हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लाल गेंद की चमक को बरकरार रखने के लिए मुंह की लार लगाने पर पाबंदी और आर्टीफिशियल चीज के इस्तेमाल के लिए अनुमति देने की संभावनाओं के बीच क्रिकेट के सबसे सबसे बड़े अपराधों में शामिल बॉल टैम्परिंग को वैध करने पर विचार किया जा सकता है और इसे लेकर अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर बहस जारी है.
कोरोना के खत्म होने के बाद क्रिकेट को फिर से शुरू किए जाने से पहले अंतराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की मेडिकल समिति की तरफ उठाए गए सवालों में एक मुद्दा यह भी है कि गेंद को चमकाने के लिए थूक या मुंह की लार के इस्तेमाल को रोका जाए और गेंद को रिवर्स स्विंग कराने के लिए अलग कदम या उपायों को सुझाया जाए.
इस बात की संभावना पर विचार किया जा सकता है कि गेंद को चमकाने के लिए आर्टीफिशियल चीजों के इस्तेमाल को मंजूरी दी जाए और बॉल टैम्परिंग को वैध करार दिया जाए. इस मुद्दे पर दिग्गज गेंदबाज और अन्य खिलाड़ी अलग-अलग विचार दे रहे हैं.
भारत के बाएं हाथ के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा का कहना है कि अगर तेज गेंदबाजों को मुंह की लार या थूक का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी तो यह एक तरह से गेंदबाजों की हत्या होगी.
नेहरा ने कहा, “आप इसका इस्तेमाल न केवल गेंद की चमक को बनाए रखने के लिए किया जाता है, बल्कि गेंद की दूसरी साइड को भारी रखने के लिए किया जाता है. इस तरह तेज गेंदबाज को रिवर्स स्विंग मिलती है. अगर आर्टीफिशियल चीजों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी जाती है तो गेंदबाजों यह भी सीखना होगा कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए. इसके लिए अम्पायरों से कितनी बार पूछना होगा जबकि सामान्य तौर पर अभी तक आप हर दूसरी-तीसरी डिलीवरी के बाद गेंद पर लार या थूक का इस्तेमाल करते थे.”