कराची: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने श्रीलंका में नागरिक और राजनीतिक अशांति के बाद भी 27 अगस्त से एशिया कप की मेजबानी करने को लेकर इस देश का समर्थन किया है. श्रीलंका ने अशांति के माहौल में बिना किसी सुरक्षा उल्लंघन के ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की सफलतापूर्वक मेजबानी की. गंभीर वित्तीय संकट के बीच पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भाग गए हैं.
पाकिस्तान की टीम इस समय श्रीलंका के दौर पर है. पीसीबी के एक सूत्र ने कहा, बोर्ड के अध्यक्ष रमीज राजा ने श्रीलंका क्रिकेट (एससीएल) के अधिकारियों से बात की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि वह 27 अगस्त से 11 सितंबर तक खेले जाने वाले एशिया कप के लिए श्रीलंका की मेजबानी का समर्थन करेंगे. सूत्र ने कहा, पीसीबी अध्यक्ष ने अपने समकक्ष को भरोसा दिया है पाकिस्तान चाहता है कि श्रीलंका इस क्षेत्रीय स्पर्धा की मेजबानी करे. क्योंकि इससे पर्यटन बढ़ेगा और मेजबान देश को राजस्व की प्राप्ति होगी.
यह भी पढ़ें: श्रीलंका राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद एशिया कप की मेजबानी को लेकर आश्वस्त
सूत्र ने यह भी कहा कि पीसीबी ने एससीएल अधिकारियों को यह भी आश्वासन दिया था कि पाकिस्तान टीम देश में जारी अशांति के बावजूद गॉल और कोलंबो में अपने टेस्ट मैच खेलेगी. उन्होंने कहा, एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) की इस बीच कोई बैठक प्रस्तावित नहीं है. लेकिन 22 अगस्त को बर्मिंघम में होने वाले आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की बैठक के दौरान) एसीसी के सभी सदस्य मौजूद रहेंगे. इस दौरान आगामी एशिया कप की मेजबानी पाकिस्तान को देने के मुद्दे पर चर्चा होगी. आईसीसी की बैठक में रमीज आईपीएल की लंबी अवधि का विरोध करेंगे.
पाकिस्तान का यह पूर्व कप्तान साल 2023 से शुरू होने वाले एफटीपी (भविष्य दौरा कार्यक्रम) में बीसीसीआई के आईपीएल को ढाई महीने तक करने के फैसले से खफा है. मुंबई में साल 2008 में हुए हमलों के बाद से आईपीएल में पाकिस्तान के किसी खिलाड़ी को खेलने की अनुमति नहीं है.
यह भी पढ़ें: Asia Cup 2022: Ind & Pak के बीच फिर होगा महामुकाबला, जानें कब होगा मैच
सूत्र ने कहा, पाकिस्तान का रुख साफ है. इसके खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने की अनुमति नहीं है और न ही बीसीसीआई के पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध हैं. इसलिए विस्तारित आईपीएल विंडो का समर्थन करने से उसे क्या फायदा होने वाला है. आईपीएल में खेलने वाले विदेशी खिलाड़ियों के वेतन का 10 प्रतिशत रकम संबंधित बोर्ड को मिलता है और पीसीबी चाहता है कि अगर दूसरे क्रिकेट बोर्ड को इसका वित्तीय लाभ हो रहा है तो उसे इससे अलग नहीं किया जाना चाहिए.