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'ताज महल 1989' के अभिनेताओं ने प्यार को दी नई परिभाषा - ताज महल 1989 यंग स्टार्स

नेटफ्लिक्स की नई इंडियन ओरिजिनल वेब सीरीज 'ताज महल 1989' के यंग आर्टिस्ट पारस प्रियदर्शन, अंशुल चौहान और अनुद सिंह ढाका ने 90 के जमाने के प्यार को याद किया और आज के लोंगो के लिए प्यार की नई परिभाषा दी.

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'ताज महल 1989' के अभिनेताओं ने प्यार को दी नई परिभाषा
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Published : Feb 15, 2020, 10:19 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 9:45 AM IST

मुंबईः नेटफ्लिक्स की हालिया ऑरिजनल सीरीज 'ताज महल 1989' में नौजवान कलाकारों के समूह यानी पारस प्रियदर्शन, अंशुल चौहान और अनुद सिंह ढाका को नब्बे के दशक को जीने का मौक मिला है, जब वाकई में प्यार परवान चढ़ने में अपना समय लेता था न कि सोशल मीडिया के एडिटेड फोटो के जरिए दिखाया जाता था.

कलाकारों का कहना है कि आज कल के नौजवान असली दुनिया में दिल के रिश्ते को मजबूत करने की बजाय वर्चुअल दुनिया में पोस्ट करने को ज्यादा महत्व देते हैं.

'ताज महल 1989' में दो अलग पीढ़ियों की तीन अलग-अलग प्रेम कहानियों को दिखाया गया है, जिन्हें आपस में जोड़ा गया है.

पढ़ें- 'ताज महल 1989' में नजर आएंगे नीरज और गीतांजलि

अंशुल से जब पूछा गया कि 90 के दशक की प्रेम कहानी और आज की प्रमे कहानी में क्या अंतर है? तो इसके जवाब में की तुलना में उन्होंने आईएएनएस से कहा, 'मेरे हिसाब से, उस समय में किसी भी रिश्ते को बनाए रखने की ईच्छा काफी मायने रखती थी. उसे छोड़ने की बजाय उसे बनाए रखने की कोशिश ज्यादा जरूरी थी. दरअसल, इसके लिए बहुत सब्र की जरूरत है और मजबूत दिमाग की भी, जो आसानी से हार न माने.'

वहीं सीरीज में नौजवान लड़के का किरदार निभा रहे पारस ने कहा, 'मेरे ख्याल से हर आइडिया की प्रमाणिकता, चाहे वो कविता हो, सिनेमा हो या अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्रभावित करने का हो, उसमें सच्चाई होनी चाहिए. आज कल इन सारी चीजों का फार्मूला आ गया है और लोग उसी को मानते हैं. मेरा मानना है कि जोड़ियों को फोटोशूट कर सोशल मीडिया पर डालने से बेहतर उन्हें उस लम्हे को असल में जीना चाहिए, ताकि वह ताउम्र याद रहे. सब कुछ इंस्टाग्राम थोड़ी न है यार.'

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'ताज महल 1989' का शुक्रवार से नेटफ्लिक्स पर प्रसारण शुरु हो गया है.

(इनपुट्स- आईएएनएस)

मुंबईः नेटफ्लिक्स की हालिया ऑरिजनल सीरीज 'ताज महल 1989' में नौजवान कलाकारों के समूह यानी पारस प्रियदर्शन, अंशुल चौहान और अनुद सिंह ढाका को नब्बे के दशक को जीने का मौक मिला है, जब वाकई में प्यार परवान चढ़ने में अपना समय लेता था न कि सोशल मीडिया के एडिटेड फोटो के जरिए दिखाया जाता था.

कलाकारों का कहना है कि आज कल के नौजवान असली दुनिया में दिल के रिश्ते को मजबूत करने की बजाय वर्चुअल दुनिया में पोस्ट करने को ज्यादा महत्व देते हैं.

'ताज महल 1989' में दो अलग पीढ़ियों की तीन अलग-अलग प्रेम कहानियों को दिखाया गया है, जिन्हें आपस में जोड़ा गया है.

पढ़ें- 'ताज महल 1989' में नजर आएंगे नीरज और गीतांजलि

अंशुल से जब पूछा गया कि 90 के दशक की प्रेम कहानी और आज की प्रमे कहानी में क्या अंतर है? तो इसके जवाब में की तुलना में उन्होंने आईएएनएस से कहा, 'मेरे हिसाब से, उस समय में किसी भी रिश्ते को बनाए रखने की ईच्छा काफी मायने रखती थी. उसे छोड़ने की बजाय उसे बनाए रखने की कोशिश ज्यादा जरूरी थी. दरअसल, इसके लिए बहुत सब्र की जरूरत है और मजबूत दिमाग की भी, जो आसानी से हार न माने.'

वहीं सीरीज में नौजवान लड़के का किरदार निभा रहे पारस ने कहा, 'मेरे ख्याल से हर आइडिया की प्रमाणिकता, चाहे वो कविता हो, सिनेमा हो या अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्रभावित करने का हो, उसमें सच्चाई होनी चाहिए. आज कल इन सारी चीजों का फार्मूला आ गया है और लोग उसी को मानते हैं. मेरा मानना है कि जोड़ियों को फोटोशूट कर सोशल मीडिया पर डालने से बेहतर उन्हें उस लम्हे को असल में जीना चाहिए, ताकि वह ताउम्र याद रहे. सब कुछ इंस्टाग्राम थोड़ी न है यार.'

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'ताज महल 1989' का शुक्रवार से नेटफ्लिक्स पर प्रसारण शुरु हो गया है.

(इनपुट्स- आईएएनएस)

Last Updated : Mar 1, 2020, 9:45 AM IST
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