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जानिए कैसा रहा जॉन राइट से रवि शास्त्री तक टीम इंडिया का सफर

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Published : Aug 1, 2019, 3:16 PM IST

भारतीय क्रिकेट टीम नए हेड कोच की तलाश में हैं. हेड कोच के पद के लिए कई दिग्गज खिलाड़ियों ने आवेदन किया है. चयन प्रक्रिया में रवि शास्त्री एंड कंपनी की डायरेक्ट एंट्री है. जानिए साल 2000 से अभी तक विदेशी कोचों के साथ कैसा रहा टीम इंडिया का सफर.

पूर्व भारतीय कोच जॉन राइट और सचिन तेंदुलकर

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम में महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार इशारा किया था कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में एक ऐसा कोच चाहिए जो खिलाड़ियों के थोड़ा नजदीक हो, जो खिलाड़ियों को समझ सके. कुल मिलाकर वे किसी भारतीय कोच की तरफ इशारा कर रहे थे. नतीजा ये रहा कि अनिल कुबंले को टीम इंडिया का कोच नियुक्त किया गया. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो भारतीय टीम के साथ ज्यादातर विदेशी कोच ही रहे हैं.



पहली सबसे सफल जोड़ी सौरव गांगुली और जॉन राइट की बनी

गांगुली और सहवाग के साथ पूर्व भारतीय कोच जॉन राइट
गांगुली और सहवाग के साथ पूर्व भारतीय कोच जॉन राइट


न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट पहले पूर्णकालिक कोच थे जिन्हें बीसीसीआई ने राष्ट्रीय टीम के लिए नियुक्त किया था. राइट टीम में तब शामिल हुए जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे काले दौर से गुजर रहा था. सौरव गांगुली को मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह कप्तान बनाया गया था. अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को मैच फिक्सिंग के आरोप में बैन झेलना पड़ा था. जॉन राइट के कार्यकाल में भारत ने 2001 में अपने घर पर एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया और 2003 में विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची.



'चैपल काल' शुरू हुआ

पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ( फाइल फोटो)
पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ( फाइल फोटो)



भारत के कोच के रूप में चैपल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादित कोच थे. 2005 के जिंबाब्वे दौरे के दौरान कोच के साथ सार्वजनिक झगड़े के बाद तो मामला बेहद ही खराब हो गया था. चैपल ने भारतीय टीम में कई बदलाव किए जिसका सीधा असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा. इसके बाद 2007 में भारत वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्डकप में पहले ही दौर में बाहर हो गया और चैपल को कोच के पद से हटना पड़ा.



गैरी कर्स्टन भारत के सबसे सफल कोच रहे

भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूर्व भारतीय कोच  गैरी कर्स्टन ( फाइल फोटो)
भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूर्व भारतीय कोच गैरी कर्स्टन ( फाइल फोटो)



ग्रेग चैपल के बाद दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर गैरी कर्स्टन ने मार्च 2008 में टीम इंडिया की कोचिंग का पद संभाला और भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कोच बन गए. कर्स्टन ने पर्दे के पीछे से काम किया, सुर्खियों से बाहर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक घरेलू श्रृंखला जीतकर उन्हें 2-0 से हराया. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के अलावा, उन्होंने भारत को श्रीलंका में अपनी पहली द्विपक्षीय श्रृंखला में जीत दिलाई.

कोहली का कोच चयन पर अपनी राय देने का पूरा अधिकार : गांगुली



इतना ही नहीं 40 साल बाद न्यूजीलैंड में भारत की पहली टेस्ट और एकदिवसीय श्रृंखला में जीत भी दिलाई. भारत दिसंबर 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया और अगस्त 2011 तक बना रहा. एमएस धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने भारत में आयोजित 50 ओवरों के विश्व कप में जीत हासिल की.


जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर

पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर, वर्तमान कप्तान विराट कोहली
पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर, वर्तमान कप्तान विराट कोहली


जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर भारतीय टीम की इस सफलता को आगे तक नहीं ले जा सके. वनडे टीम के पास कई बार अच्छे मौके आए लेकिन फ्लेचर की कोचिंग में टीम इंडिया का विदेश दौरों पर बेहद ही खराब प्रदर्शन रहा.


धोनी और फ्लेचर की जोड़ी के दौरान भारतीय टेस्ट टीम को 2011-12 में इंग्लैंड में हार मिली और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से हार का सामना करना पड़ा. इंग्लैंड फिर भारत आया और श्रृंखला 2-1 से जीता. भारत 2013 में दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के दौरे पर टेस्ट सीरीज हारा. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे एक बार फिर निराशा के साथ ही समाप्त हो गए.



