कोलकाता: भारतीय क्रिकेटर्स के लिए एक समय पर घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेलना अनिवार्य था. अब इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से खिलाड़ी आराम लेते हैं और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस पर ध्यान भी नहीं दे पाता है. अब बीसीसीई जल्दी ही अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाले चयन पैनल के साथ इस घरेलू टर्नामेंट में खिलाड़ियों के खेलने को अनिवार्य बनाने की राह पर है.
इस मामले में बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि, 'हां राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी में भाग लेना होगा. इन खिलाड़ियों के पास देश की टीम से जुड़ा अगर कोई काम नहीं है और वो खिलाड़ी बिना किसी कारण के राज्य के किसी भी मैच या कार्य को छोड़ देता है, तो उसके भारतीय टीम में चयन के लिए विचार नहीं किया जाएगा'.
आपको बता दें कि ये स्थिति तब आई है जब ईशान किशन और श्रेयस अय्यर रणजी ट्रॉफी में अपने राज्य की ओर से खेलते हुए नजर नहीं आए. इन खिलाड़ियों की ये बात बीसीसीआई और चयनकर्ताओं को रास नहीं आई और उन्होंने इन खिलाड़ी को अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाली 3 मैचों की टी20 सीरीज से बाहर कर दिया. इस सीरीज इन दोनों को बाहर कर रोहित शर्मा और विराट कोहली को मौका दिया गया है.
इस मामले पर ज्यादा बात ना करते हुए सूत्र ने कहा है कि, 'हमने कुछ खिलाड़ियों को चेतावनी दी है. उन्हें साफ तौर पर स्पष्ट कह दिया गया है कि आने वाले समय में राष्ट्रीय टीम के लिए चुने जाने के लिए घरेलू टूर्नामेंट में भाग लेना होगा'.
भारत के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और कप्तान सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ी भी राष्ट्रीय टीम का काम पूरा करने के तुरंत बाद नियमित रूप से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं. आने वाली पीढ़ी को भी ऐसा ही करना होगा और घरेलू क्रिकेट में हिस्सा लेना होगा.