलों में चार गोल करके शीर्ष स्कोरर रहे थे. यह उनका देश के लिए अंतिम टूर्नामेंट था जिसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया था.
विजयन अपने गृहनगर त्रिचूर के कोरपोरेशन स्टेडियम में फुटबॉल मैचों के दौरान सोडा बेचा करते थे, उन्होंने 17 साल की उम्र में केरल पुलिस फुटबॉल क्लब के लिए बतौर स्ट्राइकर करियर शुरू किया था
संन्यास के बाद उन्होंने अपने गृह नगर में युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए फुटबॉल अकादमी खोली.
बता दें कि आईएम विजयन को 1992, 1997 और 2000 में एआईएफएफ प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब मिल चुका है.