नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने पुष्टि नहीं की है कि चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने इस सत्र के लिए टाइटल प्रायोजन से हटने का फैसला किया है. ऐसी संभावना है कि कंपनी चीन और भारत के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए कम से कम इस सत्र में 440 करोड़ रूपये (प्रत्येक वर्ष) के अनुबंध से हट जाएगी.
वाडिया ने मालिकों की बुधवार शाम को हुई बैठक में कहा, ''काफी अटकलें चल रही हैं. मुझे लगता है कि ये सब बेकार है. हम (टीम मालिक) केवल एक चीज जानते हैं कि आईपीएल हो रहा है. हम खिलाड़ियों और इसमें शामिल होने वाले अन्य लोगों की सुरक्षा के बारे में बहुत ज्यादा चिंतित हैं. अगर एक भी मामला सामने आ जाता है तो आईपीएल बरबाद हो सकता है.''
वाडिया ने कहा कि जून में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद आईपीएल को धीरे धीरे चीनी प्रायोजक से अलग हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो चीनी कंपनी की जगह लेने के लिए काफी प्रायोजक मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, ''मैं नहीं जानता कि बीसीसीआई ने टाइटल प्रायोजन के लिए क्या फैसला किया है. सभी टीम मालिकों की बैठक काफी अच्छी रही और हम सभी आईपीएल को सफल बनाना चाहते हैं. हमें बीसीसीआई का सहयोग करना चाहिए और जल्द ही फिर से बैठक करेंगे.''
मौजूदा आर्थिक माहौल में वाडिया को उम्मीद है कि प्रायोजक जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे, भले ही टीम प्रायोजक हों या फिर आईपीएल प्रायोजक. उन्होंने कहा, ''सभी प्रायोजक कड़ी मेहनत करेंगे लेकिन ये आईपीएल सबसे ज्यादा देखा जाएगा, मुझे पूरा भरोसा है. मेरी बात को याद रखिये. इस साल अगर प्रायोजक आईपीएल का हिस्सा नहीं होंगे तो ये काफी मूर्खतापूर्ण होगा.''
बीसीसीआई ने टीमों को 16 पेज की मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) भेजी है ताकि टूर्नामेंट का आयोजन अच्छी तरह से हो सके, जिसमें खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ, टीम अधिकारियों और मालिकों को जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में रहना होगा. वाडिया ने आईपीएल के लिए संयुक्त अरब अमीरात जाने पर फैसला नहीं किया है लेकिन कहा कि सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता.