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ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, क्रिकेट इवेंट से बड़े होते हैं : सहवाग

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने एक इंटरव्यू के दौरान बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेल जैसे मल्टी-स्पोर्ट इवेंट क्रिकेट आयोजनों से बड़े होते हैं.

Olympics, Commonwealth Games
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Published : Aug 29, 2019, 7:30 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:47 PM IST

हैदराबाद : सहवाग, जिन्होंने एक पुस्तक लॉन्च कार्यक्रम में दो एथलीटों का इंटरव्यू लिया. उन्होंने कहा कि अन्य खिलाड़ियों को क्रिकेटरों को मिलने वाली सुविधाओं की तुलना में बहुत कम सुविधाएं मिलती हैं.


एथलीटों को मिल रही होगी अच्छी सुविधा


वीरेंद्र सहवाग ने कहा, ''मुझे हमेशा लगता था कि ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेल क्रिकेट (आयोजनों) से बड़े हैं. मैं सोचता था कि इन एथलीटों को बहुत अच्छी तरह से देखा जाता होगा कि उन्हें अच्छा भोजन, न्यूट्रशियन के साथ- साथ चिकित्सकों और प्रशिक्षकों की सुविधा मिल रही होगी.''

"लेकिन जब मैं उनसे मिला और उनके बारे में पता चला तो मैंने महसूस किया कि हमें (क्रिकेटरों) जो भी सुविधाएं मिल रही हैं, इन लोगों को उसका 10 या 20% भी नहीं मिल रहा है. इसके बावजूद वो पदक जीत रहे हैं. उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है वो उससे भी ज्यादा के हकदार हैं, क्योंकि वो भारत के लिए पदक जीत रहे हैं.

वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग


कोचों को नहीं मिलता श्रेय


1999 और 2013 के बीच 104 टेस्ट और 251 एकदिवसीय मैच खेलने वाले सहवाग ने कहा, ''सामान्य रूप से क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं जितना अन्य खिलाड़ी देते हैं. क्रिकेटरों के जीवन में कोच की बड़ी भूमिका होती है, लेकिन हम उन्हें ज्यादा क्रेडिट नहीं देते हैं, हम इसे अपने तक ही सीमित रखते हैं."

VIDEO: राष्ट्रपति ने वितरित किए राष्ट्रीय खेल पुरस्कार, इन खिलाड़ियों को किया सम्मानित

उन्होंने कहा, "हम क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं, जितना अन्य खिलाड़ी करते हैं, क्योंकि जब आप देश के लिए खेलना शुरू करते हैं, तो क्रिकेटर्स अपने कोचों को भूल जाते हैं क्योंकि उनके पास उनसे मिलने और बात करने का समय नहीं रहता. वहीं दूसरे खेलों में उनकी जररुत शुरु से अंत तक होती है और कोच भी उनका साथ देते हैं.''

हैदराबाद : सहवाग, जिन्होंने एक पुस्तक लॉन्च कार्यक्रम में दो एथलीटों का इंटरव्यू लिया. उन्होंने कहा कि अन्य खिलाड़ियों को क्रिकेटरों को मिलने वाली सुविधाओं की तुलना में बहुत कम सुविधाएं मिलती हैं.


एथलीटों को मिल रही होगी अच्छी सुविधा


वीरेंद्र सहवाग ने कहा, ''मुझे हमेशा लगता था कि ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेल क्रिकेट (आयोजनों) से बड़े हैं. मैं सोचता था कि इन एथलीटों को बहुत अच्छी तरह से देखा जाता होगा कि उन्हें अच्छा भोजन, न्यूट्रशियन के साथ- साथ चिकित्सकों और प्रशिक्षकों की सुविधा मिल रही होगी.''

"लेकिन जब मैं उनसे मिला और उनके बारे में पता चला तो मैंने महसूस किया कि हमें (क्रिकेटरों) जो भी सुविधाएं मिल रही हैं, इन लोगों को उसका 10 या 20% भी नहीं मिल रहा है. इसके बावजूद वो पदक जीत रहे हैं. उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है वो उससे भी ज्यादा के हकदार हैं, क्योंकि वो भारत के लिए पदक जीत रहे हैं.

