हैदराबाद : भारत के बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद आज 46 वर्ष के हो गए हैं. बतौर खिलाड़ी ही नहीं बल्कि उन्होंने बतौर कोच भी देश के लिए काफी कुछ किया है. आपको बता दें कि गोपीचंद की इच्छा शटलर नहीं बल्कि क्रिकेटर बनने की थी लेकिन उनके बड़े भाई की जिद के कारण उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था.
इतना ही नहीं जब उन्होंने बैडमिंटन खेलना छोड़ दिया उसके बाद उन्होंने एक बैडमिंटन अकेडमी शुरू की जिसने देश को साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत, पारुपल्ली कश्यप, एचएस प्रणय, साई प्रणीत, समीर वर्मा जैसे स्टार शटलर्स दिए हैं. ऐसा कर उन्होंने प्रकाश पादुकोण और सैयद मोदी की परंपरा को आगे बढ़ाया है. कहा जाता है कि उन्होंने ये अकेडमी साल 2008 में अपना घर गिरवी रख कर खोली थी.
साइना नेहवाल और कश्यप के साथ पुलेला गोपीचंद आपको बता दें कि बतौर खिलाड़ी उन्होंने साल 1999 में ले वोलांट डीओर डी टोउलोउस, स्कॉटिश ओपन और इंडिया इंटरनेशनल जीता था. साल 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन और साल 2004 में उन्होंने इंडिया एशियन सैटेलाइट का खिताब अपने नाम किया.
तो वहीं, उनका कोचिंग करियर भी बेहद शानदार है. अकेडमी खोलने के पीछे उनका सपना था कि भारत के शटलर्स विश्व बैडमिंटन में राज करें. उनकी कोचिंग में पीवी सिंधू ने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप्स जीती थी. ये इसलिए खास था क्योंकि वे ऐसा करने वाली देश की पहली शटलर बन गई थीं. गोपीचंद 2016 ब्राजील रियो ओलंपिक से भारतीय शटलर्स के राष्ट्रीय कोच बने थे.
साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के साथ पुलेला गोपीचंद यह भी पढ़ें- INDvsBAN: भारत ने जीता इंदौर टेस्ट, बांग्लादेश को एक पारी और 130 रनों से दी मात
आपको बता दें कि बेहतरीन खिलाड़ी होने के लिए और बेमिसाल कोच होने के लिए उनको कई बार सम्मान मिल चुका है. 1999 में अर्जुन अवॉर्ड, 2001 में राजीव गांधी खेल रत्न, 2005 में पद्मश्री, 2009 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड और साल 2014 में उनको पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है.