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टेस्ट क्रिकेट में वर्ल्ड क्लास गेंदबाजी की कमी: सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर ने पिछले 30 वर्षों में क्रिकेट में हो रहे बदलाव का आकलन करते हुए कहा, लोग जो प्रतिद्वंद्विता देखना चाहते थे, वे अब नहीं रही है क्योंकि इस समय विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों की बहुत कमी है.

Sachin Tendulkar
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Published : Nov 14, 2019, 8:09 PM IST

इंदौर: महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर खेल के पारंपरिक प्रारूप को लेकर चिंतित हैं. सचिन को लगता है कि टेस्ट क्रिकेट को लेकर जो दिलचस्पी पहले बनी रहती थी, अब वे समाप्त हो गई है. 70 और 80 के दशक में सुनील गावस्कर बनाम एंडी रॉबर्ट्स, डेनिस लिली या इमरान खान के बीच गेंद और बल्ले की भिड़ंत देखने का इंतजार रहता था.

इसी तरह तेंदुलकर बनाम ग्लेन मैकग्रा या वसीम अकरम के बीच मुकाबला भी आकर्षण का केंद्र रहता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, तेंदुलकर को ऐसा ही लगता है, जिन्होंने अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 टेस्ट मैच खेले हैं.

ग्लेन मैकग्रा,  Sachin Tendulkar
ग्लेन मैकग्रा

इस भारतीय क्रिकेटर ने अपने पदार्पण (15 नवंबर 1989) के बाद से पिछले 30 वर्षों में क्रिकेट में हो रहे बदलाव का आकलन करते हुए कहा, 'लोग जो प्रतिद्वंद्विता देखना चाहते थे, वे अब नहीं रही है क्योंकि इस समय विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों की बहुत कमी है. मुझे लगता है कि इस चीज की कमी अखरती है. इसमें कोई शक नहीं कि तेज गेंदबाजों का स्तर बेहतर किया जा सकता है.'

टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा केवल तीन देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) तक ही सीमित है तो इस बारे में पूछने पर वे भी इससे सहमत थे. तेंदुलकरने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट का स्तर नीचे गिरा है, जो टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी खबर नहीं है. क्रिकेट का स्तर ऊपर होने की जरूरत है और इसके लिए मैं फिर कहूंगा कि सबसे अहम चीज है खेलने वाली पिचें.'

Sachin Tendulkar
सचिन तेंदुलकर और शोएब अख्तर

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जो पिचें मुहैया कराई जाती हैं, इसका भी इससे लेना देना है. अगर हम अच्छी पिचें मुहैया कराएं जहां तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को भी मदद मिले तो गेंद और बल्ले में संतुलन बरकरार रहेगा.'

ये भी पढ़े- इंदौर टेस्ट: पहले दिन का खेल खत्म, भारत को मिली दमदार शुरूआत

तेंदुलकर ने कहा, 'अगर संतुलन की कमी है तो मुकाबला कमजोर हो जाएगा और ये आकर्षक नहीं रहेगा. टेस्ट क्रिकेट में अच्छे विकेट होने चाहिए.'

इंदौर: महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर खेल के पारंपरिक प्रारूप को लेकर चिंतित हैं. सचिन को लगता है कि टेस्ट क्रिकेट को लेकर जो दिलचस्पी पहले बनी रहती थी, अब वे समाप्त हो गई है. 70 और 80 के दशक में सुनील गावस्कर बनाम एंडी रॉबर्ट्स, डेनिस लिली या इमरान खान के बीच गेंद और बल्ले की भिड़ंत देखने का इंतजार रहता था.

इसी तरह तेंदुलकर बनाम ग्लेन मैकग्रा या वसीम अकरम के बीच मुकाबला भी आकर्षण का केंद्र रहता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, तेंदुलकर को ऐसा ही लगता है, जिन्होंने अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 टेस्ट मैच खेले हैं.