रवि शास्त्री का कार्यकाल

भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली


भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी रवि शास्त्री ने अगस्त 2014 से अप्रैल 2016 तक टीम इंडिया के निदेशक के रूप में काम किया. शास्त्री के कार्यकाल में भारत 2015 विश्व कप और 2016 विश्व टी 20 के सेमीफाइनल में पहुंचा, और नंबर 1 टेस्ट टीम का दर्जा भी हासिल किया. रवि शास्त्री के कार्यकाल में टीम इंडिया के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया में जाकर पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना रहा.

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम में महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार इशारा किया था कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में एक ऐसा कोच चाहिए जो खिलाड़ियों के थोड़ा नजदीक हो, जो खिलाड़ियों को समझ सके. कुल मिलाकर वे किसी भारतीय कोच की तरफ इशारा कर रहे थे. नतीजा ये रहा कि अनिल कुबंले को टीम इंडिया का कोच नियुक्त किया गया. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो भारतीय टीम के साथ ज्यादातर विदेशी कोच ही रहे हैं.



पहली सबसे सफल जोड़ी सौरव गांगुली और जॉन राइट की बनी

गांगुली और सहवाग के साथ पूर्व भारतीय कोच जॉन राइट
गांगुली और सहवाग के साथ पूर्व भारतीय कोच जॉन राइट


न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट पहले पूर्णकालिक कोच थे जिन्हें बीसीसीआई ने राष्ट्रीय टीम के लिए नियुक्त किया था. राइट टीम में तब शामिल हुए जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे काले दौर से गुजर रहा था. सौरव गांगुली को मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह कप्तान बनाया गया था. अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को मैच फिक्सिंग के आरोप में बैन झेलना पड़ा था. जॉन राइट के कार्यकाल में भारत ने 2001 में अपने घर पर एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया और 2003 में विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची.



'चैपल काल' शुरू हुआ

पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ( फाइल फोटो)
पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ( फाइल फोटो)



भारत के कोच के रूप में चैपल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादित कोच थे. 2005 के जिंबाब्वे दौरे के दौरान कोच के साथ सार्वजनिक झगड़े के बाद तो मामला बेहद ही खराब हो गया था. चैपल ने भारतीय टीम में कई बदलाव किए जिसका सीधा असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा. इसके बाद 2007 में भारत वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्डकप में पहले ही दौर में बाहर हो गया और चैपल को कोच के पद से हटना पड़ा.



गैरी कर्स्टन भारत के सबसे सफल कोच रहे

भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूर्व भारतीय कोच  गैरी कर्स्टन ( फाइल फोटो)
भारतीय खिलाड़ियों के साथ पूर्व भारतीय कोच गैरी कर्स्टन ( फाइल फोटो)



ग्रेग चैपल के बाद दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर गैरी कर्स्टन ने मार्च 2008 में टीम इंडिया की कोचिंग का पद संभाला और भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कोच बन गए. कर्स्टन ने पर्दे के पीछे से काम किया, सुर्खियों से बाहर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक घरेलू श्रृंखला जीतकर उन्हें 2-0 से हराया. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के अलावा, उन्होंने भारत को श्रीलंका में अपनी पहली द्विपक्षीय श्रृंखला में जीत दिलाई.

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इतना ही नहीं 40 साल बाद न्यूजीलैंड में भारत की पहली टेस्ट और एकदिवसीय श्रृंखला में जीत भी दिलाई. भारत दिसंबर 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया और अगस्त 2011 तक बना रहा. एमएस धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने भारत में आयोजित 50 ओवरों के विश्व कप में जीत हासिल की.


जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर

पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर, वर्तमान कप्तान विराट कोहली
पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर, वर्तमान कप्तान विराट कोहली


जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर भारतीय टीम की इस सफलता को आगे तक नहीं ले जा सके. वनडे टीम के पास कई बार अच्छे मौके आए लेकिन फ्लेचर की कोचिंग में टीम इंडिया का विदेश दौरों पर बेहद ही खराब प्रदर्शन रहा.


धोनी और फ्लेचर की जोड़ी के दौरान भारतीय टेस्ट टीम को 2011-12 में इंग्लैंड में हार मिली और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से हार का सामना करना पड़ा. इंग्लैंड फिर भारत आया और श्रृंखला 2-1 से जीता. भारत 2013 में दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के दौरे पर टेस्ट सीरीज हारा. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे एक बार फिर निराशा के साथ ही समाप्त हो गए.



रवि शास्त्री का कार्यकाल

भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली


भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी रवि शास्त्री ने अगस्त 2014 से अप्रैल 2016 तक टीम इंडिया के निदेशक के रूप में काम किया. शास्त्री के कार्यकाल में भारत 2015 विश्व कप और 2016 विश्व टी 20 के सेमीफाइनल में पहुंचा, और नंबर 1 टेस्ट टीम का दर्जा भी हासिल किया. रवि शास्त्री के कार्यकाल में टीम इंडिया के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया में जाकर पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना रहा.

