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ईस्ट बंगाल ने मनाया '100 साल बेमिसाल' का जश्न - ईस्ट बंगाल न्यूज

ईस्ट बंगाल ने 1 अगस्त 2020 को मनाया अपने 100 साल पूरे होने का जश्न. बीते साल 2019 में क्लब ने 100वें साल को सेलिब्रेट करते हुए "अ सेंचूरी ऑफ स्पंक" की टैगलाइन दी थी.

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Published : Aug 1, 2020, 12:04 PM IST

हैदराबाद: ईस्ट बंगाल, भारत के सबसे ऐतिहासिक फुटबॉल क्लबों में से एक है जिसने 2020 में अपने 100 साल पूरे किए हैं. पिछले साल इस 100वें वर्ष को मनाने के लिए 2019 में ईस्ट बंगाल की ओर से "अ सेंचूरी ऑफ स्पंक" की टैग लाइन दी गई थी. ईस्ट बंगाल एक क्लब से बढ़कर एक इमोशन है. इस क्लब की नींव पूर्वी बंगाल के लोगों के लिए रखी गई थी जो कि अब बांग्लादेश है. ये क्लब खासकर उन लोगों के लिए था जिनका बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं है लेकिन वो भावनात्मक रूप से क्लब से जुड़ना चाहते हैं.

East bengal
ईस्ट बंगाल के फैंस

क्लब की नींव

28 जुलाई, 1920 को, जब जोरबागन क्लब ने मोहन बागान के खिलाफ होने वाले मैच में अपनी टीम के दो खिलाड़ियों को सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि वो पूर्वी बंगाल से थे. जिसके बाद क्लब के एक अधिकारी सुरेश चंद्र चौधरी ने एक क्लब की शुरूआत करने का फैसला किया, जो बंगाल के इस हिस्से के खिलाड़ियों के साथ गलत व्यवहार न करे. संतोष के महाराजा (जिसके बाद संतोष ट्रॉफी नाम रखा गया है) और उनके दोस्त मनमाथा नाथ चौधुरी ने 1 अगस्त, 1920 को ईस्ट बंगाल का गठन किया.

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ईस्ट बंगाल के फैंस

प्रमुख उपलब्धियां

1924 में ईस्ट बंगाल कैमरून बी के साथ सैकेंड डिवीजन की ज्वाइंट विनर बनी थी. उन दिनों सिर्फ 2 क्लबों को टॉप डिवीजन में खेलने की इजाजत थी वहीं, मोहन बागान और आर्यन्स पहले से ही टॉप डिवीजन में खेल रहे थे. ऐसे में उनके टॉप डिवीजन के लिए प्रोमोट होने के चांसेज कम थे. आखिर में ईस्ट बंगाल को टॉप लीग खेलने का मौका मिल गया. बता दें कि ईस्ट बंगाल को टॉप लीग का हिस्सा बनाने को लेकर मोहन बागान और आर्यन्स ने ही खिलाफत की थी.

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ईस्ट बंगाल के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी

क्लब ने कोलकाता में दूसरे डिवीजन में खेलना शुरू किया. प्रथम डिवीजन का हिस्सा होते ही ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान को 1-0 से हराया. ये मैच 28 मई, 1925 को खेला गया था.

ईस्ट बंगाल ने 1942 में अपना पहला लीग खिताब जीता और इसके बाद अगले ही साल IFA शील्ड भी जीता. इसके बाद उन्होंने 1945 में अपना डबल लीग टाइटल और IFA शील्ड जीता. नायर ने 1946 लीग में 36 गोल किए. क्लब ने 1949-51 के बीच तीन बार IFA शील्ड जीता.

1948 ओलंपिक में पहली बार विदेशी टीम को हराने का सफर शुरू करते हुए ईस्ट बंगाल ने चाइनीज ओलंपिक XI को 2-0 से हराया. इसके बाद स्विडन के क्लब को 1951 में 1-0 से हराया, 1956 में IFA XI जीता. उनका बेस्ट परफॉमेंस था एक इरान के क्लब के खिलाफ.

