हैदराबाद: ललित कुमार मोदी आज भले ही भगोड़े का जीवन जीने को मजबूर हो, लेकिन एक वक्त था जब भारतीय क्रिकेट में उनकी तूती बोलती थी. उन्होंने देश में इस खेल को अभूतपूर्व व्यावसायिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया. इंडियन प्रीमियर लीग को उन्हीं की दिमागी उपज माना जाता है. मोदी अपने आप में एक कानून थे. इस विवादित शख्सियत को उनकी कार्यशैली के लिए जाना जाता था, जो अक्सर लोगों को गलत लगता था. बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं थी कि रोक पाए. आज वह मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन को डेट करने के चलते सुर्खियों में हैं.
बता दें, ललित के दादा राज बहादुर गुजरमल मोदी ने मोदीनगर की स्थापना की थी. ललित मोदी ने नैनीताल से पढ़ाई की. उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी चले गए. मोदी ने साल 1986 में मार्केटिंग में ग्रेजुएशन किया. यहां तक आप समझ गए होंगे कि ललित मोदी का खेल से कोई नाता नहीं रहा. वह सिर्फ पढ़ाई में आगे रहे. पढ़ाई के बाद ही मोदी अपने पिता के बिजनेस को नया रंग में देने में जुट गए थे.
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उन्होंने खेल के साथ बिजनेस को आगे बढ़ाया. ललित मोदी ने 90 के दशक के शुरुआत में अपना करियर भारतीय क्रिकेट बोर्ड के एक विरोधी के रूप में शुरू किया. तब वह स्पोर्ट्स पे चैनल्स डिस्ट्रिब्यूटिंग के रूप में एक बिजनेस खड़ा करने चाह रहे थे. वह यह जानते थे कि लाइव स्पोर्ट्स उन कुछ चीजों में से एक है, जिसके लिए भारतीय टेलीविजन उपभोक्ता भुगतान करेंगे. मगर उन्हें इस बात का भी जल्दी ही ज्ञान हो गया कि सिस्टम को हराने के लिए उससे लड़ना नहीं, बल्कि उसमें अंदर जाना पड़ेगा.
हालांकि, साल 2005 तक इसकी जद्दोजहद में जुटे रहे, लेकिन जब वह बीसीसीआई के सबसे युवा उपाध्यक्ष बने, तो सब कुछ बदल गया. वह पावर में आ गए थे और उन्होंने अपने साथ बोर्ड की ताकत बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने बोर्ड का रेवेन्यू एक बिलियन डॉलर तक पहुंचाया. अपने बोर्ड के लिए ललित मोदी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) से भी भिड़ गए और पक्षपात का आरोप लगाया. ललित मोदी के इस व्यवहार के कारण इंटरनेशनल तौर पर उनके बहुत कम दोस्त बने. इसके अलावा अपने ही बोर्ड यानी बीसीसीआई के अंदर खानों में भी ललित मोदी के खिलाफ माहौल बनने लगा था.
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साल 2007 में जब आईपीएल को लेकर अनाउंसमेंट की गई, उससे पहले बीसीसीआई में ललित मोदी विरोधी गुट के कई ऐसे सदस्य थे जो चाहते थे कि ये प्रोजेक्ट फेल हो जाए या वह इस तरह के प्रोजेक्ट का समर्थन ही नहीं करते थे. मोदी ने क्रिकेट में एक नई लीग यानी आईपीएल को शुरू कर नई क्रांति ला दी. साल 2008 में आईपीएल का पहला सीजन शुरू हुआ, जिसमें राजस्थान रॉयल्स चैम्पियन रही थी. यहां भी ललित मोदी को आईपीएल का अध्यक्ष बनाया गया. उनका पूरा वर्चस्व जारी थी. मगर दो सीजन के बाद ही यानी साल 2010 में उन पर संकट के बादल छाने लगे.
उस वक्त दो नई टीमों की एंट्री आईपीएल में हुई थी. कोच्चि और पुणे की टीम को आईपीएल में लाया गया, इसमें कोच्चि की टीम जिस तरह से खरीदी गई और टेंडर में गड़बड़ियां पाई गईं उसको लेकर काफी विवाद हुआ था. आईपीएल 2010 के बाद ललित मोदी पर उनके पद का फायदा उठाने, ऑक्शन में गड़बड़ी, आईपीएल से जुड़े टेंडर में गड़बड़ियों के आरोप लगे थे. बीसीसीआई ने अंदरूनी जांच के बाद ललित मोदी को बोर्ड से सस्पेंड कर दिया था, उन्हें बीसीसीआई से बैन भी कर दिया गया था. जब आईपीएल में गड़बड़ियों की बात सामने आई थी, उसके बाद ईडी ने जांच शुरू की थी. लेकिन इस बीच ललित मोदी भारत छोड़कर लंदन चले गए थे.
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मां की सहेली से शादी: अमेरिका से भागकर भारत लौटने के बाद वह पिता केके मोदी के धंधे में लग गए. हालांकि, पिता के किसी भी प्रोजेक्ट में ललित का मन नहीं लगा. और जल्द ही, वह अपने रास्ते पर निकल गए. साल 1992 तक, मोदी भारत की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनियों में से एक, गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के कार्यकारी निदेशक रहे हैं, लेकिन स्पोर्ट्स और इंटरमेनमेंट वर्ल्ड उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता रहा. साल 1991 के आसपास उन्होंने अपनी मां की एक दोस्त मीनल से शादी की, जिनसे वह उस समय मिले थे, जब वह अमेरिका में पढ़ते थे. मीनल उनसे नौ साल बड़ी और नाइजीरियाई व्यक्ति से तलाकशुदा थीं.