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चला गया 83 का सितारा: रणजी की एक पारी ने बदली थी 'यशपाल' की जिंदगी

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज यशपाल शर्मा का निधन हो गया है. 66 साल के यशपाल शर्मा का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ है. यशपाल, भारत की साल 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय क्रिकेट में कभी शून्य पर पवेलियन नहीं लौटने का अनोखा रिकॉर्ड कायम करने वाले यशपाल शर्मा ने अब हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया है.

1983 विश्व कप  लुधियाना  क्रिकेट न्यूज  क्रिकेटर की मौत  Sports News in Hindi  Former cricketer Yashpal Sharma  Yashpal Sharma passed away  Ludhiana  1983 World Cup
यशपाल शर्मा और उनकी पत्नी
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Published : Jul 13, 2021, 4:07 PM IST

लुधियाना: पूर्व क्रिकेटर यशपाल शर्मा का मंगलवार सुबह 66 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यशपाल शर्मा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बता दें, यशपाल शर्मा का पैतृक घर लुधियाना में है और उनके भाई इस घर में रह रहे हैं. शर्मा कई साल पहले दिल्ली चले गए थे और वहीं उनका निधन हो गया. यशपाल शर्मा के भाई और उनके साथी रहे लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार मंगल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने यशपाल शर्मा के बारे में बताया.

यह भी पढ़ें: 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का हार्ट अटैक से निधन

सतीश कुमार, जो शुरू से ही यशपाल शर्मा के साथ क्रिकेट खेल रहे थे. उन्होंने कहा, यशपाल को क्रिकेट खेलने का शौक था.

मैं और यशपाल लुधियाना से एक साथ रणजी ट्रॉफी खेलना शुरू किए. लेकिन यशपाल शर्मा अच्छे खिलाड़ी साबित हुए और भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने रहे.

रणजी के लिए खेलते हुए उन्होंने पंजाब टीम की कप्तानी भी की.

यशपाल शर्मा ने साल 1978 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अपना वनडे खेला और फिर साल 1979 में अपना टेस्ट डेब्यू किया.

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यशपाल शर्मा का घर

अपने साढ़े छह साल के क्रिकेट करियर में उन्होंने 37 टेस्ट मैचों में 1,606 रन बनाए, इसके अलावा वनडे में भी उनकी बल्ला खूब बोला.

निधन की खबर सुनते ही परिवार में मातम पसर गया.

उन्होंने बताया, कैसे भारत ने वर्ल्ड कप जीता तो लुधियाना रेलवे स्टेशन पर हंगामा मच गया. उस समय वहां मौजूद लोगों ने उन्हें उठा लिया. उन्हें क्रिकेट खेलने का बड़ा जुनून था और लुधियाना के लिए एक विशेष प्यार था.

यह भी पढ़ें: भारतीय क्रिकेट में यशपाल के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा: तेंदुलकर

यशपाल के भाई बाल कृष्ण बाली ने भी कहा, मंगलवार सुबह उन्हें उनके निधन की सूचना मिली, उनके निधन से मैं बहुत दुखी हूं. मैंने हमेशा उनका सपोर्ट किया.

उन्होंने कहा कि वे पहले खिलाड़ी थे, जो शुद्ध शाकाहारी थे. उनकी यादें भी पुरानी थीं. उनका पुश्तैनी घर लुधियाना में है.

यशपाल जी के सात भाई-बहन थे और यशपाल शर्मा सबसे छोटे थे. शुरू से ही उन्हें क्रिकेट का शौक था.

यशपाल का करियर

दाएं हाथ के बल्लेबाज यशपाल शर्मा ने अपने करियर में 42 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले. इनकी 40 पारियों में उन्होंने नौ बार नाबाद रहते हुए 883 रन बनाए.

वनडे क्रिकेट में वे कभी शतक नहीं ठोक पाए, लेकिन 4 बार अर्धशतकीय पारियां उन्होंने जरूर खेलीं. उनका सर्वाधिक स्कोर एकदिवसीय क्रिकेट में 89 रन था.

वहीं, विश्व कप के सेमीफाइनल में उन्होंने 61 रन की बेजोड़ पारी खेली थी, जिसके दम पर भारत फाइनल में पहुंचा था.

उन्होंने साल 1979 से 1983 तक कुल 37 टेस्ट मैच खेले, जिनकी 59 पारियों में उन्होंने कुल 1,606 रन बनाए.