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ईस्ट बंगाल की टीम

ईस्ट बंगाल के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी

⦁ मेहताब हुसैन - वर्तमान क्लब: सेवानिवृत्त

⦁ लालरंडिका राल्ते - करंट क्लब: ईस्ट बंगाल एफसी

⦁ अर्नब मोंडल - करंट क्लब: कोई भी नहीं

⦁ कैविन लोबो -करंट क्लब: पंजाब एफसी

⦁ हरमनजोत खाबरा - करंट क्लब: बेंगलुरु एफसी

क्लब के हाल के शीर्ष खिलाड़ी

⦁ समद मल्लिक - पोजिशन: राइट-बैक

⦁ अभिषेक अम्बेकर - पोजिशन: लेफ्ट-बैक

असीर अख्तर- पोजिशन: राइट-बैक

⦁ मिथुन सामंत - पोजिशन: गोलकीपर

मिकू - पोजिशन: गोलकीपर

हैदराबाद: ईस्ट बंगाल, भारत के सबसे ऐतिहासिक फुटबॉल क्लबों में से एक है जिसने 2020 में अपने 100 साल पूरे किए हैं. पिछले साल इस 100वें वर्ष को मनाने के लिए 2019 में ईस्ट बंगाल की ओर से "अ सेंचूरी ऑफ स्पंक" की टैग लाइन दी गई थी. ईस्ट बंगाल एक क्लब से बढ़कर एक इमोशन है. इस क्लब की नींव पूर्वी बंगाल के लोगों के लिए रखी गई थी जो कि अब बांग्लादेश है. ये क्लब खासकर उन लोगों के लिए था जिनका बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं है लेकिन वो भावनात्मक रूप से क्लब से जुड़ना चाहते हैं.

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ईस्ट बंगाल के फैंस

क्लब की नींव

28 जुलाई, 1920 को, जब जोरबागन क्लब ने मोहन बागान के खिलाफ होने वाले मैच में अपनी टीम के दो खिलाड़ियों को सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि वो पूर्वी बंगाल से थे. जिसके बाद क्लब के एक अधिकारी सुरेश चंद्र चौधरी ने एक क्लब की शुरूआत करने का फैसला किया, जो बंगाल के इस हिस्से के खिलाड़ियों के साथ गलत व्यवहार न करे. संतोष के महाराजा (जिसके बाद संतोष ट्रॉफी नाम रखा गया है) और उनके दोस्त मनमाथा नाथ चौधुरी ने 1 अगस्त, 1920 को ईस्ट बंगाल का गठन किया.

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ईस्ट बंगाल के फैंस

प्रमुख उपलब्धियां

1924 में ईस्ट बंगाल कैमरून बी के साथ सैकेंड डिवीजन की ज्वाइंट विनर बनी थी. उन दिनों सिर्फ 2 क्लबों को टॉप डिवीजन में खेलने की इजाजत थी वहीं, मोहन बागान और आर्यन्स पहले से ही टॉप डिवीजन में खेल रहे थे. ऐसे में उनके टॉप डिवीजन के लिए प्रोमोट होने के चांसेज कम थे. आखिर में ईस्ट बंगाल को टॉप लीग खेलने का मौका मिल गया. बता दें कि ईस्ट बंगाल को टॉप लीग का हिस्सा बनाने को लेकर मोहन बागान और आर्यन्स ने ही खिलाफत की थी.

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ईस्ट बंगाल के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी

क्लब ने कोलकाता में दूसरे डिवीजन में खेलना शुरू किया. प्रथम डिवीजन का हिस्सा होते ही ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान को 1-0 से हराया. ये मैच 28 मई, 1925 को खेला गया था.

ईस्ट बंगाल ने 1942 में अपना पहला लीग खिताब जीता और इसके बाद अगले ही साल IFA शील्ड भी जीता. इसके बाद उन्होंने 1945 में अपना डबल लीग टाइटल और IFA शील्ड जीता. नायर ने 1946 लीग में 36 गोल किए. क्लब ने 1949-51 के बीच तीन बार IFA शील्ड जीता.

1948 ओलंपिक में पहली बार विदेशी टीम को हराने का सफर शुरू करते हुए ईस्ट बंगाल ने चाइनीज ओलंपिक XI को 2-0 से हराया. इसके बाद स्विडन के क्लब को 1951 में 1-0 से हराया, 1956 में IFA XI जीता. उनका बेस्ट परफॉमेंस था एक इरान के क्लब के खिलाफ.

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ईस्ट बंगाल की टीम

ईस्ट बंगाल के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ी

⦁ मेहताब हुसैन - वर्तमान क्लब: सेवानिवृत्त

⦁ लालरंडिका राल्ते - करंट क्लब: ईस्ट बंगाल एफसी

⦁ अर्नब मोंडल - करंट क्लब: कोई भी नहीं

⦁ कैविन लोबो -करंट क्लब: पंजाब एफसी

⦁ हरमनजोत खाबरा - करंट क्लब: बेंगलुरु एफसी

क्लब के हाल के शीर्ष खिलाड़ी

⦁ समद मल्लिक - पोजिशन: राइट-बैक

⦁ अभिषेक अम्बेकर - पोजिशन: लेफ्ट-बैक

असीर अख्तर- पोजिशन: राइट-बैक

⦁ मिथुन सामंत - पोजिशन: गोलकीपर

मिकू - पोजिशन: गोलकीपर

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