हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज खेल रही है. तीन मैचों की टी-20 सीरीज का पहला मैच खेला जा चुका है जो टीम इंडिया जीत गई थी. इस मैच के हीरो रविंद्र जडेजा बने जिन्होंने 23 गेंदों पर 44 रनों की नाबाद पारी खेली और मेन इन ब्लू को 161/7 के स्कोर तक पहुंचाया. बल्लेबाजी के दौरान जडेजा के हेलमेट पर गेंद लगी और कन्कशन सब्सिट्यूट के तौर पर गेंदबाजी करने के लिए युजवेंद्र चहल को उतारा गया.
आईसीसी ने ये नियम खिलाड़ियों को खिलाड़ियों में कन्कशन के रिस्क को कम करने के लिए बनाया था. पहले सब्सिट्यूट खिलाड़ी को सिर्फ फील्डिंग करने का अधिकार होता था लेकिन अब कन्कशन सब्सिट्यूट को बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने का भी अधिकार मिल गया है.
आपको बता दें कि इसका निर्णय मैच रेफरी लेता है. पहले टी-20 मैच में मैच रेफरी ऑस्ट्रेलिया के डेविड बून थे. उन्होंने भारतीय टीम को सब्सिट्यूट लेने की अनुमति दी थी. हालांकि इस बात के ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लैंगर खुश नहीं दिखे.
क्या कहती है आईसीसी की रूल बुक - कन्कशन रिप्लेसमेंट के लिए जिस खिलाड़ी को चुना गया है, वो लाइट टू लाइक रिप्लेसमेंट के लिए सही है या नहीं इसका निर्णय आईसीसी मैच रेफरी को ही लेना होगा. अगर मैच रेफरी हरी झंडी दिखा देता है तो बचे हुए मैच में नया खिलाड़ी वहीं भूमिका अदा करेगा जो चोटिल खिलाड़ी करने वाला था.
आपको बता दें कि कप्तान विराट कोहली ने युजवेंद्र चहल को प्लेइमग 11 में शामिल नहीं किया था. हालांकि इस नियम के तहत उन्होंने इस मैच में न सिर्फ गेंदबाजी की बल्कि मैन ऑफ द मैच भी बन गए.
चहल ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एरॉन फिंच और स्टीव स्मिथ को अपने पहले दो ओवर में आउट कर दिया. फिर अपने स्पेल की आखिरी गेंद पर उन्होंने मैथ्यू वेड का विकेट ले लिया. चार ओवर में उन्होंने 3/25 काा फिगर कायम किया.
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गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब इस नियम का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले पिछले साल लॉर्ड्स में खेले गए एशेज के मैच के दौरान स्टीव स्मिथ को जोफ्रा आर्चर की गेंद लगी थी जिसके बाद मार्नस लाबुशेन उनकी जगह पर बल्लेबाजी करने उतरे थे.