हैदराबाद: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) और मुंबई इंडियंस के बीच हुए मुकाबले में शुरु हुई 'नो-बॉल' कंट्रोवर्सी पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने एक नई और काफी रोचक बहस छेड़ दी है. दरअसल इंग्लैंड के पूर्व कप्तान का मानना है कि क्रिकेट को तकनीक के इस जमाने में ऑन फील्ड अंपायरों की जरूरत नहीं है.
पीटरसन के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह है तकनीक का बढ़ता स्तर. आउट हो या कोई भी फैसला, तकनीक की मदद से सब कुछ संभव है तो अंपायर क्यों हों. साथ ही उन्होंने इसे एक टूर्नामेंट में प्रयोग की करने के बारे में सोचने की भी सलाह दी है.
पीटरसन ने ट्विटर पर लिखा, 'क्रिकेट को अब अंपायरों की जरूरत नहीं होनी चाहिए. उसे ऐसे लोगों की जरूरत है जो खेल को कंट्रोल कर सकें और उसे खिलाने में सक्षम हों. आउट के सभी तरीके अब वैसे भी तकनीक के साथ तय किए जा सकते हैं. लंदन में होने वाले 100 बॉल टूर्नामेंट में इसके बारे में सोचना भी चाहिए.'
क्या है नो-बॉल कंट्रोवर्सी ?
आपको बता दें बुधवार को बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी और मुंबई के बीच मैच की आखिरी गेंद पर कोहली की टीम को जीत के लिए 7 रनों की जरूरत थी और गेंदबाजी कर रहे थे तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा. इस आखिरी गेंद पर युवा बल्लेबाज शिवम दुबे ने लॉन्ग ऑन पर शॉट खेला और कोई रन नहीं लिया. पर जब रीप्ले में देखा गया तब पता चला की मलिंगा की यह गेंद नो-बॉल थी और अंपायर ने इसे सही करार दिया था. इस तरह विराट की की टीम को 6 रनों से हार का सामना करना पड़ा.
अंपायरों पर फूटा विराट का गुस्सा
इस पूरे मामले पर आरसीबी के कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. विराट ने कहा कि यह आईपीएल है न कि कोई क्लब क्रिकेट, अंपायर को अपनी आंखें खोलकर रखनी चाहिए थीं. वहीं मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने भी कहा था कि जब वह मैदान से बाहर गए तब किसी ने बताया कि वह नो-बॉल थी. इस तरह के फैसले खेल के लिए अच्छे नहीं हैं.