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भारतीय क्रिकेट टीम नए हेड कोच की तलाश में हैं. हेड कोच के पद के लिए कई दिग्गज खिलाड़ियों ने आवेदन किया है. चयन प्रक्रिया में रवि शास्त्री एंड कंपनी की डायरेक्ट एंट्री है. जानिए साल 2000 से अभी तक विदेशी कोचों के साथ कैसा रहा टीम इंडिया का सफर.



हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम में महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार इशारा किया था कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में एक ऐसा कोच चाहिए जो खिलाड़ियों के थोड़ा नजदीक हो, जो खिलाड़ियों को समझ सके. कुल मिलाकर वे किसी भारतीय कोच की तरफ इशारा कर रहे थे.

नतीजा ये रहा कि अनिल कुबंले को टीम इंडिया का कोच नियुक्त किया गया. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो भारतीय टीम के साथ ज्यादातर विदेशी कोच ही रहे हैं.  

पहली सबसे सफल जोड़ी सौरव गांगुली और जॉन राइट की बनी

न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट पहले पूर्णकालिक कोच थे जिन्हें बीसीसीआई ने राष्ट्रीय टीम के लिए नियुक्त किया था. राइट टीम में तब शामिल हुए जब भारतीय क्रिकेट अपने सबसे काले दौर से गुजर रहा था. सौरव गांगुली को मोहम्मद अजहरुद्दीन की जगह कप्तान बनाया गया था. अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और मनोज प्रभाकर को मैच फिक्सिंग के आरोप में बैन झेलना पड़ा था. जॉन राइट के कार्यकाल में भारत ने 2001 में अपने घर पर एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया और 2003 में विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची.

'चैपल काल' शुरू हुआ

भारत के कोच के रूप में चैपल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादित कोच थे. 2005 के जिंबाब्वे दौरे के दौरान कोच के साथ सार्वजनिक झगड़े के बाद तो मामला बेहद ही खराब हो गया था. चैपल ने भारतीय टीम में कई बदलाव किए जिसका सीधा असर टीम के प्रदर्शन पर पड़ा. इसके बाद 2007 में भारत वेस्टइंडीज में हुए वर्ल्डकप में पहले ही दौर में बाहर हो गया और चैपल को कोच के पद से हटना पड़ा.

गैरी कर्स्टन भारत के सबसे सफल कोच रहे

ग्रेग चैपल के बाद दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर गैरी कर्स्टन ने मार्च 2008 में टीम इंडिया की कोचिंग का पद संभाला और भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कोच बन गए. कर्स्टन ने पर्दे के पीछे से काम किया, सुर्खियों से बाहर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक घरेलू श्रृंखला जीतकर उन्हें 2-0 से हराया. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के अलावा, उन्होंने भारत को श्रीलंका में अपनी पहली द्विपक्षीय श्रृंखला में जीत दिलाई.

इतना ही नहीं 40 साल बाद न्यूजीलैंड में भारत की पहली टेस्ट और एकदिवसीय श्रृंखला में जीत भी दिलाई. भारत दिसंबर 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया और अगस्त 2011 तक बना रहा. एमएस धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने भारत में आयोजित 50 ओवरों के विश्व कप में जीत हासिल की.

जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर

जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर और अनुभवी कोच डंकन फ्लेचर भारतीय टीम की इस सफलता को आगे तक नहीं ले जा सके. वनडे टीम के पास कई बार अच्छे मौके आए लेकिन फ्लेचर की कोचिंग में टीम इंडिया का विदेश दौरों पर बेहद ही खराब प्रदर्शन रहा.

धोनी और फ्लेचर की जोड़ी के दौरान भारतीय टेस्ट टीम को 2011-12 में इंग्लैंड में हार मिली और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से हार का सामना करना पड़ा. इंग्लैंड फिर भारत आया और श्रृंखला 2-1 से जीता. भारत 2013 में दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के दौरे पर टेस्ट सीरीज हारा. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे एक बार फिर निराशा के साथ ही समाप्त हो गए.

रवि शास्त्री का कार्यकाल

भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी रवि शास्त्री ने अगस्त 2014 से अप्रैल 2016 तक टीम इंडिया के निदेशक के रूप में काम किया. शास्त्री के कार्यकाल में भारत 2015 विश्व कप और 2016 विश्व टी 20 के सेमीफाइनल में पहुंचा, और नंबर 1 टेस्ट  टीम का दर्जा भी हासिल किया. रवि शास्त्री के कार्यकाल में टीम इंडिया के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि ऑस्ट्रेलिया में जाकर पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना रहा. 


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