दुबई: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की सोमवार को होने वाली बोर्ड की ऑनलाइन बैठक की कार्यसूची में एकमात्र मुद्दा अगले स्वतंत्र अध्यक्ष के रूप में शशांक मनोहर के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया को अंतिम रूप देना होगा.
यह उम्मीद की जा रही है कि फैसला चाहे चुनाव से हो या सर्वसम्मति से, चयन की पूरी प्रक्रिया चार सप्ताह तक खत्म हो जाएगी. बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ''सोमवार की बैठक की कार्यसूची में केवल नामांकन प्रक्रिया है. आमतौर पर, नामांकन दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है.''
आमतौर पर आईसीसी में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन बोर्ड के कुछ सदस्य चाहते हैं कि 17 सदस्यों के बीच इसका फैसला साधारण बहुमत से हो जाए.
आईसीसी के 17 बोर्ड सदस्यों में 12 टेस्ट खेलने वाले देश, तीन सहयोगी राष्ट्र (मलेशिया, स्कॉटलैंड, सिंगापुर), अध्यक्ष (इस मामले में अंतरिम) और स्वतंत्र निदेशक (पेप्सिको के इंद्रा नूई) शामिल हैं.
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनु साहनी भी आईसीसी बोर्ड का हिस्सा हैं, लेकिन उनके पास मतदान का अधिकार नहीं है.
एक उम्मीदवार को आईसीसी के किसी पूर्व या वर्तमान निदेशक द्वारा नामित किया जा सकता है, लेकिन चुनाव के लिए उम्मीदवारी तय करने के लिए उसके पास दो वर्तमान निदेशकों का समर्थन होना चाहिए. इस बात पर चर्चा हुई है कि क्या किसी पूर्व निदेशक द्वारा किसी मौजूदा अधिकारी को मनोनीत करना वैध होगा या नहीं.
जहां तक उम्मीदवारों का संबंध है तो इमरान ख्वाजा (सिंगापुर के वर्तमान अंतरिम चेयरमैन) सहित कुछ अन्य नामों पर चर्चा हो रही है. कोई सर्वसम्मत उम्मीदवार नहीं होने के कारण घोषणा में लंबा समय लग रहा है.
इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड के पूर्व प्रमुख कॉलिन ग्रेव्स मनोहर की जगह लेने वालों की दौड़ में सबसे आगे हैं जबकि वेस्टइंडीज क्रिकेट के पूर्व प्रमुख डेव कैमरन ने भी दावा किया है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए जरूरी संख्या है. वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड हालांकि खुद उनके खिलाफ है.
यहां तक कि क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) के क्रिस नेंजानी ने भी इस पद के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है. यही कारण था कि दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट के निदेशक ग्रीम स्मिथ ने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) अध्यक्ष सौरव गांगुली का खुले तौर पर समर्थन किया था. स्मिथ के नेंजानी से संबंध अच्छे नहीं है. सीएसए ने तब स्पष्ट किया कि पूर्व कप्तान ने उनकी व्यक्तिगत क्षमता पर टिप्पणी की थी.
इसके लिए सबकी नजरें बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गंगुली पर भी होंगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीसीसीआई उन्हें वैश्विक संस्था में भेजना चाहता है. गांगुली के मामले में अनुकूलन अवधि (कूलिंग ऑफ परियड) में छूट देने की याचिका उच्चतम न्यायालय के पास है, जिस पर अगली सुनवायी 17 अगस्त को है.
सौरव गांगुली ने कई बार स्पष्ट किया है कि 48 साल के प्रशासक के रूप में उनके पास सर्वश्रेष्ठ करने के लिए काफी समय है. अगर उन्हें बीसीसीआई छोड़ना भी पड़ा तो भारतीय बोर्ड उन्हें वैश्विक निकाय के शिखर पर देखना पसंद करेगा.