नई दिल्ली : विश्वजीत ने मीडिया से बात करते हुए कहा देश में प्रतिभा की कमी नहीं है बल्कि खिलाड़ियों को निखारने की प्रक्रिया में कमी है. वो चाहते हैं कि फुटबॉल महासंघ इसके लिए प्रयास करे. सही मायनों में छेत्री के बाद भारत के पास कोई मजबूत स्ट्राइकर नजर नहीं आता है.
दो-तीन टीमों की जरूरत है
उन्होंने कहा, "एआईएफएफ की सिर्फ एक जूनियर टीम है वो है इंडियन एरोज. आपको इस तरह की दो-तीन टीमों की जरूरत है जिनके बीच समान प्रतिस्पर्धा हो, जो इस पूरे काम को मुमकिन कर सके और यही कारण है कि देश में प्रतिभाशाली युवा नहीं आ रहे हैं."
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उन्होंने साथ ही सुझाव देते हुए कहा कि एआईएफएफ को विदेशी प्रशिक्षकों के साथ भारतीय प्रशिक्षकों को काम करने देना चाहिए, क्योंकि इससे भारतीय फुटबॉल को फायदा होगा.
भारतीय प्रशिक्षक सीख सकते हैं
उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि भारतीय प्रशिक्षक काबिल नहीं हैं, लेकिन विदेशों में काफी ज्यादा ध्यान युवा खिलाड़ियों को निखारने पर दिया जाता है और भारतीय प्रशिक्षक इस बात से सीख सकते हैं." अपने समय के दिग्गज स्ट्राइकर ने कहा है कि इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) को भी स्ट्राइकरों को निकालने के लिए प्रयास करने चाहिए क्योंकि वह देश की मुख्य लीग है.
सिस्टम का पालन नहीं कर रही टीमें
उन्होंने कहा, "आईएसएल इसीलिए शुरू हुई थी कि भारत के युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निखार सके. आयोजकों और एआईएफएफ के बीच लीग शुरू करते हुए जो बात हुई थी वो यह थी कि हर क्लब आयु सूमह में अपनी टीम बनाएगा और युवा खिलाड़ियों को तैयार करेगा. जहां तक मुझे पता है कि सिर्फ मुंबई सिटी एफसी के अलावा कोई अन्य क्लब सही तरीके से सिस्टम का पालन नहीं कर रहा. अधिकतर टीम सिर्फ कागजों पर ही यह कर रही हैं."
कोच इगोर स्टीमाक ने नाखुशी जाहिर की
उन्होंने कहा, "स्थिति यह है कि जब राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच इगोर स्टीमाक ने अफगानिस्तान के खिलाफ हुए मैच के बाद यह जानना चाहा कि भारतीय खिलाड़ियों का अगला सेट क्या है तो जो इस डेवलपमेंट कार्यक्रम के मुख्य में थे उनका मुंह बंद रह गया."
बिस्वजीत के मुताबिक, स्टीमाक कई बार इसे लेकर अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं.