नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी का इस्तीफा लंबे समय बाद गुरुवार को स्वीकार कर लिया गया. बोर्ड के आला अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है, लेकिन एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस्तीफा स्वीकार करने का फैसला किया गया है. जौहरी ने 27 दिसंबर को इस्तीफा दिया था.
यह पता नहीं चल सका है कि बोर्ड ने अचानक इस्तीफा स्वीकार करने का फैसला क्यों किया. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन पर गोपनीय जानकारी मीडिया को लीक करने का शक है.
जौहरी 2016 में बोर्ड से जुड़े थे, जिनका करार 2021 तक था. सौरव गांगुली के बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था.
जौहरी को 2016 में इस पद पर नियुक्त किया गया था जब शशांक मनोहर बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर थे. हाल ही में मनोहर ने आईसीसी पद से इस्तीफा दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के पिछले साल अक्टूबर में जाने के बाद उन्होंने पद से हटने का फैसला किया, जिससे सौरव गांगुली की अगुआई वाली टीम के जिम्मेदारी संभालने का रास्ता बना.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद संभालने के बाद जौहरी कई मोर्चों पर काम कर रहे थे, जिसमें उन्होंने आईपीएल प्रसारक अधिकार स्टार इंडिया को 16,348 करोड़ रुपये में बेचने में अहम भूमिका अदा की थी. उन्हें तब इस पद पर नियुक्त किया गया था, जब शंशाक मनोहर बीसीसीआई अध्यक्ष थे और अनुराग ठाकुर बोर्ड के सचिव थे.
इसके साथ ही जौहरी का दो साल का कार्यकाल काफी विवादों में रहा था. राहुल जौहरी पर एक महिला ने शोषण के आरोप लगाए थे. दुनियाभर में उस वक्त मीटू आंदोलन चल रहा था, इसलिए राहुल जौहरी को लेकर भी काफी विवाद खड़ा हुआ था. हालांकि राहुल जौहरी इस मामले से बच निकले थे. प्रशासकों की समिति के प्रमुख विनोद राय ने जो कमेटी मामले की जांच के लिए बनाई थी, उसने जौहरी को क्लीन चिट दे दी थी.
बता दें कि बीसीसीआई सीईओ बनने से पहले तक जौहरी केंद्रीय मंत्री और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के सचिव थे.