इसमें दो शतक और 9 अर्धशतक उन्होंने जड़े.

यशपाल शर्मा थोड़ी बहुत गेंदबाजी भी करते थे, लेकिन बतौर गेंदबाज उनके नाम ज्यादा सफलता नहीं थी.

क्योंकि वे सिर्फ क्रिकेट के उस समय के दोनों प्रारूपों में सिर्फ एक-एक ही विकेट निकाल सके थे.

लुधियाना: पूर्व क्रिकेटर यशपाल शर्मा का मंगलवार सुबह 66 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यशपाल शर्मा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बता दें, यशपाल शर्मा का पैतृक घर लुधियाना में है और उनके भाई इस घर में रह रहे हैं. शर्मा कई साल पहले दिल्ली चले गए थे और वहीं उनका निधन हो गया. यशपाल शर्मा के भाई और उनके साथी रहे लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार मंगल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने यशपाल शर्मा के बारे में बताया.

यह भी पढ़ें: 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का हार्ट अटैक से निधन

सतीश कुमार, जो शुरू से ही यशपाल शर्मा के साथ क्रिकेट खेल रहे थे. उन्होंने कहा, यशपाल को क्रिकेट खेलने का शौक था.

मैं और यशपाल लुधियाना से एक साथ रणजी ट्रॉफी खेलना शुरू किए. लेकिन यशपाल शर्मा अच्छे खिलाड़ी साबित हुए और भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने रहे.

रणजी के लिए खेलते हुए उन्होंने पंजाब टीम की कप्तानी भी की.

यशपाल शर्मा ने साल 1978 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अपना वनडे खेला और फिर साल 1979 में अपना टेस्ट डेब्यू किया.

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यशपाल शर्मा का घर

अपने साढ़े छह साल के क्रिकेट करियर में उन्होंने 37 टेस्ट मैचों में 1,606 रन बनाए, इसके अलावा वनडे में भी उनकी बल्ला खूब बोला.

निधन की खबर सुनते ही परिवार में मातम पसर गया.

उन्होंने बताया, कैसे भारत ने वर्ल्ड कप जीता तो लुधियाना रेलवे स्टेशन पर हंगामा मच गया. उस समय वहां मौजूद लोगों ने उन्हें उठा लिया. उन्हें क्रिकेट खेलने का बड़ा जुनून था और लुधियाना के लिए एक विशेष प्यार था.

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यशपाल के भाई बाल कृष्ण बाली ने भी कहा, मंगलवार सुबह उन्हें उनके निधन की सूचना मिली, उनके निधन से मैं बहुत दुखी हूं. मैंने हमेशा उनका सपोर्ट किया.

उन्होंने कहा कि वे पहले खिलाड़ी थे, जो शुद्ध शाकाहारी थे. उनकी यादें भी पुरानी थीं. उनका पुश्तैनी घर लुधियाना में है.

यशपाल जी के सात भाई-बहन थे और यशपाल शर्मा सबसे छोटे थे. शुरू से ही उन्हें क्रिकेट का शौक था.

यशपाल का करियर

दाएं हाथ के बल्लेबाज यशपाल शर्मा ने अपने करियर में 42 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले. इनकी 40 पारियों में उन्होंने नौ बार नाबाद रहते हुए 883 रन बनाए.

वनडे क्रिकेट में वे कभी शतक नहीं ठोक पाए, लेकिन 4 बार अर्धशतकीय पारियां उन्होंने जरूर खेलीं. उनका सर्वाधिक स्कोर एकदिवसीय क्रिकेट में 89 रन था.

वहीं, विश्व कप के सेमीफाइनल में उन्होंने 61 रन की बेजोड़ पारी खेली थी, जिसके दम पर भारत फाइनल में पहुंचा था.

उन्होंने साल 1979 से 1983 तक कुल 37 टेस्ट मैच खेले, जिनकी 59 पारियों में उन्होंने कुल 1,606 रन बनाए.

इसमें दो शतक और 9 अर्धशतक उन्होंने जड़े.

यशपाल शर्मा थोड़ी बहुत गेंदबाजी भी करते थे, लेकिन बतौर गेंदबाज उनके नाम ज्यादा सफलता नहीं थी.

क्योंकि वे सिर्फ क्रिकेट के उस समय के दोनों प्रारूपों में सिर्फ एक-एक ही विकेट निकाल सके थे.

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