ग्लेन मैकग्रा,  Sachin Tendulkar
ग्लेन मैकग्रा

इस भारतीय क्रिकेटर ने अपने पदार्पण (15 नवंबर 1989) के बाद से पिछले 30 वर्षों में क्रिकेट में हो रहे बदलाव का आकलन करते हुए कहा, 'लोग जो प्रतिद्वंद्विता देखना चाहते थे, वे अब नहीं रही है क्योंकि इस समय विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों की बहुत कमी है. मुझे लगता है कि इस चीज की कमी अखरती है. इसमें कोई शक नहीं कि तेज गेंदबाजों का स्तर बेहतर किया जा सकता है.'

टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा केवल तीन देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) तक ही सीमित है तो इस बारे में पूछने पर वे भी इससे सहमत थे. तेंदुलकरने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट का स्तर नीचे गिरा है, जो टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी खबर नहीं है. क्रिकेट का स्तर ऊपर होने की जरूरत है और इसके लिए मैं फिर कहूंगा कि सबसे अहम चीज है खेलने वाली पिचें.'

Sachin Tendulkar
सचिन तेंदुलकर और शोएब अख्तर

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जो पिचें मुहैया कराई जाती हैं, इसका भी इससे लेना देना है. अगर हम अच्छी पिचें मुहैया कराएं जहां तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को भी मदद मिले तो गेंद और बल्ले में संतुलन बरकरार रहेगा.'

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तेंदुलकर ने कहा, 'अगर संतुलन की कमी है तो मुकाबला कमजोर हो जाएगा और ये आकर्षक नहीं रहेगा. टेस्ट क्रिकेट में अच्छे विकेट होने चाहिए.'

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टेस्ट क्रिकेट में वर्ल्ड क्लास गेंदबाजी की कमी: सचिन तेंदुलकर

इंदौर: महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर खेल के पारंपरिक प्रारूप को लेकर चिंतित हैं. सचिन को लगता है कि टेस्ट क्रिकेट को लेकर जो दिलचस्पी पहले बनी रहती थी, अब वे समाप्त हो गई है. 70 और 80 के दशक में सुनील गावस्कर बनाम एंडी रॉबर्ट्स, डेनिस लिली या इमरान खान के बीच गेंद और बल्ले की भिड़ंत देखने का इंतजार रहता था.



इसी तरह तेंदुलकर बनाम ग्लेन मैकग्रा या वसीम अकरम के बीच मुकाबला भी आकर्षण का केंद्र रहता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, तेंदुलकर को ऐसा ही लगता है, जिन्होंने अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 200 टेस्ट मैच खेले हैं.



इस भारतीय क्रिकेटर ने अपने पदार्पण (15 नवंबर 1989) के बाद से पिछले 30 वर्षों में क्रिकेट में हो रहे बदलाव का आकलन करते हुए कहा, 'लोग जो प्रतिद्वंद्विता देखना चाहते थे, वे अब नहीं रही है क्योंकि इस समय विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों की बहुत कमी है. मुझे लगता है कि इस चीज की कमी अखरती है. इसमें कोई शक नहीं कि तेज गेंदबाजों का स्तर बेहतर किया जा सकता है.'



टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा केवल तीन देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) तक ही सीमित है तो इस बारे में पूछने पर वे भी इससे सहमत थे. तेंदुलकरने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट का स्तर नीचे गिरा है, जो टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी खबर नहीं है. क्रिकेट का स्तर ऊपर होने की जरूरत है और इसके लिए मैं फिर कहूंगा कि सबसे अहम चीज है खेलने वाली पिचें.'



उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जो पिचें मुहैया कराई जाती हैं, इसका भी इससे लेना देना है. अगर हम अच्छी पिचें मुहैया कराएं जहां तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को भी मदद मिले तो गेंद और बल्ले में संतुलन बरकरार रहेगा.'



तेंदुलकर ने कहा, 'अगर संतुलन की कमी है तो मुकाबला कमजोर हो जाएगा और ये आकर्षक नहीं रहेगा. टेस्ट क्रिकेट में अच्छे विकेट होने चाहिए.'


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