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शशांक व्यास ने लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर लिखी कविता - shashank vyas

अभिनेता शशांक व्यास ने कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर एक कविता लिखी है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इन्हें इस हालत में देखने के बाद भी हम बिना कुछ किए घर पर कैसे चुपचाप बैठे रह सकते हैं? मैंने खुद को इतना असहाय महसूस किया कि अपनी भावनाएं लिख डाली.

Balika vadhu star shashank vyas pens poem on migrant labourers plight
शशांक व्यास ने लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर लिखी कविता
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Published : May 22, 2020, 2:04 PM IST

मुंबई : 'बालिका वधू' अभिनेता शशांक व्यास ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर एक कविता लिखी है. शशांक ने इंस्टाग्राम पर अपनी लिखी इस कविता को साझा किया है, जिसका शीर्षक 'बस चल रहा है' है.

उन्होंने प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों के साथ एक वीडियो साझा किया है, जिसके साथ उनका वॉयस ओवर है.

कविता के पीछे अपनी भावना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मैंने उनके लियामहसूस किया. मेरे एसी रूम में जरूरत की सारी चीजें हैं, मैंने सोचा कि एक इंसान के पास इतनी सारी सुविधाए हैं, लेकिन दूसरे के पास कुछ भी नहीं है, खाने के लिए भोजन व पीने के लिए पानी तक नहीं है.

इन मजूदरों को देखकर मुझे दर्द का एहसास हुआ. भारत हमारा घर है, हम सभी एक बड़े परिवार का हिस्सा हैं और हमने उसी परिवार के एक हिस्से को सड़कों पर चलने के लिए छोड़ दिया."

उन्होंने आगे कहा, "मैं मानवता पर सवाल उठा रहा हूं. मैंने एक तस्वीर देखी, जिसमें एक बेटा अपनी मां, गर्भवती पत्नी और बच्चों को लेकर जा रहा था. हम बिना कुछ भी किए घर पर कैसे चुपचाप बैठे रह सकते हैं? मैंने खुद को इतना असहाय महसूस किया कि अपनी भावनाएं लिख डाली.

सवाल यह है कि वह सड़कों पर क्यों हैं? और सड़कों पर आने के बाद भी उन्हें परिवहन क्यों नहीं मुहैया कराया गया? यह बच्चे इन सबसे क्या सीखेंगे? इंसानियत की कमी. मुझे लगता है कि इन मजदूरों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें जरूरत की सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी."

पढ़ें- अम्फान चक्रवात: 'पाताल लोक' अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने किया सवाल- 'राष्ट्रीय मीडिया अब भी चुप क्यों?'

(इनपुट-आईएएनएस)

मुंबई : 'बालिका वधू' अभिनेता शशांक व्यास ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर एक कविता लिखी है. शशांक ने इंस्टाग्राम पर अपनी लिखी इस कविता को साझा किया है, जिसका शीर्षक 'बस चल रहा है' है.

उन्होंने प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों के साथ एक वीडियो साझा किया है, जिसके साथ उनका वॉयस ओवर है.

कविता के पीछे अपनी भावना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मैंने उनके लियामहसूस किया. मेरे एसी रूम में जरूरत की सारी चीजें हैं, मैंने सोचा कि एक इंसान के पास इतनी सारी सुविधाए हैं, लेकिन दूसरे के पास कुछ भी नहीं है, खाने के लिए भोजन व पीने के लिए पानी तक नहीं है.

इन मजूदरों को देखकर मुझे दर्द का एहसास हुआ. भारत हमारा घर है, हम सभी एक बड़े परिवार का हिस्सा हैं और हमने उसी परिवार के एक हिस्से को सड़कों पर चलने के लिए छोड़ दिया."

उन्होंने आगे कहा, "मैं मानवता पर सवाल उठा रहा हूं. मैंने एक तस्वीर देखी, जिसमें एक बेटा अपनी मां, गर्भवती पत्नी और बच्चों को लेकर जा रहा था. हम बिना कुछ भी किए घर पर कैसे चुपचाप बैठे रह सकते हैं? मैंने खुद को इतना असहाय महसूस किया कि अपनी भावनाएं लिख डाली.

सवाल यह है कि वह सड़कों पर क्यों हैं? और सड़कों पर आने के बाद भी उन्हें परिवहन क्यों नहीं मुहैया कराया गया? यह बच्चे इन सबसे क्या सीखेंगे? इंसानियत की कमी. मुझे लगता है कि इन मजदूरों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें जरूरत की सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी."

पढ़ें- अम्फान चक्रवात: 'पाताल लोक' अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने किया सवाल- 'राष्ट्रीय मीडिया अब भी चुप क्यों?'

(इनपुट-आईएएनएस)

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