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आईसीसी सीईओ मनु साहनी को 'छुट्टी' पर भेजा गया, कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे सकते हैं

56 वर्षीय मनु साहनी कुछ दिनों से दफ्तर नहीं आ रहे थे और मंगलवार को उन्हें छुट्टी पर जाने को कहा गया है.

मनु साहनी
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Published : Mar 10, 2021, 4:04 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 4:15 PM IST

नई दिल्ली: मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मनु साहनी को आईसीसी विश्व कप 2019 के बाद डेव रिचर्डसन की जगह 2022 तक सीईओ बनाया गया था. पता चला है कि नीतियों के संदर्भ में विभिन्न फैसलों को लेकर कुछ प्रभावी क्रिकेट बोर्ड के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं.

कथित रूप से साथी कर्मचारियों के साथ कठोर बर्ताव के कारण वो समीक्षा के दायरे में आए हैं. आईसीसी बोर्ड के करीबी एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक समाचार एजेंसी को बताया, ''उनके कठोर बर्ताव को लेकर आईसीसी के कई कर्मचारियों ने प्रमाण दिए हैं जो कर्मचारियों के मनोबल के लिए अच्छा नहीं है.''

साहनी पिछले कुछ समय से कार्यालय नहीं आ रहे हैं और मंगलवार को 56 साल के इस अधिकारी को छुट्टी पर जाने को कहा गया. सूत्र ने कहा, ''निदेशक मंडल समझौते का फार्मूला ढूंढने का प्रयास कर रहा है जहां साहनी इस्तीफा देकर गरिमा के साथ अपना पद छोड़ दें.''

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)

पिछले साल नए चेयरमैन की चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही साहनी दबाव में थे. पिछले साल नवंबर में ग्रेग बार्क्ले को चेयरमैन चुना गया. आरोप लगाए गए हैं कि साहनी की दबदबा बनाकर काम करने की शैली रिचर्डसन की काम करने की शैली से बिलकुल अलग है और कुछ कर्मचारियों को यह पसंद नहीं आई है.

साथ ही पिछले साल चुनाव के दौरान उनके अंतरिम चेयरमैन इमरान ख्वाजा का समर्थन करने से भी कुछ क्रिकेट बोर्ड नाखुश लग रहे हैं.

आईसीसी में चल रहे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''पिछले कुछ वर्षों में वो क्रिकेट बोर्ड का पसंदीदा नहीं रहा है. सबसे पहले तो काफी लोगों को शशांक मनोहर की जगह लेने के लिए न्यूजीलैंड के ग्रेग बार्क्ले और सिंगापुर के इमरान ख्वाजा की दावेदारी के दौरान उनकी अप्रत्यक्ष संलिप्तता पसंद नहीं आई.''

दूसरा कारण ये है कि कुछ बड़े बोर्ड इसलिए निराश हैं क्योंकि उन्होंने आईसीसी के हाल के फैसले का समर्थन किया है जिसमें बोर्ड को अगली साइकिल के दौरान आईसीसी प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए बोली लगाने और फीस का भुगतान करने को कहा गया है.

पता चला है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई), इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और क्रिकेट आस्ट्रेलिया (सीए) पूरी तरह से इस विचार के खिलाफ हैं और विभिन्न बोर्ड बैठक में नाखुशी जता चुके हैं. एक अन्य कारण उनके उस प्रस्ताव का समर्थन करना है जिसमें 2023 से 2031 के बीच आठ साल की अगली साइकिल में हर साल कम से कम एक आईसीसी प्रतियोगिता के आयोजन की बात कही गई है। ‘बिग थ्री’ ने इसका विरोध किया है जिसमें बीसीसीआई, ईसीबी और सीए शामिल हैं

ये भी पढ़ें- IPL की इकोसिस्टम वैल्यू 2020 में 3.6 फीसदी घटी

अगर साहनी इस्तीफा नहीं देने का फैसला करते हैं तो निदेशक मंडल उन्हें हटाने की लंबी प्रक्रिया शुरू कर सकता है. सूत्र ने कहा, ''साहनी को बोर्ड के अंदर समर्थन भी हासिल है जो नौ और आठ सदस्यों के दो गुटों में बंटा हुआ है. साहनी को हटाने के लिए 17 में से 12 वोट की जरूरत होगी जो निदेशक मंडल का दो-तिहाई है क्योंकि उनकी नियुक्ति को बोर्ड में बहुमत से स्वीकृति मिली थी.''

