नई दिल्ली : भारत के लिए विश्व कप 2023 के पहले चार मैच नहीं खेलने के बावजूद, मोहम्मद शमी न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ पिछले दो मैचों में अपने महत्वपूर्ण स्पैल से बेहद प्रभावशाली रहे हैं. चाहे धर्मशाला हो या लखनऊ का मैदान, शमी ने गेंद को दोनों तरफ घुमाया है और बल्लेबाजों को तेजी से छकाते हुए (5-54) और (4-22) के खतरनाक स्पैल के साथ वापसी की है.
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Mohammed Shami, World Cup superstar 🌟https://t.co/AbRge5y94d | #CWC23 pic.twitter.com/0nGbuEj4AZ
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पहले चार मैचों तक बाहर रहने वाले मोहम्मद शमी को चोटिल हार्दिक पांड्या की जगह टीम में मौका मिला. मगर उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से अब अपनी जगह पक्की कर ली है. इस बीच शमी के बचपन के कोच ने आईएएनएस से खास बातचीत की.
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Most wickets for India in World Cups:
— Johns. (@CricCrazyJohns) October 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Zaheer Khan - 44 (23 innings)
Javagal Srinath - 44 (33 innings)
Mohammed Shami - 40 (13 innings) pic.twitter.com/1BeEvHeh86
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शमी के बचपन के कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, 'किसी भी चीज में पूर्णता प्राप्त करने के लिए, आपको बहुत मेहनत करनी होगी और जुनून ऐसा होना चाहिए कि लोग आश्चर्यचकित रह जाएं. जब कोई किसी कौशल में महारत हासिल करने के लिए उस स्तर की कड़ी मेहनत करता है, तब उसे उसका फल भी मिलता है. शमी ने परफेक्ट सीम पोजीशन हासिल करने के लिए काफी मेहनत की है.'
'शमी गेंद को घर ले जाता था और रात में अपने बिस्तर पर लेटते समय, वह गेंद को अपने बेडरूम की दीवार पर फेंकता रहता था. वह कलाई को सीधा रखते थे और इसे सही करने के लिए यह अभ्यास करते थे. अपनी कलाई और सीम की स्थिति को सही करने के लिए शमी की खोज ऐसी थी कि इससे उनके पिता चिंतित थे, लेकिन बदरुद्दीन नहीं.
बदरुद्दीन ने कहा, 'एक बार उसके पिता मुझे अपने घर ले गए और बिस्तर के सामने की दीवार दिखाई जो गेंद के धब्बों से पूरी तरह लाल हो गई थी. वह इस बात से चिंतित थे कि शमी अपनी गेंदबाजी के इस पहलू को बेहतर बनाने के लिए पागल हो रहे हैं. मैंने उनसे कहा, ''जब बच्चे खेल में कुछ सही करना चाहते हैं, तो वे इसे सही बनाने के लिए इस तरह की चीजें करते हैं और यह भविष्य में फायदेमंद होगा.
शमी ने शुरुआती दिनों से ही बहुत मेहनत की है. आज के बच्चे इन चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं. उन्हें लगता है कि यह कलाई को सीधा करने की एक छोटी सी कवायद है. वे इस पर थोड़ा काम करते हैं और फिर कटर गेंदबाजी करने या अन्य गेंदों को आजमाने जैसी चीजों पर आगे बढ़ते हैं. लेकिन शमी एक ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने अन्य गेंदों पर ज्यादा काम नहीं किया. उन्होंने अपनी कलाई की स्थिति पर बहुत काम किया है और यह कड़ी मेहनत ही है जिसने उन्हें इस समय यहां पहुंचाया है.
शमी ने विश्व कप में जो दोनों मैच खेले हैं, उनमें एक समान बात है जो बल्लेबाज के स्टंप को चटकाने की है. एक ऐसा दृश्य जिसे हासिल करना हर तेज गेंदबाज का सपना होता है और किसी भी क्रिकेट प्रेमी के लिए इसका लाइव गवाह बनना बेहद खास होता है.