हैदराबाद : क्रिकेट का इतिहास आज जो इतना सुनहरा दिखाई पढ़ता है उसका कारण महान क्रिकटरों का वो खेल दिखाना, जो शायद ही किसी आम इंसान के लिए मुमकिन हो, माना जा सकता है. ऐसे खिलाड़ियों की सुची में वैसे तो कई बड़े नाम शमिल है, लेकिन आज हम उस नाम की यहां चर्चा करेंगे जिसके पीछे-पीछे चल कर भारतीय क्रिकेट का विकास हुआ है. जी हां, हम बात कर रहे हैं विजय मर्चेंट की. आज ही के दिन 12 अकटूबर 1911 में भारतीय डॉन ब्रैडमैन के नाम से मशहूर विजय मर्चेंट का हुआ था जन्म. वियय की जिंदगी से जुड़े ऐसे कई अनसुने किस्से हम आज आपके बताएंगे जो शायद ही आपने कभी सुने हों.
कैसे उनका नाम 'विजय ठाकरसे' से 'विजय मर्चेंट' पड़ा
विजय मर्चेंट के नाम को लेकर अकसर मीडिया में अलग- अलग कहानियां सुनने को मिलती हैं. जिसमें से एक किस्सा ये भी है कि विजय की इंग्लिश टीचर ने उनसे उनके पिता जी का नाम पूछा और छोटे विजय ने उनका पारिवारिक व्यवसाय 'मर्चेंट' बताया जिसके बाद उनका नाम विजय मर्चेंट पड़ गया.
हालातों से नाराज होकर खुद को किया टीम से बाहर
...जब इंग्लैंड वाले विजय मर्चेंट को ‘गोरा’ बनाना चाहते थे
विजय मर्चेंट की बल्लेबाजी से कुछ इंग्लिश क्रिकेटर इतने प्रभावित थे कि उनमें से एक खिलाड़ी सी.बी. फ्राई ने ये तक कहा कि विजय सफेद रंग दे और एक सलामी बल्लेबाज के रूप में उसे हमारे साथ ऑस्ट्रेलिया ले जाएं
...जब सर डॉन ब्रैडमैन को विजय ने किया था नाराज
ऐसा कहा जाता है कि एक बार विजय को ऑस्ट्रेलिया टूर पर जाना था लेकिन तबियत खराब होने की वजह से विजय ने अपना नाम वापस ले लिया जिससे ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन खासा नाराज हुए थे. दरअसल सर डॉन ब्रैडमैन विजय मर्चेंट को अपनी आंखों के सामने खेलते देखना चाहते थे.