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जानिए, शकील आजमी ने कैसे लिखा 'तू बन जा गली बनारस की' गीत - shakeel azmi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मशहूर लेखक और शायर शकील आजमी ने 'तू बन जा गली बनारस की, मैं शाम तलक भटकूं तुझमें' गाने पर ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने बताया कि यह गाना मैंने डायरेक्टर के पति के कहने पर लिखा है. वह अपनी फिल्म के गाने में बनारस को उकेरना चाहते थे.

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शकील आजमी
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Published : Jan 9, 2021, 10:50 PM IST

वाराणसी : 'तू बन जा गली बनारस की, मैं शाम तलक भटकूं तुझमें...' इस गाने के बोल आपकी जुबां पर आते ही बनारस की खूबसूरत गलियां आपके जहन में घूमने लगती हैं. फिर चाहे वह गंगा घाट हो या यहां की चाट हो. सारी तस्वीरें आपकी आंखों के सामने उभर आती हैं. लेकिन आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि चंद पंक्तियों के इस रोमांटिक गाने में पूरे बनारस की खूबसूरती बताने वाला वह लेखक कौन है. हम आपको बताते हैं कि शकील आजमी ने फिल्म निर्देशक रत्ना सिन्हा के पति अनुभव सिन्हा के कहने पर यह गीत लिखा था.

शकील आजमी से खास बातचीत

गाने में चाट और घाट का जिक्र
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मशहूर लेखक और शायर शकील आजमी ने कहा कि जब रत्ना सिन्हा फिल्म 'शादी में जरूर आना' बना रही थीं तो उन्होंने और उनके पति ने बताया कि वह अपनी फिल्म में बनारस को दर्शाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह गाना पहले डायलॉग, 'तुम कभी बनारस गई हो, मैं तुम्हारी आंखों में बनारस देखता हूं', से शुरू होने वाला था. बाद में इस डायलॉग को हटा लिया गया. उन्होंने कहा कि मैंने गाने में बनारस की चाट और गंगा घाट का जिक्र किया है.

अब तक 40 फिल्मों में दिए गीत
शकील आजमी ने बताया कि अनुभव सिन्हा और वह फिल्म 'जिद' से साथ में काम कर रहे हैं. बता दें कि शकील आजमी अब तक लगभग 40 फिल्मों के लिए गीत लिख चुके हैं, जिनमें कई हिट भी हुए हैं. उन्होंने कहा कि बनारस पर 'घई के पान बनारस वाला' के बाद यह गीत आया है. शकील आजमी ने कहा कि वह खुद को ही अपना आइडल मानते हैं. वह अपनी शायरी, गजल और गानों में अपने तजुर्बे को लिखते हैं.

'वनवास' को आलोचकों ने सराहा
साहित्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य एक संसार है, साहित्य को जाने बिना फिल्मों में लिखने आना व्यक्ति की अपरिपक्वता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि गानों में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल गलत नहीं है, अगर फिल्म की रिक्वायरमेंट है तो.

पढ़ें- मधुबाला के रूप में नजर आएंगी उर्वशी रौतेला

हाल ही में शकील आजमी की किताब 'वनवास' का विमोचन हुआ है. इस पर उन्होंने कहा कि वह किताब को लेकर काफी खुश हैं. बड़े-बड़े आलोचक सराहना कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके संघर्ष की यात्रा बहुत लंबी है. वह अब तक उर्दू में सात किताबें लिख चुके हैं.

वाराणसी : 'तू बन जा गली बनारस की, मैं शाम तलक भटकूं तुझमें...' इस गाने के बोल आपकी जुबां पर आते ही बनारस की खूबसूरत गलियां आपके जहन में घूमने लगती हैं. फिर चाहे वह गंगा घाट हो या यहां की चाट हो. सारी तस्वीरें आपकी आंखों के सामने उभर आती हैं. लेकिन आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि चंद पंक्तियों के इस रोमांटिक गाने में पूरे बनारस की खूबसूरती बताने वाला वह लेखक कौन है. हम आपको बताते हैं कि शकील आजमी ने फिल्म निर्देशक रत्ना सिन्हा के पति अनुभव सिन्हा के कहने पर यह गीत लिखा था.

शकील आजमी से खास बातचीत

गाने में चाट और घाट का जिक्र
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मशहूर लेखक और शायर शकील आजमी ने कहा कि जब रत्ना सिन्हा फिल्म 'शादी में जरूर आना' बना रही थीं तो उन्होंने और उनके पति ने बताया कि वह अपनी फिल्म में बनारस को दर्शाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि यह गाना पहले डायलॉग, 'तुम कभी बनारस गई हो, मैं तुम्हारी आंखों में बनारस देखता हूं', से शुरू होने वाला था. बाद में इस डायलॉग को हटा लिया गया. उन्होंने कहा कि मैंने गाने में बनारस की चाट और गंगा घाट का जिक्र किया है.

अब तक 40 फिल्मों में दिए गीत
शकील आजमी ने बताया कि अनुभव सिन्हा और वह फिल्म 'जिद' से साथ में काम कर रहे हैं. बता दें कि शकील आजमी अब तक लगभग 40 फिल्मों के लिए गीत लिख चुके हैं, जिनमें कई हिट भी हुए हैं. उन्होंने कहा कि बनारस पर 'घई के पान बनारस वाला' के बाद यह गीत आया है. शकील आजमी ने कहा कि वह खुद को ही अपना आइडल मानते हैं. वह अपनी शायरी, गजल और गानों में अपने तजुर्बे को लिखते हैं.

'वनवास' को आलोचकों ने सराहा
साहित्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य एक संसार है, साहित्य को जाने बिना फिल्मों में लिखने आना व्यक्ति की अपरिपक्वता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि गानों में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल गलत नहीं है, अगर फिल्म की रिक्वायरमेंट है तो.

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हाल ही में शकील आजमी की किताब 'वनवास' का विमोचन हुआ है. इस पर उन्होंने कहा कि वह किताब को लेकर काफी खुश हैं. बड़े-बड़े आलोचक सराहना कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके संघर्ष की यात्रा बहुत लंबी है. वह अब तक उर्दू में सात किताबें लिख चुके हैं.

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