उन्होंने कहा, ''ये देखना रोचक होगा कि बिग थ्री की मौजूदगी वाले गुट को उन्हें हटाने के लिए 17 में से जरूरी 12 वोट मिलते हैं या नहीं.''

नई दिल्ली: मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मनु साहनी को आईसीसी विश्व कप 2019 के बाद डेव रिचर्डसन की जगह 2022 तक सीईओ बनाया गया था. पता चला है कि नीतियों के संदर्भ में विभिन्न फैसलों को लेकर कुछ प्रभावी क्रिकेट बोर्ड के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं.

कथित रूप से साथी कर्मचारियों के साथ कठोर बर्ताव के कारण वो समीक्षा के दायरे में आए हैं. आईसीसी बोर्ड के करीबी एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक समाचार एजेंसी को बताया, ''उनके कठोर बर्ताव को लेकर आईसीसी के कई कर्मचारियों ने प्रमाण दिए हैं जो कर्मचारियों के मनोबल के लिए अच्छा नहीं है.''

साहनी पिछले कुछ समय से कार्यालय नहीं आ रहे हैं और मंगलवार को 56 साल के इस अधिकारी को छुट्टी पर जाने को कहा गया. सूत्र ने कहा, ''निदेशक मंडल समझौते का फार्मूला ढूंढने का प्रयास कर रहा है जहां साहनी इस्तीफा देकर गरिमा के साथ अपना पद छोड़ दें.''

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)

पिछले साल नए चेयरमैन की चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही साहनी दबाव में थे. पिछले साल नवंबर में ग्रेग बार्क्ले को चेयरमैन चुना गया. आरोप लगाए गए हैं कि साहनी की दबदबा बनाकर काम करने की शैली रिचर्डसन की काम करने की शैली से बिलकुल अलग है और कुछ कर्मचारियों को यह पसंद नहीं आई है.

साथ ही पिछले साल चुनाव के दौरान उनके अंतरिम चेयरमैन इमरान ख्वाजा का समर्थन करने से भी कुछ क्रिकेट बोर्ड नाखुश लग रहे हैं.

आईसीसी में चल रहे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''पिछले कुछ वर्षों में वो क्रिकेट बोर्ड का पसंदीदा नहीं रहा है. सबसे पहले तो काफी लोगों को शशांक मनोहर की जगह लेने के लिए न्यूजीलैंड के ग्रेग बार्क्ले और सिंगापुर के इमरान ख्वाजा की दावेदारी के दौरान उनकी अप्रत्यक्ष संलिप्तता पसंद नहीं आई.''

दूसरा कारण ये है कि कुछ बड़े बोर्ड इसलिए निराश हैं क्योंकि उन्होंने आईसीसी के हाल के फैसले का समर्थन किया है जिसमें बोर्ड को अगली साइकिल के दौरान आईसीसी प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए बोली लगाने और फीस का भुगतान करने को कहा गया है.

पता चला है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई), इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और क्रिकेट आस्ट्रेलिया (सीए) पूरी तरह से इस विचार के खिलाफ हैं और विभिन्न बोर्ड बैठक में नाखुशी जता चुके हैं. एक अन्य कारण उनके उस प्रस्ताव का समर्थन करना है जिसमें 2023 से 2031 के बीच आठ साल की अगली साइकिल में हर साल कम से कम एक आईसीसी प्रतियोगिता के आयोजन की बात कही गई है। ‘बिग थ्री’ ने इसका विरोध किया है जिसमें बीसीसीआई, ईसीबी और सीए शामिल हैं

ये भी पढ़ें- IPL की इकोसिस्टम वैल्यू 2020 में 3.6 फीसदी घटी

अगर साहनी इस्तीफा नहीं देने का फैसला करते हैं तो निदेशक मंडल उन्हें हटाने की लंबी प्रक्रिया शुरू कर सकता है. सूत्र ने कहा, ''साहनी को बोर्ड के अंदर समर्थन भी हासिल है जो नौ और आठ सदस्यों के दो गुटों में बंटा हुआ है. साहनी को हटाने के लिए 17 में से 12 वोट की जरूरत होगी जो निदेशक मंडल का दो-तिहाई है क्योंकि उनकी नियुक्ति को बोर्ड में बहुमत से स्वीकृति मिली थी.''

उन्होंने कहा, ''ये देखना रोचक होगा कि बिग थ्री की मौजूदगी वाले गुट को उन्हें हटाने के लिए 17 में से जरूरी 12 वोट मिलते हैं या नहीं.''

Last Updated : Mar 10, 2021, 4:15 PM IST
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