वीरेंद्र सहवाग
वीरेंद्र सहवाग


कोचों को नहीं मिलता श्रेय


1999 और 2013 के बीच 104 टेस्ट और 251 एकदिवसीय मैच खेलने वाले सहवाग ने कहा, ''सामान्य रूप से क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं जितना अन्य खिलाड़ी देते हैं. क्रिकेटरों के जीवन में कोच की बड़ी भूमिका होती है, लेकिन हम उन्हें ज्यादा क्रेडिट नहीं देते हैं, हम इसे अपने तक ही सीमित रखते हैं."

VIDEO: राष्ट्रपति ने वितरित किए राष्ट्रीय खेल पुरस्कार, इन खिलाड़ियों को किया सम्मानित

उन्होंने कहा, "हम क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं, जितना अन्य खिलाड़ी करते हैं, क्योंकि जब आप देश के लिए खेलना शुरू करते हैं, तो क्रिकेटर्स अपने कोचों को भूल जाते हैं क्योंकि उनके पास उनसे मिलने और बात करने का समय नहीं रहता. वहीं दूसरे खेलों में उनकी जररुत शुरु से अंत तक होती है और कोच भी उनका साथ देते हैं.''

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भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने एक इंटरव्यू के दौरान बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेल जैसे मल्टी-स्पोर्ट इवेंट क्रिकेट आयोजनों से बड़े होते हैं.



हैदराबाद : सहवाग, जिन्होंने एक पुस्तक लॉन्च कार्यक्रम में दो एथलीटों का इंटरव्यू लिया. उन्होंने ये भी कहा कि अन्य खिलाड़ियों को क्रिकेटरों को मिलने वाली सुविधाओं की तुलना में बहुत कम सुविधाएं मिलती हैं.



वीरेंद्र सहवाग ने कहा, ''मुझे हमेशा लगता था कि ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेल क्रिकेट (आयोजनों) से बड़े हैं। मैं सोचता था कि इन एथलीटों को बहुत अच्छी तरह से देखा जाता होगा कि उन्हें अच्छा भोजन, न्यूट्रशियन के साथ- साथ चिकित्सकों और प्रशिक्षकों की सुविधा मिल रही होगा.''



"लेकिन जब मैं उनसे मिला और उनके बारे में पता चला तो मैंने महसूस किया कि हमें (क्रिकेटरों) जो भी सुविधाएं मिल रही हैं, इन लोगों को उसका 10 या 20% भी नहीं मिल रहा है. इसके बावजूद वो पदक जीत रहे हैं. उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है वो उससे भी ज्यादा के हकदार हैं, क्योंकि वो भारत के लिए पदक जीत रहे हैं.



1999 और 2013 के बीच 104 टेस्ट और 251 एकदिवसीय मैच खेलने वाले सहवाग ने कहा, ''सामान्य रूप से क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं जितना अन्य खिलाड़ी देते हैं.''



सहवाग ने कहा, "क्रिकेटरों के जीवन में कोच की बड़ी भूमिका होती है, लेकिन हम उन्हें ज्यादा क्रेडिट नहीं देते हैं, हम इसे अपने तक ही सीमित रखते हैं."



उन्होंने कहा, "हम क्रिकेटर्स अपने कोचों को उतना श्रेय नहीं देते हैं, जितना अन्य खिलाड़ी करते हैं, क्योंकि जब आप देश के लिए खेलना शुरू करते हैं, तो क्रिकेटर्स अपने कोचों को भूल जाते हैं क्योंकि उनके पास उनसे मिलने और बात करने का समय नहीं रहता. वहीं दूसरे खेलों में उनकी जररुत शुरु से अंत तक होती है और कोच भी उनका साथ देते हैं.''




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Last Updated : Sep 28, 2019, 6:47 PM IST
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