मुंबई : विश्व चैंपियन पीवी सिंधू ने रविवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआती असफलता निराशाजनक थी लेकिन 2012 में चाइना ओपन में तत्कालीन ओलंपिक चैंपियन ली झूरेई को हराने से उनका सीनियर वर्ग में सफलता हासिल करने का भरोसा बढ़ा.
सिंधू ने तब चाइना मास्टर्स के क्वॉर्टरफाइनल में लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता झूरेई को हराकर बैडमिंटन जगत में अपने नाम से लोगों को परिचित कराया. इसके एक साल बाद उन्होंने प्रतिष्ठित विश्व चैंपियनशिप में अपना पहला कांस्य पदक जीता.
विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने कुल पांच पदक जीते हैं जिनमें दो कांस्य, दो रजत और एक स्वर्ण पदक शामिल है. इसके अलावा उन्होंने चार साल पहले रियो डि जनेरियो में ओलंपिक रजत पदक हासिल किया था.
सिंधू ने कहा, "जब मैंने खेलना शुरू किया तो मैं अच्छा प्रदर्शन कर रही थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर उस तरह का नहीं था. मैं पहले दौर, क्वालीफाईंग दौर में हार जाती. मुझे अहसास हुआ कि मुझे बेहतर खेल दिखाना होगा और तब मैंने कड़ी मेहनत शुरू की."
उन्होंने कहा, "मुझे हार पर दुख होता और मैं सोचती थी कि मैं क्या गलतियां कर रही हूं. मैं अन्य की तरह कड़ी मेहनत कर रही थी."
सिंधू ने कहा, "मेरे करियर का टर्निंग प्वॉइंट वह था जब 2012 में मैंने ली झूरेई को हराया. उस समय वह ओलंपिक चैंपियन थी. इसके बाद मैंने अतिरिक्त मेहनत की. मैंने कदम दर कदम, साल दर साल सुधार किया."
ओलंपिक 2004 के स्वर्ण पदक विजेता तौफीक हिदायत के बैकहैंड और दो बार के ओलंपिक चैंपियन लिन डैन की खेल शैली की प्रशंसक सिंधू ने याद किया किस तरह से उनके रियो से हैदराबाद पहुंचने पर एक प्रशंसक ने अपने महीने का वेतन उन्हें सौंप दिया था.
विश्व में सातवें नंबर की खिलाड़ी ने कहा, "ये दिल छूने वाली घटना थी और मुझे आज भी ये अच्छी तरह से याद है. मैंने उन्हें पत्र लिखा और कुछ पैसा भी भेजा."
कोविड-19 महामारी के दौरान सिंधू घर पर ही अभ्यास कर रही है. इसके अलावा वह कुछ नयी चीजें भी सीख रही है. उन्होंने कहा, "मैं कुछ चीजें सीख रही हूं जैसे पेंटिंग. मैं खाना भी बना रही हूं. ये वास्तव में दिलचस्प है क्योंकि पहले सिर्फ बैडमिंटन होता था लेकिन अब आप अलग चीजें सीख रहे हो जो कि रचनात्मक हैं."